(निमिष गंगराड़े)नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी और छोटे किसानों का वित्त पोषण करने वाली पीएम किसान योजना में इस वर्ष अभी तक लक्ष्य से कम किसान जुड़े हैं। योजना में पूरे देश में करीब 14.5 करोड़ किसानों के पंजीकृत होने का अनुमान था और इसके लिए केन्द्र सरकार ने 75 हजार करोड़ का प्रावधान रखा था।
कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक इस योजना में केवल 7 करोड़ 63 लाख किसानों ने ही पंजीयन कराया है। 4 नवम्बर तक पीएम किसान योजना में पंजीकृत किसानों में से 7.17 करोड़ किसान 2,000 रु. की प्रथम किस्त ले चुके हैं। वहीं 6.12 करोड़ किसान दूसरी किस्त और 3.65 करोड़ ने तीसरी किश्त भी प्राप्त कर ली हैं। प्रधानमंत्री किसान योजना में समय पर रजिस्ट्रेशन से चूक जाने पर आगे की किश्त नहीं मिलती है।
चुनिंदा राज्यवार- किस्त लाभार्थियों की संख्या
राज्य
कुल लाभार्थी
प्रथम
द्वितीय
तृतीय
बिहार
4109307
4088926
3068706
652717
छत्तीसगढ़
1513905
1465870
1331564
164500
मध्यप्रदेश
4232680
3997295
3356039
12397
महाराष्ट्र
7367216
6742089
5189648
2051972
राजस्थान
5270571
4404817
3960642
2453059
उत्तरप्रदेश
17487491
16712457
14844340
12438114
उत्तराखंड
639625
628647
592147
485015
कृषि मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंत तक संभवत: 10-11 करोड़ किसान ही प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ उठा पाएंगे। क्योंकि कांग्रेस शासित सरकारें इसमें रुचि नहीं ले रही हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य हमेशा किसान राजनीतिक विसात पर एक मोहरा रहा है।
4 नवम्बर 2019 की स्थिति में योजना
पंजीकृत किसान –
7,63,24,367
प्रथम किस्त प्राप्त किसान
7,17,42,960
द्वितीय किस्त प्राप्त
6,12,26,760
तीसरी किस्त प्राप्त
3,65,55,148
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार देश के 14.5 करोड़ किसानों के लिए वर्ष 2019-20 के लिए 2 हजार रु. की 4 किस्तों में देय राशि का कुल बजट 75 हजार करोड़ रु. था अब इसमें से 20-25 हजार करोड़ रुपये बच जाएंगे जिसे ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं को आवंटित किया जा सकता है।
भाजपा शासित राज्य आगेमहाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, भाजपा शासित राज्य इस योजना का लाभ लेने में आगे चल रहे हैं। बिहार, उड़ीसा के किसानों ने भी तीसरी किस्त अपने नाम कर ली है। वहीं पं. बंगाल की केन्द्र से अदावत जग जाहिर है, और वहां एक भी किसान का पंजीयन नहीं हुआ है।