सैटेलाइट डेटा ने दिखाए पंजाब में 270 पराली जलाने की घटनाएं, दिल्ली का एक्यूआई 1730 पर पहुंचा
21 नवंबर 2024, नई दिल्ली: सैटेलाइट डेटा ने दिखाए पंजाब में 270 पराली जलाने की घटनाएं, दिल्ली का एक्यूआई 1730 पर पहुंचा – 19 नवंबर 2024 को पंजाब राज्य में पराली जलाने की 270 घटनाएं सैटेलाइट के माध्यम से दर्ज की गईं। इन घटनाओं को पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग कर मॉनिटर किया गया। यह डेटा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर विकसित नए प्रोटोकॉल के अनुसार इकट्ठा किया गया।
पंजाब के विभिन्न जिलों में पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं मोगा जिले से रिपोर्ट की गईं, जहां 33 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके बाद मुक्तसर में 31, बठिंडा में 27, संगरूर में 24, और तरन तारन, लुधियाना, व फरीदकोट में 22-22 घटनाएं दर्ज की गईं।
पिछले दो वर्षों के आंकड़ों की तुलना करने पर, 19 नवंबर 2022 को 426 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि 2023 में यह संख्या 740 थी। 2024 में घटनाओं की संख्या में गिरावट देखी गई, लेकिन अब भी यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंचा एक्यूआई
18 नवंबर 2024 को अमेरिकी दूतावास द्वारा दिल्ली में एक्यूआई का स्तर 1730 दर्ज किया गया। यह धुआं पंजाब से उत्तर-पश्चिमी हवाओं के माध्यम से दिल्ली तक पहुंचा, जिससे रात के समय प्रदूषण बढ़ा। सुबह होते-होते यह और गंभीर हो गया। हालांकि दिन के दौरान तापमान में वृद्धि के कारण धुआं थोड़ा छंटा, लेकिन पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ने के कारण यह स्थिति फिर बिगड़ने की संभावना है।
पराली जलाने की यह समस्या केवल पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा प्रभाव दिल्ली और आसपास के इलाकों की वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है। ऐसे में, यह आवश्यक हो जाता है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इस मुद्दे को गंभीरता से लें और इसे हल करने के लिए सख्त कदम उठाएं।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों को वैकल्पिक तकनीकों और सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इसके अलावा, जागरूकता अभियानों और सख्त नियमों को लागू करना भी अनिवार्य है ताकि हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके और आने वाले समय में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।
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