राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

केन्द्रीय बजट और किसान

लेखक: प्रो. (डॉ.) भागचन्द्र जैन उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय कृषि पत्रकार संघ (नाज), 20 महावीर नगर, पोस्ट- रविग्राम, रायपुर- 492006 (छत्तीसगढ़)

02 अगस्त 2024, नई दिल्ली: केन्द्रीय बजट और किसान – “कृशिरेव महालक्ष्मी अर्थात कुशि ही सबसे बड़ी लक्ष्मी है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृशि कहलाती है। भारत विकास ीिल दे है, जिसे विकसित बनाने के लिए केन्द्रीय बजट को नींव कहा गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का वि व में पाचवा क्रम है, जिसे तीसरे क्रम पर लाने का जिक्र बजट में किया गया है। वर्श 2023-24 में भारत की विकास दर 7.1 प्रतिात होने का अनुमान लगाया गया है। वर्श 2024-25 के बजट में कृशि के लिए 7637 करोड़ रुपये की वृध्दि की गई है, जिससे वर्श 2024-25 में कृशि का बजट 151851 करोड़ रुपये हो गया है। कृशि को लाभकारी व्यवसाय बनाने के लिए वर्श 2024-25 के बजट में विभिन्न प्रवधान किये गये है, जैसे प्राकृतिक खेती, सब्जियों के लिए क्लस्टर, 32 फसलों को जलवायु अनुकूल अधिक देने वाली 109 किस्में, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, दलहन-तिलहन की कार्यनीति, पाँच राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड, राश्ट्रीय सहकारी नीति, फसल बीमा योजना तथा भण्डारण आदि।

डॉ. भागचन्द्र जैन

प्राकृतिक खेती

वर्श 2023-24 के बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाया जायेगा, जिसके लिए दस हजार जैव आदान संसाधन केन्द्र (Bio Input Resource Centre) स्थापित किए जायेगें। इस व्यवसाय के सुचारू रूप से संचालन के लिए ग्राम पंचायतों तथा अन्य संस्थाओं कि मदद ली जायेगी। इसमें ब्राडिग व्यवस्था मिल होगी। तथा प्रमाण-पत्र दिये जायेंगे।

तालिका – केन्द्रीय बजट और किसान

क्र.विवरण2022-232023-24
1.केन्द्रीय बजट (लाख करोड़ रूप्ए)1-251-25
2.सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि (प्रतिशत)6-77-1
3.सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान (प्रतिशत)16-616-0
4.कृषि निर्यात (लाख करोड़ रूपए)4-454-08
5.खाद्यान्न उत्पादन (करोड़ टन )32-9632-88
6.कृषि विकास दर (प्रतिशत )3-504-18

सब्जियों के लिए क्लस्टर

प्रमुख उपभोक्ता केन्द्रों के नजदीक बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित किए जायेगें, उपज का संग्रहण कर भंडारण केन्द्रों से सीधे बाजार भेजा जायेगा, जिससे मंहगाई पर अंकुश लगाने में मदद मिलेेगी। कृषक उत्पादक संगठनांें और सहकारी समितियों को इसकी जिम्मेदारी दी जायेगी। इस क्षत्र में स्टार्टअप को भी बढ़ावा दिया जायेगा।
32 फसलों की 109 किस्मंें
केन्द्रीय बजट में कृषि और उद्यानिकी की 32 फसलों की जलवायु अनुकुल और अधिक उत्पादन देने वाली 109 किस्मों की खेती का प्रवधान किया गया है।

डिजिटल तकनीक

कृषि के लिए डिजिटल अवसंरचना विकसित की जायेगी, जिसके लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रकचर फॉर एग्रीकल्चर का बजट में प्रावधान किया गया है। शासन द्वारा फसलोें और किसानों से जुड़ी जानकारी का डिजिटलीकरण किया जायेगा, जिससे आंकड़़ो का बेहतर उपयोग कृषि विेकास और किसानों के हित में किया जा सकेगा। इस योजना के अंतर्गत चालू खरीफ ऋतु में 400 जिलों में खरीफ फसलों का डजिटल सर्वेक्षण किया जायेगा। इसके तहत 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन के विवरण को रजिस्ट्री में दर्ज किया जायेगा। इस योजना को आगामी तीन वर्षों में पूरे देश में लागू किया जायेगा। इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में सफल रहा है, जिसका क्षेत्र बढ़ाया जायेगा। डिजिटल विवरण आकड़ों से केवल किसानों के लिए फसलों कि बेहतर योंजनाये बनाई जायेगी, बल्कि फसलों के बीमा, उत्पाद के अच्छे दाम दिलाने, स्टार्टअप को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। डिजिटल तकनीक से किसानों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिलेगा, जिसमें न्यूनतम समर्थन मुल्य के तहत खरीद, फसल बीमा, कृषि ऋण शामिल है। इसके अलावा किसानों को फसल संबंधी बेहतर सलाह भी उपल्बध करायी जायेगी। इस योजना में एग्रीस्टेक, कृषि डी.एस.एस. मिट्टी का प्रोफाइल नक्शा शामिल किया जायेगा। एग्रीस्टेक के तहत किसानों की रजिस्ट्री कि जायेगी। जिसमें उनकी आधार जैसी एक यूनिक आई.डी. होगी, जिसमें उनकी जमीन और फसलों का विवरण होगा।

दलहन-तिलहन के लिए कार्य नीति

दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनके उत्पादन, भण्डारण और विपणन की व्यवस्था मजबूत की जायेगी। सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनी फसलों के लिए कार्यनीति बनेगी। भारत में अपनी जरूरत की 50 प्रतिशत तिलहन आयात की जाती है।

किसान क्रेडिट कार्ड

केन्द्रीय बजट में पांच राज्यों में किसान क्रेडिट कार्ड लांच करने का प्रावधान किया गया है, जिसके अंतर्गत किसान खेती सम्बंधी जरूरतों के लिए तीन लाख रूपए का बैंक ऋण प्राप्त कर सकते हैैं। किसान क्रेडिट कार्ड से उर्वरक, बीज, मशीनरी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि के लिए ऋण ले सकते है तथा कृषि उत्पादन बढ़ा सकते है।

राष्ट्रीय सरकारी नीति,

सहकारी क्षेत्र में प्रमाणित, व्यवस्थित और चहुँमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय सरकारी नीति बनायी जायेगी। इसका लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाना और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित करना है। भारत में दो लाख पंचायतें ऐसी है जहां कोई सहकारी संस्था नहीं है। अगले पांच वर्षों में इन पंचायतों में बहु उद्देशीय सहकारी समिति बनाई जायेगी। राष्ट्रीय सरकारी नीति के अंतर्गत भारत में 1100 कृषक उत्पादक संगठन बनाये जायेंगे।

फसल बीमा

कृषि जोखिम भरा व्यवसाय है। फसलोें को प्राकृतिक आपदा, कीट-बीमारी आदि से क्षति पहुंचती है, जिसकी भरपाई के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न फसलों का बीमा किया जाता है। केन्द्रीय बजट में फसल बीमा के लिए 14600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।

विकसित भारत मिशन में खेत-खलिहान और किसान को प्राथमिकता

विकसित भारत मिशन के लिए खेत-खलिहान से संजीवनी निकलेगी। विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए 9 सेतु बनाये गये है, जिनमें खेत-खलिहान और किसान को प्राथमिकता दी गई है। विभिन्न फसलों का उत्पादन बढ़ाकर किसानों को मजबूत किया जायेगा और बेहतर बाजार सुविधा की दृष्टि से भण्डारण क्षमता में वृद्धि की जाएगी।
केन्द्रीय बजट में कृषि को प्राथमिकता दी गई है। यह बजट गरीब, युवा, किसान और नारी पर आाधारित हैं। किसानों, ग्रामीणों के लिए कृषि योजनाओं, कार्यक्रमों को उपयोगी बनाया गया है, जिसका लाभ लेकर किसान, ग्रामीण, पशुपालक, सब्जी-फल उत्पादक नये आयाम स्थापित कर सकते है।

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