राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

विश्व खाद्य दिवस 2025 पर सचिव डॉ. देवेश बोले- कृषि में नवाचार और तकनीक से भारत बना विश्व का खाद्यान्न भंडार

18 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: विश्व खाद्य दिवस 2025 पर सचिव डॉ. देवेश बोले- कृषि में नवाचार और तकनीक से भारत बना विश्व का खाद्यान्न भंडार – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने विश्व खाद्य दिवस 2025, जो संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 80वीं वर्षगांठ भी है, के अवसर पर अपना भाषण दिया। अपने संबोधन में सचिव ने खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने तथा नवाचार और बेहतर कार्यप्रणाली के माध्यम से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में एफएओ की तकनीकी विशेषज्ञता और मंत्रालय के साथ स्थायी साझेदारी की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में पोषण-सुग्राही (संवेदनशील) कृषि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, जिससे सभी के लिए स्वस्थ, विविध, सुरक्षित और किफायती आहार सुनिश्चित हो सके।

डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि स्वतंत्रता के समय खाद्यान्न की कमी से जूझने वाला भारत अब खाद्यान्न आधिक्य वाले राष्ट्र में तब्दील हो गया है, जो 1.4 अरब लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन दूरदर्शी नीतियों, वैज्ञानिक नवाचार और एफएओ के साथ नजदीकी साझेदारी में मंत्रालय के नेतृत्व में मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग से प्रेरित है।

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1945 से एफएओ के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत की यात्रा इस बात का उदाहरण है कि जब उत्पादन सिस्टम, वितरण व्यवस्था और नीति नवाचार सामंजस्य के साथ मिलकर काम करते हैं, तो किस प्रकार भूख और कुपोषण को बड़े पैमाने पर कम किया जा सकता है।

सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया की कृषि भूमि और ताजे पानी के संसाधनों का चार प्रतिशत से भी कम हिस्से पर कब्जा होने के बावजूद भारत ने राष्ट्रीय खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल की है और सार्वजनिक भंडारण और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी व्यवस्थाओं के माध्यम से मूल्य स्थिरता बनाए रखी है। ये व्यवस्थाएं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 800 मिलियन (80 करोड़) से अधिक लोगों के लिए किफायती भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करती हैं, जो खाद्य सुरक्षा के प्रति भारत के अधिकार-आधारित दृष्टिकोण को दर्शाती है। उन्होंने आगे रेखांकित किया कि भारत की कृषि प्रगति इसकी 146 मिलियन छोटी और सीमांत जोतों में निहित है, जो ग्रामीण आजीविका की रीढ़ हैं। मौसम की मार झेलने वाले बीज, रियायती ऋण, फसल बीमा और जलवायु-स्मार्ट व्यवस्थाओं में लक्षित पहल ने उत्पादकता, आत्मनिर्भरता और आय में वृद्धि की है।

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स्थिरता और जलवायु अनुकूलन के लिए भारत की प्रतिबद्धता जताते हुए सचिव ने देश भर में सूक्ष्म सिंचाई, एकीकृत और प्राकृतिक खेती, जैविक कृषि एवं एग्रीस्टैक जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर की गई पहल पर प्रकाश डाला, जो किसानों को प्रौद्योगिकी और वास्तविक समय के डेटा के साथ सशक्त बनाते हैं।

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इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एफएओ की कॉफी टेबल बुक, ‘सोइंग होप, हार्वेस्टिंग सक्सेस’ का विमोचन था, जो एफएओ की आठ दशक लंबी यात्रा और भारत के साथ कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धियों का वर्णन करती है।

इस कार्यक्रम में भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर  शोम्बी शार्प और भारत में एफएओ के प्रतिनिधि श्री ताकायुकी हागिवारा भी उपस्थित थे। शार्प ने कहा कि भारत में एफएओ की कहानी, वैश्विक कृषि लीडर के रूप में भारत के उदय की कहानी भी है, जबकि हागिवारा ने 2047 तक भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए एफएओ की प्रतिबद्धता जताई।

इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस की थीम ‘बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए हाथ मिलाना’ के अनुरूप इस समारोह में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र और रोम स्थित एजेंसियों के प्रतिनिधि, विकास में भागीदार और देश भर के किसान एक साथ आए।

अंत में डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि वैश्विक खाद्य चुनौतियों से निपटने के लिए स्थानीय वास्तविकताओं में निहित वैश्विक समाधान की आवश्यकता है। उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए गहन अंतरराष्ट्रीय सहयोग, खुले ज्ञान-साझाकरण और सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व खाद्य दिवस पर हार्दिक बधाई दी और सभी को खुशहाल एवं समृद्ध दिवाली की शुभकामनाएं भी दीं। 

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