National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

पोषक अनाज : वैश्विक परिदृश्य

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  • निमिष गंगराड़े,
    मो.: +91 7387422952

22 दिसम्बर 2022,  पोषक अनाज : वैश्विक परिदृश्य  – मोटे अनाजों का मानव जाति के भोजन में भागीदारी ईसा पूर्व 3000 से मिलती है। मोटे अनाज विश्व के 131 देशों में उगाए जाते हैं, वहीं एशिया और अफ्रीका के 59 करोड़ लोगों का यह पारंपरिक भोजन है। मोटे अनाजों के वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत ही है, परंतु एशिया का 80 प्रतिशत मोटा अनाज भारत में ही होता है। एशिया और अफ्रीका बाजरे के प्रमुख उत्पादक और खपत वाले देश हैं। भारत, नाइजर, सूडान  और  नाइजीरिया बाजरा के प्रमुख उत्पादक देश हैं। ज्वार 112 देशों में और प्रोसो बाजरा (सामान्य बाजरा)  विश्व के 35 देशों में सबसे ज्यादा उगाए जाते हैं। ज्वार और पर्ल बाजरा 90 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्रफल और उत्पादन को कवर करते हैं। भारत बाजरा का प्रमुख उत्पादक देश है जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी और छोटे बाजरा के साथ कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना शामिल हैं। प्रधानमंत्री  श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष  (आईवायओएम) घोषित किया गया है और भारत इसका नेतृत्व करेगा। बली से लेकर खली तक सभी बाजरा के मुरीद हैं।

भारत में मोटे अनाज की स्थिति

देश में पोषक अनाज का उत्पादन 2019-20 के दौरान 17.26 मिलियन टन था, जो बढक़र 2020-21 में 18.02 मिलियन टन हो गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत पोषक अनाज मिशन को 14 राज्यों के 212 जिलों में कार्यान्वित किया जा रहा है। एनएफएसएम के तहत राज्य सरकारों के माध्यम से किसानों को मोटे अनाज की खेती की उन्नत पद्धतियों पर क्लस्टर प्रदर्शन, एचआईवी/संकर किस्मों के बीजों का वितरण, उन्नत फार्म मशीनरी, पोषक तत्व प्रबंधन, फसलोपरांत कटाई उपकरण एवं प्रशिक्षण आदि कार्यक्रमों के लिए मदद की जाती है।

मोटे अनाज अब पोषक अनाज के रूप में जाने जाते हैं। मोटे अनाज यानी ज्वार, बाजरा, रागी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 4 वर्ष पहले 2018 में मोटे अनाज (मिलेट) को पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया है।

सुगम आवाजाही

पोषक अनाज की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने पोषक अनाज के उत्पादन को अन्य राज्यों में आवाजाही के लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन भी किया है।

सरकारी स्कूलों में

सरकार वर्ष 2025-26 तक सरकारी स्कूलों में बच्चों की पीएम पोषण योजना के तहत मोटे पोषक अनाज के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)

किसानों को पोषक अनाज उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के नजरिए से सरकार हर साल तीन प्रमुख पोषक अनाज यानी ज्वार, बाजरा, रागी के लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी में बढ़ोत्तरी कर रही है। हाईब्रिड ज्वार की एमएसपी वर्ष 2017 में 1700 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो वर्ष 2022 में 2970 रूपए प्रति क्विंटल है, वहीं बाजरा 1425 रुपए प्रति क्विंटल 2017 में था, सरकार ने वर्ष 2022 में इसकी एमएसपी 2350 रुपए प्रति क्विंटल की है।  इसी प्रकार रागी भी वर्ष 2017 के 1900 रुपए से बढक़र 2022 में 3578 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है।

हरित क्रांति के पूर्व

कृषि में हरित क्रांति का दौर आया और हम गेहूँ, चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर हुए और निर्यात भी भरपूर करते हैं, परंतु गेहूँ-चावल की दौड़ में ज्वार, बाजरा पिछड़ गए। वर्ष 1965-70 तक भारत के खाद्यान्न उत्पादन में मोटे अनाज की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत थी, जो आज घटकर केवल 6 प्रतिशत रह गई। हरित क्रांति के दौर वर्ष 1965-70 के बाद मोटे अनाजों का रकबा 2 करोड़ हेक्टेयर कम हुआ। 

 

बाजार की औसत उत्पादकता

विश्व : 1229 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

भारत : 1239 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर  

 

कम पानी की खपत 

मोटे अनाजों की खेती में सिंचाई जल की आवश्यकता गेहूं-धान फसलों की तुलना में बहुत कम है। रागी: 350 मिमी, ज्वार: 400 मिमी, मक्का: 500 मिमी, गेहूं: 650 मिमी, धान: 1250 मिमी।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर 

मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाईजेशन (एफएओ) ने वर्ष 2023 के लिए व्यापक ऐक्शन प्लान तैयार किया है। इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस, एग्जीविशन, दूतावासों, एयरलाइंस सेवाओं में, मास्टर शेफ जैसे टीवी-शो आदि के माध्यम से मिलेट्स का प्रचार-प्रसार कर प्रतिष्ठापित किया जाएगा।

(स्रोत: अर्थशा और सांख्यिकी निदेशालय, डीए एंड एफडब्ल्यू; आईसीएआर-आईआईएमआर)

अब मिशन मोड में बाजरा –

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कृषि मंत्रालय द्वारा बाजरा उत्पादन को बढ़ावा देने, खपत के लिए जागरुकता बनाने और वैल्यू चैन विकसित करने के लिए मिशन मोड में काम किया जा रहा है। 66 से अधिक स्टार्टअप को 6.25 करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं, इसके अलावा 25 स्टार्टअप के वित्त पोषण को मंजूरी दी गई है। देश में 500 से अधिक स्टार्टअप बाजरे के मूल्य संवर्धन शृंखला में काम कर रहे हैं और भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने 250 स्टार्टअप को इनक्यूबेट किया है।

  • नरेन्द्र सिंह तोमर
    केन्द्रीय कृषि मंत्री  
न्यूट्रीहब-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च

भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत ज्वार, बाजरा तथा अन्य मोटे अनाजों पर बुनियादी एवं नीतिपरक अनुसंधान में जुटा एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है। संस्थान मोटे अनाजों की उन्नत किस्मों के विकास में अग्रणी है, वहीं नवीन मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडीशन) तकनीक और सस्टेनेबल वैल्यू चैन इंटीग्रेशन के लिए भी काम कर रहा है। संस्थान  ने गत वर्ष ज्वार की विपुल उत्पादन देने वाली संकर किस्म CSH45 (जयकर वर्षा), CSV45,  CSH46MF, CSV47F, CSH47, और उच्च बायोमास किस्म CSV48(जयकर ऊर्जा) विकसित की है और ये किसानों के लिए जारी भी कर दी गई है।

मोटे पोषक अनाज के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए यह संस्थान फसल प्रणालियों में विविधता लाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। इसके साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत स्टॉर्टअप्स, एफपीओ की सहायता भी देता है। इस उद्देश्य के लिए आईआईएमआर द्वारा टेक्नालॉजी बिजनेस इनक्यूबेट के रूप में ‘न्यूट्रीहब’ का गठन किया गया है। ‘न्यूट्रीहब’ देश में मोटे पोषक अनाजों के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए स्टार्टअप और दूसरे स्टेकहोल्डर्स (कृषि मंत्रालय, कॉर्पोरेट्स, अनुसंधान संस्थान, इन्वेस्टर्स) के साथ तालमेल बिठाते हैं।

क्षेत्रफल उत्पादन
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