कपास किसानों के लिए नया अवसर
लेखक: शशिकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार, मो.: 9893355391
13 अगस्त 2024,भोपाल: कपास किसानों के लिए नया अवसर – भारत में कपास के किसानों के लिए सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें नए अवसर के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े कपास उत्पादकों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण कपास की कीमत में गिरावट आई है, जबकि लागत के प्रति सजग खरीदार सस्ते कपड़ों से बने कपड़े चाहते हैं। इस महीने आईसीई कपास (वह कपास जो विशेष तरह से उगाया जाता है ताकि इससे बनने वाले कपड़े ठंडक दें) की कीमतों में गिरावट आई है जो अक्टूबर 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है और मई 2022 में अपने 10 साल के शिखर से आधे से भी कम है।
ब्राजील में कपास के बढ़ते उत्पादन से कीमतों में गिरावट
क और बड़ा कारण है ब्राजील जहाँ कपास के बढ़ते उत्पादन से कीमतों में गिरावट आई है। हाल ही में ब्राजील ने दुनिया के सबसे बड़े कपास निर्यातक के रूप में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। अमेरिकी कृषि विभाग के अनुमानों के अनुसार, ब्राजील ने 2023-24 के फसल सीजन में लगभग सवा करोड़ कपास की गांठों का निर्यात किया गया जबकि अमेरिका से 11.8 मिलियन गांठें आईं। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े निर्यातक ऑस्ट्रेलिया ने 58 लाख गांठें निर्यात की हैं।
भारत भी दुनिया में सबसे बड़े कपास उत्पादक देशों में से एक है। लेकिन निर्यात के मामले में ब्राजील जैसे देश से बहुत पीछे हैं। भारतीय कपास संघ (सीएआई) के एक अनुमान के अनुसार सितंबर में समाप्त होने वाले फसल वर्ष 2023-24 के दौरान कपास का निर्यात लगभग 27 प्रतिशत बढ़कर 28 लाख गांठ हो जाएगा।
भारतीय कपास की मांग बढऩे लगी
सीएआई के अनुसार 2022-23 में कपास का निर्यात 22 लाख गांठ था (एक गांठ का वजन 170 किलोग्राम होता है)। हाल ही में प्रकाशित खबरों के मुताबिक सीएआई को उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कीमतें लगभग 8 से 10 फीसदी गिरने से भारतीय कपास की मांग बढऩे लगी है। हमारा कपास मुख्य रूप से बांग्लादेश, चीन और वियतनाम जैसे देशों को निर्यात किया जाता है। सीएआई के 2023-24 के लिए कपास उत्पादन लगभग 310 लाख गाँठ होने का अनुमान है, हालांकि यह उत्पादन पिछले सीजन के 318.90 लाख गांठ से कम रहने की उम्मीद है।
ब्राजील के किसान कपास की खेती करने के लिए मजबूर
ब्राजील ने पिछले दशक में कपास के अपने रकबे में लगातार वृद्धि की है, जो कि अनुमानों के अनुसार 2023-2024 सीजन के लिए 18 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13 फीसदी ज़्यादा है। ब्राजील फिर भी भारत के कपास उत्पादकों के लिए चुनौती दे सकता है क्योंकि अमेरिकी कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मक्का की कम कीमतों में पिछले दो सालों से लगातार गिरावट आ रही है इसलिए ब्राजील के किसानों ने मक्का फसल के बजाय कपास की खेती करने के लिए मजबूर हुए हैं।
ब्राजील में कपास उगाना सबसे सस्ता है। यह दक्षिण अमेरिकी देश प्रति हेक्टेयर लगभग 2 टन लिंट (प्रसंस्कृत कपास) का उत्पादन करता है। कपास की कीमतों में गिरावट का एक और कारण कोरोना वायरस महामारी है। इसके बाद से कपास की वैश्विक मांग में गिरावट आई है, क्योंकि आर्थिक मंदी और ब्याज दरों में तेज वृद्धि ने उपभोक्ताओं को परेशान किया है। इसके कारण उपभोक्ता पिछले कुछ सालों से पॉलिएस्टर और अन्य मानव निर्मित पेट्रोलियम आधारित कपड़ों को तेजी से चुन रहे हंै, जो कपास की तुलना में सस्ते और जल्दी बनने वाले हैं, लेकिन पर्यावरण पर इनका बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
कपास की कीमतों में गिरावट का एक और बड़ा कारण है, बाजार में कंप्यूटर से चलने वाले हेज फंड जो बाजार के रुझान को ऊपर या नीचे लाकर लाभ कमाने की कोशिश करते हैं, उससे कीमतों में गिरावट आती है और खामियाजा किसान भुगतता है।
चीन और भारत दुनिया के सबसे बड़े कपास उत्पादक
चीन और भारत दुनिया के सबसे बड़े कपास उत्पादक हैं, लेकिन उनका ज़्यादातर उत्पादन घरेलू खरीदारों को जाता है। पिछले दो दशकों में ब्राजील की कपास की फसल में काफी वृद्धि हुई है, जो इसे एक कृषि शक्ति के रूप में उभरने का संकेत देती है। एक तरफ अमेरिका से कपास के ज़्यादा उत्पादन की उम्मीद नहीं है वहीं ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया में भी अच्छी फसल होने की उम्मीद है।
कपास के किसानों के लिए फिलहाल चिंता नहीं है बशर्ते उन्हें मांग के मुताबिक सलाह मिलती रहे।
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