राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

डिजिटल कृषि में नए आयाम: ग्रामीण डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

23 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: डिजिटल कृषि में नए आयाम: ग्रामीण डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन – भारत में डिजिटल कृषि के भविष्य को आकार देने और ग्रामीण डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास पर विचार-विमर्श करने के लिए ICRISAT (इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) के साथ मिलकर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 17 से 18 दिसंबर 2024 तक ए.पी. शिंदे सिम्पोजियम हॉल, नई दिल्ली में संपन्न हुआ।

सीजीआईएआर (CGIAR) की डिजिटल इनोवेशन पहल के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और प्रगतिशील किसानों सहित करीब 120 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इन प्रतिनिधियों ने 40 से अधिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व किया।

सितंबर 2024 में भारत सरकार ने डिजिटल कृषि मिशन की शुरुआत की थी, जिसके लिए 2,817 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इस मिशन का उद्देश्य डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) का निर्माण करना और एग्री स्टैक, डिजिटल फसल सर्वेक्षण और साइबर निर्णय समर्थन प्रणाली जैसी पहलों को बढ़ावा देना है। यह सम्मेलन मिशन की प्रभावी क्रियान्वयन रणनीति तैयार करने के लिए एक उपयुक्त मंच साबित हुआ।

सम्मेलन के मुख्य विचार और वक्तव्य

कार्यक्रम की शुरुआत ICAR के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक ने की। उन्होंने कहा,
कृषि क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन को सफल बनाने के लिए हमें वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकियों और नवाचारों का आदान-प्रदान करना होगा। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि किसी भी किसान को डिजिटल बदलाव की प्रक्रिया से बाहर न छोड़ा जाए।”

ICRISAT के अंतरिम महानिदेशक डॉ. स्टैनफोर्ड ब्लेड ने ICAR, NAAS और ICRISAT के बीच साझेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा,
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसमशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे डिजिटल नवाचारों का लाभ उठाकर किसानों के लिए व्यावहारिक समाधान तैयार किए जा सकते हैं।”

ICRISAT के ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम निदेशक, डॉ. एम.एल. जाट ने डिजिटल नवाचारों को किसानों के निर्णय लेने की प्रक्रिया को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में प्रभावी बताया। उन्होंने एक वर्चुअल एकेडमी फॉर डिजिटल एग्रीकल्चर” स्थापित करने का सुझाव दिया, जो किसानों और कृषि विस्तार कर्मियों के कौशल विकास में मदद करेगी।

किसान केंद्रित समाधान और तकनीकी प्रगति

सम्मेलन के संयोजक और ICAR के सहायक महानिदेशक, डॉ. अनिल राय ने आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) को डिजिटल खाई पाटने का एक महत्वपूर्ण साधन बताया। वहीं, ICAR के प्रमुख वैज्ञानिक, डॉ. रबी साहू ने वास्तविक समय के डेटा और नवाचारी उपकरणों को नीति निर्माण में एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

ICRISAT के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. श्रीकांत रूपवाथरम ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए किफायती और सुलभ तकनीकों को विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की जरूरतों के अनुसार तकनीकों को सरल और व्यावहारिक बनाना जरूरी है।

सम्मेलन की प्रमुख सिफारिशें

इस सम्मेलन में डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत किए गए:

  1. डिजिटल कृषि केंद्रों की स्थापना: किसानों और कृषि विस्तार कर्मियों के बीच डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए।
  2. ओपन डेटा सिस्टम विकसित करना: पारदर्शिता और डेटा की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए।
  3. साझेदारी को बढ़ावा देना: डिजिटल कृषि की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के बीच।
  4. समग्र और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना: कृषि मूल्य श्रृंखला के हर हिस्से को शामिल करते हुए।

भविष्य की राह

सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि डेटा, एआई और स्मार्ट तकनीकों का समावेश भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। यह पहल न केवल किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि भारत को एक डिजिटल कृषि राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।

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