राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

नाबार्ड ने एग्री-फिनटेक स्टार्टअप 24×7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग में 10% हिस्सेदारी खरीदी

26 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: नाबार्ड ने एग्री-फिनटेक स्टार्टअप 24×7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग में 10% हिस्सेदारी खरीदी – राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 24×7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में इक्विटी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है, जो एक नई पीढ़ी का एग्री-फिनटेक स्टार्टअप है। यह नाबार्ड का किसी स्वयं-वित्तपोषित स्टार्टअप में पहला निवेश है, जो ग्रामीण भारत में डिजिटल परिवर्तन के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

24×7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड का प्रमुख प्लेटफॉर्म, ई-किसान क्रेडिट (eKCC), सहकारी बैंकों, प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के लिए एक पूर्णतः डिजिटल ऋण प्रक्रिया प्रणाली है। यह प्लेटफॉर्म भू-अभिलेख, आधार, ई-केवाईसी, कोर बैंकिंग सिस्टम और ई-PACS के साथ सहजता से एकीकृत होता है, जिससे ग्रामीण ऋण जीवनचक्र का संपूर्ण ऑटोमेशन संभव हो पाता है।

पिछले ढाई वर्षों में, नाबार्ड ने विभिन्न बैंकों में eKCC का पायलट परीक्षण किया है और अब यह प्रणाली राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए तैयार है।
नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के.वी. ने कहा, “नाबार्ड को ऐसे स्टार्टअप का समर्थन करने पर गर्व है जो ग्रामीण वित्त में नवाचार और प्रभाव ला रहा है। eKCC ने कृषि ऋण की उपलब्धता, पारदर्शिता और दक्षता को बेहतर बनाने की अपनी क्षमता को सिद्ध किया है। यह रणनीतिक सहयोग सहकारी बैंकों, PACS और RRBs को छोटे और सीमांत किसानों को तेज़, पारदर्शी और समावेशी ऋण सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएगा।”

स्टार्टअप ने एआईएफआईएस (AIFIS) नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी विकसित किया है, जो कृषि अवसंरचना निधि (AIF) के तहत ब्याज सब्सिडी दावों के प्रबंधन के लिए बनाया गया है। AIFIS ब्याज सब्सिडी दावों के रीयल-टाइम सत्यापन और वितरण को सुनिश्चित करता है।
नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक श्री जी.एस. रावत ने कहा, “नाबार्ड का यह निवेश इस विश्वास को दर्शाता है कि डिजिटल नवाचार को अंतिम छोर की मौजूदा संस्थाओं को सशक्त बनाना चाहिए। eKCC एक स्केलेबल और फील्ड-रेडी समाधान है।”

24×7 मनीवर्क्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक एवं सीईओ श्री रंजीत गौतम ने कहा, “यह साझेदारी हमारे उस मिशन को मान्यता देती है जिसमें हम ग्रामीण भारत के लिए तकनीक-संचालित, समावेशी ऋण अवसंरचना तैयार कर रहे हैं। हमारे समाधान अंतिम छोर के उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किए गए हैं।”

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