अभिनव कृषि वित्त: भारत के कृषि व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हुई राष्ट्रीय कार्यशाला
28 जून 2024, नई दिल्ली: अभिनव कृषि वित्त: भारत के कृषि व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए हुई राष्ट्रीय कार्यशाला – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने नई दिल्ली में “अभिनव कृषि मूल्य श्रृंखला वित्तपोषण(फाइनेंसिंग) के माध्यम से भारत में कृषि व्यवसाय की संभावना का दोहन” पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस महत्वपूर्ण बैठक में कृषि वित्तपोषण के भविष्य पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, विशेषज्ञ एक साथ आए।
कृषि सचिव ने दिया डिजिटल प्रणाली पर जोर
कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा ने अपने संबोधन में कहा, “हमें उत्पादन-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मांग-संचालित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।” उन्होंने कृषि मूल्य श्रृंखलाओं (एवीसी) के विकास के लिए डिजिटल और जवाबदेह प्रणालियों की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री आहूजा ने कहा, “हमारा ध्यान केवल आपूर्ति की कमी को दूर करने पर नहीं, बल्कि बाजार की मांगों को पूरा करने पर होना चाहिए।”
कार्यशाला में कृषि वित्तपोषण(फाइनेंसिंग) के लिए अभिनव बैंकिंग उत्पादों की खोज के लिए एक कार्य समूह का गठन भी किया गया। श्री आहूजा ने बिल डिस्काउंटिंग, ब्रिज फाइनेंसिंग और जोखिम-हेजिंग जैसे वित्तीय साधनों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “सरलीकृत आवेदन प्रक्रियाओं और न्यूनतम कार्यालयीय बाधाओं के साथ एक सक्षम वातावरण बनाना महत्वपूर्ण है।”
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव डॉ. विवेक जोशी ने डिजिटल वित्तीय सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य है कि किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध हो और वे उच्च मूल्य वाले कृषि बाजारों में पहुंच सकें।” उन्होंने एनबीएफसी, फिनटेक और स्टार्टअप की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया।
कृषि में मांग-संचालित दृष्टिकोण पर जोर
कार्यशाला में आईसीआरआईईआर के प्रो. अशोक गुलाटी जैसे प्रमुख वक्ताओं ने कृषि में मांग-संचालित दृष्टिकोण अपनाने और खाद्य श्रृंखला में पोषण पहलू पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता विकसित करने की भी आवश्यकता बताई।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव (क्रेडिट) श्री अजीत कुमार साहू ने कहा कि कृषि सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) 2030 तक 105 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, और इसलिए मूल्य श्रृंखला का वित्त पोषण महत्वपूर्ण हो जाएगा।
नाबार्ड के अध्यक्ष श्री के.वी. शाजी ने किसानों की वित्तीय पहुंच में सुधार और विश्वसनीय डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “डेटा बैंकों के लिए जागरूक निर्णय लेने और प्रभावी मूल्य श्रृंखला वित्तपोषण प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है।”
बीमा और पीएमएफबीवाई के सीईओ श्री रितेश चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के माध्यम से कृषि क्षेत्र में वित्तीय मजबूती बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कृषि-मूल्य श्रृंखला से संबंधित वित्तपोषण के लिए सरकार के समग्र दृष्टिकोण के तहत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना आवश्यक है।”
इस कार्यशाला ने कृषि वित्तपोषण में जागरूकता बढ़ाने, सहयोग को सुविधाजनक बनाने और समाधान खोजने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया। इसके माध्यम से भारत के कृषि क्षेत्र में परिवर्तनकारी पहलों का मार्ग प्रशस्त हुआ।
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