2024–25 में भारत का जैविक खाद्य निर्यात 3.68 लाख टन, मूल्य 665.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर
19 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: 2024–25 में भारत का जैविक खाद्य निर्यात 3.68 लाख टन, मूल्य 665.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर – भारत के जैविक खाद्य उत्पादों के निर्यात में पिछले पाँच वर्षों के दौरान मात्रा और मूल्य दोनों के स्तर पर उतार–चढ़ाव देखने को मिला है। राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त प्रमाणन संस्थाओं द्वारा ट्रेसनेट पर उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024–25 में भारत से 3.68 लाख मीट्रिक टन जैविक खाद्य उत्पादों का निर्यात हुआ, जिसका कुल मूल्य 665.97 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
2020–21 में भारत ने 8.88 लाख मीट्रिक टन जैविक खाद्य उत्पादों का निर्यात किया था, जिसका मूल्य 1,040.95 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। इसके बाद 2021–22 में निर्यात घटकर 4.60 लाख मीट्रिक टन और मूल्य 771.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया। यह गिरावट 2022–23 में भी जारी रही, जब निर्यात 3.13 लाख मीट्रिक टन और मूल्य 708.33 मिलियन अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया। 2023–24 में यह और घटकर 2.61 लाख मीट्रिक टन और 494.80 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया। हालांकि, 2024–25 में मात्रा और मूल्य दोनों में आंशिक सुधार देखने को मिला।
सरकार के अनुसार, भारत के जैविक खाद्य निर्यात में आई गिरावट के पीछे वैश्विक बाजार में सुस्त मांग, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव, गंतव्य देशों में अस्थायी नियामकीय बदलाव, प्रमाणन से जुड़ी समस्याएँ और बाजार की धारणा जैसे कारण रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ भारत के जैविक उत्पादों के प्रमुख बाजार हैं। अमेरिका को निर्यात के लिए यूएसडीए-एनओपी (USDA National Organic Program) के तहत प्रमाणन अनिवार्य है, जबकि यूरोपीय संघ को प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए ईयू द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाणन संस्थाओं से प्रमाणन आवश्यक होता है। वर्ष 2022 में कुछ प्रमाणन संस्थाओं को सूची से हटाए जाने के कारण प्रमाणन की उपलब्धता सीमित हुई, लेन-देन लागत बढ़ी और इसका असर जैविक खाद्य निर्यात पर पड़ा।
जैविक खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) अपने सदस्य निर्यातकों को निर्यात अवसंरचना के विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसके साथ ही एपीडा राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) को लागू कर रहा है, जिसके अंतर्गत प्रमाणन संस्थाओं को मान्यता देना, जैविक उत्पादन मानक तय करना, जैविक खेती और विपणन को बढ़ावा देना शामिल है। एनपीओपी के तहत उत्पादन, प्रसंस्करण और व्यापार से जुड़े संचालकों को उनके कार्यक्षेत्र के अनुसार प्रमाणित किया जाता है। इसके अलावा, एपीडा देशभर में जैविक क्षेत्र से जुड़े हितधारकों के लिए प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और निर्यात संवर्धन गतिविधियाँ भी आयोजित करता है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (मोफपी) भी प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकरण योजना (पीएमएफएमई) और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) के माध्यम से जैविक खाद्य उत्पादों सहित पूरे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए काम कर रहा है। इन योजनाओं के तहत खेत से लेकर खुदरा स्तर तक आधुनिक अवसंरचना और कुशल आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य, रोजगार के अवसर, कम अपव्यय, प्रसंस्करण स्तर में वृद्धि और जैविक खाद्य निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
यह जानकारी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह ने लोकसभा में लिखित उत्तर के माध्यम से दी।
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