प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: 2025 तक जारी रहेगी, सस्ती डीएपी- जानें कैबिनेट के अहम फैसले
03 जनवरी 2025, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: 2025 तक जारी रहेगी, सस्ती डीएपी- जानें कैबिनेट के अहम फैसले – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है। इस योजना के लिए ₹69,515.71 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। यह फैसला किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने और उनकी आय को सुरक्षित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि बीमा योजना में प्रौद्योगिकी सुधार के लिए ₹824.77 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके तहत नवाचार और प्रौद्योगिकी कोष (FIAT) की स्थापना की जाएगी। नई तकनीकों में उपज अनुमान प्रणाली (YES-TECH) और मौसम सूचना नेटवर्क डेटा सिस्टम (WINDS) शामिल हैं, जो उपज के सही अनुमान और मौसम के सटीक डेटा उपलब्ध कराएंगे।
YES-TECH रिमोट सेंसिंग का उपयोग करते हुए फसल उत्पादन का पूर्वानुमान तैयार करेगा, जबकि WINDS स्वचालित मौसम स्टेशनों के जरिए मौसम संबंधी डेटा उपलब्ध कराएगा। यह प्रणाली राज्य सरकारों को अधिक सटीक और उपयोगी जानकारी प्रदान करेगी। WINDS का कार्यान्वयन 2024-25 में शुरू होगा।
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी में सुधार
श्री चौहान ने यह भी बताया कि पहले राज्य सरकारें फसल बीमा योजना में अपना अंशदान देने में देरी करती थीं, जिससे किसानों को नुकसान होता था। अब केंद्र सरकार ने सुनिश्चित किया है कि उसका अंशदान तुरंत जारी किया जाएगा, जिससे इस समस्या का समाधान होगा।
डीएपी सब्सिडी योजना का विस्तार
मंत्रिमंडल ने डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर एकमुश्त विशेष पैकेज को 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम डीएपी की किफायती उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) नीति के तहत, उर्वरक कंपनियां सब्सिडी के आधार पर कीमत तय करती हैं।
श्री चौहान ने बताया कि 2025 तक की विस्तारित अवधि के लिए ₹3850 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। इस राशि का भुगतान डीएपी की PoS (प्वाइंट ऑफ सेल) बिक्री के आधार पर किया जाएगा। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार उर्वरक समय पर मिले।
गौरतलब है कि इस पैकेज को पहले 31 दिसंबर, 2024 तक मंजूरी दी गई थी, जिसे अब एक साल के लिए बढ़ाया गया है।
भारत-इंडोनेशिया चावल व्यापार समझौता
कृषि क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने के लिए, भारत के सहकारिता मंत्रालय और इंडोनेशिया के व्यापार मंत्रालय के बीच गैर बासमती सफेद चावल (एनबीडब्ल्यूआर) के व्यापार पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी गई है। इस समझौते के तहत, भारत हर साल एक मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात करेगा।
एमओयू की अवधि चार साल की होगी, जिसे स्वचालित रूप से अगले चार साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस व्यापार के संचालन का जिम्मा राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) को सौंपा गया है। एनसीईएल यह सुनिश्चित करेगा कि चावल का स्रोत सहकारी समितियों से हो और बाजार की स्थिरता बनी रहे।
इसके अलावा, एनसीईएल पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से चावल की खरीद सुनिश्चित करेगा, जिससे किसानों और सहकारी समितियों को सीधा लाभ मिलेगा।
किसानों के लिए अगले एक महीने का कार्य लक्ष्य
श्री चौहान ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने अगले एक महीने के लिए अपने लक्ष्यों को निर्धारित कर लिया है। इन लक्ष्यों में किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करना, योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना और किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान देना शामिल है। मंत्रालय इन लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से काम करेगा।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: