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किसानों के लिए जरूरी खबर; सर्दी में फसल को पाले से बचाने के लिए अपनायें यह उपाय

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02 जनवरी 2024, नई दिल्ली: किसानों के लिए जरूरी खबर; सर्दी में फसल को पाले से बचाने के लिए अपनायें यह उपाय – देश के कई राज्यों में सर्दी बढ़ती जा रही हैं। शीतलहर के कारण कोहरा और पाले का असर भी दिखाई देने लगा हैं। कोहरे और पाले से फल, फसल एंव सब्जियों को बहुत नुकसान होता हैं।

दिसंबर और जनवरी माह में फसलो पर सबसे अधिक पाले का प्रकोप होता हैं। पाले के प्रकोप से फसलें सड़कर बर्बाद हो जाती हैं। ऐसी स्थिति  में किसान कुछ सावधानियां बरतकर अपनी फसलों को नुकसान से बचा सकतें हैं।

80 फीसदी से अधिक फसल हो सकती हैं खराब

शीत लहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को थोड़ा या ज्यादा नुकसान होता है। टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियों, पपीता एवं केले के पौधों एवं मटर, चना, अलसी, जीरा, धनिया, सौंफ अफीम आदि फसलों में सबसे ज्यादा 80 से 90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।

पाले से फसल को बचाने के उपाय 

जिस रात्रि पाला पड़ने की सम्भावना हो उस रात्रि 12 से 2 बजे के आस-पास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठण्डी हवा की दिशा में खेतों के किनारों पर बोई हुई फसल के आस-पास मेड़ों पर रात्रि मे कूड़ा-कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फूस को जलाना चाहिए ताकि खेत में धुंआ हो जाये एवं वातावरण मे गर्मी आ जाए। इस विधि से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है।

पौधशालाओं के पौधों एवं सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों व सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन अथवा भूसें से ढक दें। साथ ही वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तरी पश्चिमी दिशा की तरफ बांधें। नर्सरी, किचन गार्डन में उत्तरी पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाये तथा दिन में पुनः हटा दें।

जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी होने पर शीत लहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है। वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल की सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ जाता है।

जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों में फसल पर गन्धक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये। इस हेतु एक लीटर गन्धक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़के व ध्यान रखें कि पौधे पर घोल की फुआर अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी पाला पड़ने की संभावना बनी रहती है तो 15-15 दिन के अन्तराल में गन्धक के तेजाब का छिड़काव करें।

सरसों, गेंहू, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिये गन्धक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है। जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।

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