दूध की कीमतों पर असर? संशोधित गोकुल मिशन की पूरी डिटेल्स यहाँ
20 मार्च 2025, नई दिल्ली: दूध की कीमतों पर असर? संशोधित गोकुल मिशन की पूरी डिटेल्स यहाँ – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को हरी झंडी दिखाई, जिसका मकसद पशुधन क्षेत्र में विकास को गति देना है। इस योजना के लिए 2021-22 से 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान कुल 3400 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है, जिसमें 1000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन शामिल है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
योजना में क्या नया जोड़ा गया?
संशोधित आरजीएम में दो नई पहल शामिल की गई हैं। पहली, 15,000 बछियों के लिए 30 आवासीय बछिया पालन केंद्र बनाने की योजना है, जिसमें कार्यान्वयन एजेंसियों को पूंजीगत लागत का 35% एकमुश्त मदद दी जाएगी। दूसरी, किसानों को उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाली आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहन देना है। इसके तहत दूध संघों, वित्तीय संस्थानों या बैंकों से लिए गए ऋण पर 3% ब्याज छूट दी जाएगी। माना जा रहा है कि इससे दूध देने वाली बेहतर नस्लों को बढ़ावा मिलेगा।
यह योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन की मौजूदा गतिविधियों को भी जारी रखेगी। इसमें वीर्य केंद्रों को मजबूत करना, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क का विस्तार, बैल प्रजनन कार्यक्रम, लिंग-विशिष्ट वीर्य से नस्ल सुधार, कौशल विकास, किसान जागरूकता और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना शामिल है। इसके अलावा केंद्रीय मवेशी प्रजनन फार्मों को भी मजबूती दी जाएगी, हालांकि सहायता के तरीके में कोई बदलाव नहीं होगा।
पिछले 10 साल में कितना बदला?
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक में दूध उत्पादन में 63.55% की बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 307 ग्राम प्रतिदिन थी, जो 2023-24 में बढ़कर 471 ग्राम प्रतिदिन हो गई। इसी अवधि में उत्पादकता में भी 26.34% का इजाफा हुआ। सरकार का दावा है कि ये बदलाव राष्ट्रीय गोकुल मिशन और अन्य प्रयासों का नतीजा हैं।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) 605 जिलों में चल रहा है, जहां आधारभूत एआई कवरेज 50% से कम है। अब तक 8.39 करोड़ से ज्यादा पशुओं को कवर किया गया और 5.21 करोड़ किसानों ने इसका फायदा उठाया। इसके अलावा, 22 इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जिनसे 2541 से ज्यादा उच्च गुणवत्ता वाले बछड़े पैदा हुए। स्वदेशी तकनीक में भी प्रगति हुई है, जैसे गौ चिप और महिष चिप (जीनोमिक चिप्स) और गौ सॉर्ट (लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन तकनीक)।
क्या होगा असर?
इस योजना से दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद है, जिससे किसानों की आमदनी पर असर पड़ सकता है। साथ ही, स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और आईवीएफ जैसी तकनीकों को बढ़ावा मिलेगा। देश में डेयरी उद्योग से जुड़े करीब 8.5 करोड़ किसानों की आजीविका पर भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है। हालांकि, योजना का असली असर जमीन पर लागू होने के बाद ही साफ होगा।
फिलहाल, यह कदम पशुधन क्षेत्र में तकनीकी और आर्थिक बदलाव की दिशा में एक और प्रयास है। आने वाले सालों में इसके नतीजे डेयरी उद्योग की तस्वीर को कितना बदलते हैं, यह देखना बाकी है।
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