एग्रोकेमिकल्स में डेटा प्रोटेक्शन कमेटी पर विवाद: भारतीय किसानों और घरेलू उद्योग पर खतरा?
19 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: एग्रोकेमिकल्स में डेटा प्रोटेक्शन कमेटी पर विवाद: भारतीय किसानों और घरेलू उद्योग पर खतरा? – हाल ही में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित डेटा सुरक्षा समिति पर भारतीय कृषि रसायन उद्योग ने गंभीर आपत्तियां जताई हैं। भारतीय कृषि रसायन निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CCFI) के अध्यक्ष श्री दीपक शाह ने आरोप लगाया कि यह कदम बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) और आयात लॉबी के हितों को बढ़ावा देगा, जिससे घरेलू उद्योग को भारी नुकसान होगा।
श्री शाह ने कहा, “डेटा सुरक्षा का लाभ केवल MNCs और आयात लॉबी को मिलेगा, जबकि स्वदेशी निर्माताओं को नुकसान होगा।” उन्होंने बताया कि CCFI ने 28 नवंबर 2024 को सभी संबंधित मंत्रालयों को एक अभ्यावेदन सौंपा, जिसमें 1968 के कीटनाशक अधिनियम के तहत डेटा सुरक्षा के प्रावधानों की अनुपस्थिति पर ध्यान आकर्षित किया गया और इसके खिलाफ सबूत प्रस्तुत किए गए।
किसानों और घरेलू उद्योग पर असर
श्री शाह ने बताया कि 20 साल की पेटेंट अवधि नवाचार, डेटा विकास, और पंजीकरण पर हुए निवेश को वसूलने के लिए पर्याप्त है। इस अवधि से अधिक डेटा सुरक्षा या विशेषाधिकार प्रदान करना एकाधिकार (monopoly) को बढ़ावा देगा, जिससे कीटनाशकों की कीमतें बढ़ेंगी और छोटे व सीमांत किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
उन्होंने दिसंबर 2021 की एक संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पेटेंट अवधि से अधिक डेटा सुरक्षा की जरूरत नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि 20 साल की पेटेंट अवधि आविष्कारकों को उचित पुरस्कार देती है, जबकि भारतीय किसानों के लिए कीटनाशकों की सुलभता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती है।
“पेटेंट अवधि से अधिक डेटा सुरक्षा के प्रावधान घरेलू निर्माताओं को नुकसान पहुंचाएंगे और हमारे किसानों के लिए कीटनाशक महंगे बना देंगे,” श्री शाह ने कहा।
डेटा एक्सक्लूसिविटी पर ऐतिहासिक सिफारिशें
श्री शाह ने 2015 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की सिफारिशों का उल्लेख किया, जिसमें ड्राफ्ट पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल (PMB) में डेटा एक्सक्लूसिविटी के खतरों की पहचान की गई थी और इसे हटाने की सलाह दी गई थी। मंत्रालय ने कीटनाशक कीमतों पर डेटा एक्सक्लूसिविटी के प्रभाव का अध्ययन करने की सिफारिश की, यह भी बताते हुए कि आयातित उत्पादों पर 200% से अधिक का लाभ मार्जिन होता है।
सीमित पंजीकरण और डेटा सुरक्षा पर सवाल
श्री शाह ने बताया कि पिछले 40 वर्षों में भारत में केवल 339 कीटनाशकों का पंजीकरण हुआ, यानी प्रति वर्ष औसतन 8 पंजीकरण। 2010 से 2022 के बीच 62 नए अणुओं का पेटेंट कराया गया, लेकिन केवल 27 उत्पाद बाजार में लॉन्च किए गए। “ऐसे में उन खत्म हो चुके पेटेंट्स पर डेटा सुरक्षा की जरूरत क्यों है? यह गंभीर सवाल उठाता है कि किसके हित साधे जा रहे हैं,” उन्होंने कहा।
उद्योग की मांग
CCFI ने सरकार से डेटा सुरक्षा पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस विषय पर दोबारा चर्चा करना न केवल स्वदेशी उत्पादों के लॉन्च में बाधा डालेगा, बल्कि बाजार में प्रवेश में देरी करेगा और भारतीय किसानों के लिए लागत बढ़ाएगा।
“सरकार को किसानों के लिए सस्ते और सुलभ कृषि रसायनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि ऐसे एकाधिकारवादी कदमों पर, जो हमारी कृषि की रीढ़ को कमजोर करेंगे,” श्री शाह ने कहा।
भारतीय कृषि रसायन उद्योग की ये चिंताएं नीतियों में संतुलन बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित करती हैं, ताकि घरेलू निर्माताओं का संरक्षण हो और भारतीय किसानों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सस्ती दरों पर मिलते रहें।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: