राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

ICAR ने गेहूं और जौ की 28 नई किस्मों को मंजूरी दी, किसानों को मिलेगा बेहतर उत्पादन और रतुआ रोग से छुटकारा  

13 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: ICAR ने गेहूं और जौ की 28 नई किस्मों को मंजूरी दी, किसानों को मिलेगा बेहतर उत्पादन और रतुआ रोग से छुटकारा – देश के किसानों के लिए खुशखबरी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गेहूं और जौ की 28 नई किस्मों को मंजूरी दे दी है, जो आगामी बुवाई सीजन में किसानों के लिए उपलब्ध होंगी। इन किस्मों में से 23 गेहूं की और 5 जौ की किस्में शामिल हैं। यह मंजूरी ऐसे समय में दी गई है जब गेहूं की बुवाई का मौसम शुरू हो चुका है और किसान बेहतर बीजों की तलाश में हैं, जो उनके उत्पादन को बढ़ावा दे सकें और फसलों को विभिन्न रोगों से बचा सकें। इस नई पहल से किसान रतुआ रोग से बचाव के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक प्रतिरोधी किस्मों का लाभ उठा सकेंगे, जिससे उनकी फसल की सुरक्षा और उत्पादन क्षमता में सुधार होगा।

ICAR के सहायक महानिदेशक एस.के. प्रधान की अध्यक्षता में अगस्त में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में 46 नई किस्मों की समीक्षा की गई थी, जिनमें से 28 को अंतिम मंजूरी दी गई। इन किस्मों में 23 गेहूं की और जौ की 5 किस्में शामिल हैं, जिन्हें सरकारी संस्थाओं और निजी कंपनियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इस चयन में विशेष रूप से पीबीडब्ल्यू 915 और पीबीडब्ल्यू 906 जैसी गेहूं की किस्में शामिल हैं, जो उत्तर-पूर्वी और मध्य भारत में रतुआ रोग के प्रति उच्च प्रतिरोध और बेहतर उपज क्षमता के लिए जानी जाती हैं।

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कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जताई ये चिंता 

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर चिंता जताई है कि किसानों द्वारा कुछ किस्मों को व्यावसायिक स्तर पर अपनाया नहीं जाता, जबकि वे मान्यता प्राप्त होती हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि आखिरकार ऐसी किस्मों को व्यावसायिक रूप से क्यों जारी किया जाता है जिन्हें किसान नहीं अपनाते। उनका मानना है कि किस्मों के अनुमोदन में अधिक पारदर्शिता और सावधानी बरती जानी चाहिए, ताकि केवल उन बीजों को ही मंजूरी मिले, जो किसानों के लिए व्यावसायिक दृष्टिकोण से उपयुक्त हों।

PAU और IIWBR की किस्मों को मंजूरी

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने कुल चार गेहूं किस्मों के लिए मंजूरी की मांग की थी, जिनमें से दो – पीबीडब्ल्यू 906 और पीबीडब्ल्यू 915 को मंजूरी मिल गई। पीबीडब्ल्यू 915 को विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना गया है, जहां यह रतुआ रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उपज प्रदान करता है। वहीं, पीबीडब्ल्यू 906 मध्य भारत में बेहतर उत्पादन के लिए उपयुक्त साबित हुआ है। इसके अलावा, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) द्वारा पेश की गई जौ की तीन किस्मों को भी मंजूरी दी गई है, जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत है।

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भारत में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का गेहूं उत्पादन वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 117.51 मिलियन टन रहने की उम्मीद है, जिसमें से 30 मिलियन टन की सरकारी खरीद भी शामिल होगी। सरकार का इस वर्ष 119 मिलियन टन का उत्पादन लक्ष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर बीजों की मंजूरी और उच्च उपज देने वाली किस्मों का चयन किसानों को इस लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगा। नई किस्मों के अनुमोदन से बीज कंपनियों को समय पर प्रजनक बीजों की खेती शुरू करने का अवसर मिलेगा, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सकेगी।

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