डीएपी की कमी की वर्तमान चुनौती का समाधान कैसे करें ?
लेखक: विवेक रस्तोगी, असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट, फील्ड मार्केटिंग,एसएमएल लि.
29 नवंबर 2024, नई दिल्ली: डीएपी की कमी की वर्तमान चुनौती का समाधान कैसे करें ? – भारत के किसान इन दिनों डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। डीएपी फसलों के लिए एक महत्वपूर्ण उर्वरक है, जो नाइट्रोजन (18%) और फॉस्फोरस (46%) प्रदान करता है, ये दोनों पौधों की वृद्धि और उत्पादन के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं। किसान बेहतर उत्पादन और फसलों के विकास के लिए डीएपी पर निर्भर रहते हैं। लेकिन वर्तमान में डीएपी की कमी के कारण कृषि समुदाय में चिंता बढ़ गई है।
फॉस्फोरस पौधों की जड़ों के विकास, ऊर्जा हस्तांतरण और पौधों की प्रारंभिक वृद्धि के लिए आवश्यक है, जो फसल उत्पादन की नींव रखता है। वहीं, नाइट्रोजन पत्तियों की वृद्धि और प्रोटीन संश्लेषण को बढ़ावा देता है, जो पौधों की मजबूती और सहनशक्ति के लिए जरूरी है। ऐसे में जब डीएपी की आपूर्ति सीमित हो, तो फसलों तक नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक रणनीतियों की आवश्यकता होती है।
डीएपी की सीमित आपूर्ति में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता सुनिश्चित करना: मिट्टी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता पौधों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मिट्टी का पीएच मान (PH Value), जैविक पदार्थ, सूक्ष्मजीव गतिविधि और मिट्टी की बनावट जैसे कारक इन पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करते हैं। सर्वेक्षणों से पता चला है कि भारतीय मिट्टी का एक बड़ा हिस्सा पोषक तत्वों के असंतुलन के कारण क्षारीय हो गया है। क्षारीय मृदा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का अवशोषण कम हो जाता है।
इस समस्या का समाधान करने में सल्फर अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि यह मिट्टी के पीएच मान (PH Value) को कम करता है और इन पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाता है। पोषण को संतुलित कर और Fertis, Techno-Z, Sulane&-Z जैसे सल्फर-युक्त उर्वरकों का उपयोग कर किसान पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बना सकते हैं और डीएपी पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं। भले ही किसान डीएपी की मात्रा कम करें, लेकिन Fertis, Techno-Z, Sulane&-Z जैसे सल्फर उर्वरकों का उचित मात्रा में उपयोग करके नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है।
पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने में सल्फर की भूमिका: सल्फर एक ऐसा प्रमुख पोषक तत्व है जो मिट्टी के पीएच मान (PH Value ) को समायोजित करके और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाकर पौधों के लिए नाइट्रोजन और फॉस्फोरस को अधिक सुलभ बनाता है। सल्फर-युक्त उर्वरक जैसे फ़र्टिस, टेक्नो-ज़ेड और सलानेक्स-ज़ेड किसान को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। आइए समझते हैं कि सल्फर पोषक तत्वों की उपलब्धता को कैसे बढ़ाता है-
नाइट्रोजन का बेहतर उपयोग: सल्फर अमीनो एसिड (जैसे सिस्टीन और मेथिओनिन) के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। पर्याप्त सल्फर की मात्रा पौधों को अधिक अमीनो एसिड बनाने में मदद करता है, जिससे प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक तत्व नाइट्रोजन का प्रभावी उपयोग होता है। नाइट्रोजन और सल्फर की संतुलित आपूर्ति नाइट्रोजन चयापचय (द्वद्गह्लड्डड्ढशद्बद्यह्यद्व) को बढ़ाती है। यदि सल्फर पर्याप्त नहीं है, तो नाइट्रोजन का अवशोषण सीमित हो जाता है, जिससे पौधों में अनुपयोगी नाइट्रोजन यौगिक जमा हो जाते हैं।
फॉस्फोरस का अवशोषण और चयापचय (Metaboism): सल्फर पौधों के जड़ विकास में सहायता करता है, जिससे पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए जड़ों की सतह क्षेत्र बढ़ता है। यह फॉस्फोरस के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो मिट्टी में कम गतिशील होता है और प्रभावी अवशोषण के लिए विस्तृत जड़ प्रणाली पर निर्भर करता है। सल्फर जड़ क्षेत्र के आसपास जैविक अम्ल उत्पादन में सहायता करता है, जो मृदा को अम्लीय बनाता है और फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है।
प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) व ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि : सल्फर सह-एंजाइम (जैसे कोएंजाइम ए और आयरन-सल्फर प्रोटीन) का एक अनिवार्य घटक है, जो प्रकाश संश्लेषण और ऊर्जा चयापचय को संचालित करते हैं। बेहतर प्रकाश संश्लेषण, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मांग को बढ़ाता है, जो एटीपी और डीएनए/आरएनए के निर्माण के लिए आवश्यक है।
अध्ययनों से पता चलता है कि सल्फर की संतुलित आपूर्ति अनाज, दालों और तिलहन सहित विभिन्न फसलों में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के अवशोषण को बढ़ाती है। इसके विपरीत, सल्फर की कमी इन पोषक तत्वों के अवशोषण को बाधित कर सकती है, भले ही ये मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों।
वर्तमान डीएपी कमी की स्थिति में समाधान: सल्फर प्रदान करने वाले उर्वरक (जैसे फ़र्टिस, टेक्नो-ज़ेड और सलानेक्स-ज़ेड) डीएपी की कमी की स्थिति में एक व्यवहारिक समाधान प्रदान करते हैं। नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता में सुधार करके, ये उत्पाद पौधों को अधिक मजबूत तरीके से विकसित करने में मदद करते हैं, फसल की पैदावार को बढ़ाते हैं और कृषि प्रणाली को अधिक लचीला बनाते हैं।
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