राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

शहद मिशन की आरई-एचएबी परियोजना से किसानों की फसलों पर हाथियों के हमलों की रोकथाम होगी

21 जनवरी 2023, नई दिल्ली: शहद मिशन की आरई-एचएबी परियोजना से किसानों की फसलों पर हाथियों के हमलों की रोकथाम होगी -खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने आरई-एचएबी (मधुमक्खियों का उपयोग करके हाथियों के मानव पर होने वाले हमलों को कम करना) परियोजना के तहत कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ स्थित सुलिया में प्रशिक्षित लाभार्थियों को जीवंत मधुमक्खी कालोनियों, मधुमक्खी पालन उपकरण और 200 मधुमक्खी-बक्से वितरित किए। आरई-एचएबी  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शहद मिशन कार्यक्रम के तहत एक पहल है |

आरई-एचएबी परियोजना के तहत हाथियों के मानव आवासों में उनके प्रवेश को रोकने के लिए उनके मार्ग में मधुमक्खियों के बक्सों को स्थापित करके “मधुमक्खी-बाड़ें” बनाई जाती हैं। इन बक्सों को एक तार से जोड़ा जाता है, जिससे हाथियों के झुण्ड का वहां से गुजरने का प्रयास करने पर एक खिंचाव के कारण मधुमक्खियां हाथियों के बीच में आ जाती हैं और उन्हें आगे बढ़ने से रोकती हैं।

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शहद मिशन की आरई-एचएबी परियोजना से किसानों की फसलों पर हाथियों के हमलों की रोकथाम होगी

यह जानवरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना मानव-पशु टकराव को कम करने का एक सस्ता तरीका है। यह वैज्ञानिक रूप से दर्ज किया गया है कि हाथी मधुमक्खियों के झुण्ड से डरते हैं, जो उनके सूंड और आंखों के संवेदनशील अंदरूनी हिस्से को काट सकती हैं। मधुमक्खियों की सामूहिक भनभनाहट हाथियों को परेशान करती है, जो उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर देती है।

इस अवसर पर श्री मनोज कुमार ने कहा, “यह देखा गया कि मधुमक्खियाँ किसानों को उनके कृषि क्षेत्रों में हाथियों के अतिक्रमण को रोकने और उन्हें नष्ट करने में मदद करती हैं। इतना ही नहीं, उस स्थिति में कुछ कीमती जानें भी चली जाती हैं। इसके लिए केवीआईसी ने एक पहल के रूप में कोडागु जिले के पोन्नमपेट स्थित वानिकी कॉलेज की तकनीकी सहायता से एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की और इसके परिणाम उत्साहजनक रहे। इसे देखते हुए कर्नाटक के अलावा असम, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे अति वांछित राज्यों में ऐसी 6 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।”

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आरई-एचएबी के तहत किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा हाथियों को खेतों में घुसने से रोकने के लिए इनमें से हर एक किसान को हाथी गलियारों में लगाने के लिए 10 मधुमक्खी बक्से दिए जाते हैं। पोन्नमपेट में इस प्रायोगिक परियोजना के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना ने बढ़े हुए परागण और शहद की मात्रा के कारण कृषि उत्पादन बढ़ाने में भी सहायता की है।

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इस अवसर पर उन्होंने केवीआईसी की पीएमईजीपी योजना के बारे में भी बताया कि इसके लिए ऋण सीमा को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया है ।

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