जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकार की बड़ी पहल: किसानों के लिए नई तकनीकी योजनाएं शुरू
05 अगस्त 2024, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकार की बड़ी पहल: किसानों के लिए नई तकनीकी योजनाएं शुरू – केंद्रसरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और कृषि को अधिक लचीला बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। यह मिशन, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के तहत भारतीय कृषि को बदलते मौसम के अनुकूल बनाने के लिए रणनीति विकसित कर रहा है।
जल और खाद्य सुरक्षा पर विशेष जोर
एनएमएसए के तहत “प्रति बूंद अधिक फसल” योजना से खेतों में जल उपयोग दक्षता को सुधारने और सूक्ष्म सिंचाई जैसी जल बचत तकनीकों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा, परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) के जरिए देश में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।जैविक उर्वरकों सहित जैविक इनपुट का उपयोग करने के लिए किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की सुविधा प्रदान की जाती है। पीकेवीवाई को पूरे देश में उत्तर पूर्वी (एनई) राज्यों के अलावा अन्य सभी राज्यों में लागू किया जा रहा है। वहीं, एमओवीसीडीएनईआर योजना को विशेष रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों में की जा रही है।
जलवायु अनुकूल कृषि के लिए नई पहल
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) परियोजना शुरू की है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन और फसलों, पशुधन, बागवानी, मत्स्यपालन में अनुकूल टेक्नोलॉजी को विकसित करना है। पिछले 10 वर्षों में आईसीएआर ने 2593 नई फसलों की किस्में जारी की हैं, जिनमें से 2177 किस्में जलवायु परिवर्तन के दबावों के प्रति सहनशील हैं।
जलवायु परिवर्तन पर कृषि प्रधान 651 जिलों में जलवायु परिवर्तन के जोखिम और संवेदनशीलता का आकलन किया जाता है। कुल 109 जिलों को ‘बहुत अधिक’ और 201 जिलों को ‘अत्यधिक’ संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। किसानों को जागरूक बनाने और उन्हें अनुकूलित तकनीकों को अपनाने के लिए “जलवायु लचीले गांव” (सीआरवी) की अवधारणा शुरू की गई है।
जलवायु अनुकूलन प्रौद्योगिकियों जैसे कि- अनुकूल अंतर-फसलन प्रणाली, संरक्षित कृषि, धान के स्थान पर दलहन, तिलहन जैसी अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती, कृषि वानिकी प्रणाली, धान की खेती के वैकल्पिक तरीके (चावल सघनीकरण प्रणाली, एरोबिक चावल, प्रत्यक्ष सीडेड चावल), सूक्ष्म सिंचाई विधि (ड्रिप और स्प्रिंकलर) आदि विकसित की गई है । यह जानकारी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने गत दिवस राज्यसभा में दी।
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