राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

कीटनाशक थायाक्लोप्रिड पर EU की सख्ती: चावल और चाय के किसानों के लिए नई चुनौती!

15 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: कीटनाशक थायाक्लोप्रिड पर EU की सख्ती: चावल और चाय के किसानों के लिए नई चुनौती! – भारतीय चावल और चाय के निर्यातकों को यूरोपीय संघ (EU) द्वारा थायाक्लोप्रिड के अवशेषों पर लगाए गए सख्त नियमों के कारण नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने भारतीय चावल निर्यातकों को सलाह दी है कि वे EU के नए अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) नियमों का पालन करें, जिससे निर्यात में कोई रुकावट न आए।

थायाक्लोप्रिड: चावल और चाय दोनों के लिए अहम कीटनाशक

थायाक्लोप्रिड एक कीटनाशक है जिसका उपयोग मुख्य रूप से चावल में तना छेदक (स्टेम बोरर) और चाय की फसलों में कीट नियंत्रण के लिए किया जाता है। हालांकि, EU ने इसकी अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) को 0.01 mg/kg कर दिया है, जो 12 मई, 2025 से लागू होगी।

यूरोपीय आयोग ने थायाक्लोप्रिड के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया है। इसके कारण लीवर डैमेज, थायरॉयड की समस्याएं, प्रजनन क्षमता पर असर और क्रोमोसोम असमानताएं हो सकती हैं। EU का मानना है कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए अब इसे लगभग पूरी तरह प्रतिबंधित करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं

क्या भारत के किसानों पर पड़ेगा असर?

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चावल की खेती में थायाक्लोप्रिड का इस्तेमाल बहुत अधिक नहीं होता, इसलिए इस नियम का प्रभाव सीमित रह सकता है। हालांकि, चाय उद्योग के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि थायाक्लोप्रिड का उपयोग चाय बागानों में काफी अधिक किया जाता है

APEDA का यह परिपत्र ऐसे समय में जारी हुआ है जब EU के कृषि और खाद्य आयुक्त क्रिस्टोफ़ हेंसन ने संकेत दिए हैं कि यूरोप खाद्य और कृषि उत्पादों के आयात पर और भी सख्त नियम लागू कर सकता है। इससे भविष्य में चावल और चाय दोनों के निर्यातकों को और अधिक सख्त जांच का सामना करना पड़ सकता है

फ्रांस ने बढ़ाई सख्ती, निर्यातकों को रहना होगा सतर्क

फ्रांस ने 6 मार्च, 2024 को थायाक्लोप्रिड को लेकर सबसे पहले सख्त मानक लागू किए। चूंकि फ्रांस भारतीय चावल और चाय के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है, इसलिए APEDA ने निर्यातकों को सलाह दी है कि वे EU के नए नियमों का पालन करें, अन्यथा निर्यात को अस्वीकार किए जाने का जोखिम बढ़ सकता है

APEDA ने अपने परिपत्र में कहा, “इस अधिसूचना के लागू होने के बाद, चावल में थायाक्लोप्रिड का अवशेष बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।”

अब किसानों और निर्यातकों के लिए आगे क्या?

EU के बढ़ते नियमों के चलते भारतीय किसानों और निर्यातकों के सामने गुणवत्ता मानकों का पालन करने की एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। खासकर चाय उत्पादकों को अपनी फसल में कीटनाशकों के विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं ताकि वे यूरोपीय बाजारों तक अपनी पहुंच बनाए रख सकें।

अब सवाल यह है कि क्या भारतीय कृषि उद्योग इन नए मानकों के अनुसार खुद को ढाल पाएगा, या फिर चावल और चाय के निर्यात पर असर पड़ेगा? आने वाले महीने इस दिशा में काफी अहम साबित होंगे।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements