सफलता की कहानी: खजूर की खेती से कमाएं लाखों रुपए
18 सितम्बर 2024, भोपाल: सफलता की कहानी: खजूर की खेती से कमाएं लाखों रुपए – आज कई किसान खेती को लाभकारी व्यवसाय के रूप में करने लगे हैं, इससे उन्हें लाभ भी हो रहा है। ऐसे कई किसान हैं जिन्होंने परंपरागत खेती से हटकर बागवानी खेती की ओर ध्यान दिया और इससे आज काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इन्हीं किसानों में एक किसान गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के अमरेली जिले के वाडिया कुकावाव तहसील के देवलकी गांव के किसान संजय भाई डोबरिया है जो बागवानी फसलों की खेती करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। आज वे बागवानी फसलों से अच्छी कमाई के लिए क्षेत्र में जाने जाते हैं। उनसे प्रेरणा लेकर कई किसान पारंपरिक खेती के साथ ही बागवानी फसलों की खेती भी करने लगे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसान संजय डोबरिया ने आठ साल पहले बागवानी फसलों की खेती करने का निर्णय लिया था और इसकी शुरुआत उन्होंने खजूर की खेती से की। आज वे खजूर की खेती से लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। उनके बागान में एक हेक्टेयर में खजूर के 120 पेड़ लगे हुए हैं। इजरायली कच्ची खजूर की किस्म के एक पेड़ से उन्हें 100 से 150 किलोग्राम तक पैदावार मिलती है जिसकी बाजार में कीमत करीब 18 लाख रुपए है। यदि खेती और मजदूरी का खर्च निकाल दिया जाए तो उन्हें 10 लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है।
किसान संजय भाई के मुताबिक पहले वे भी पारंपरिक खेती किया करते थे। उसी दौरान वे कच्छ घूमने गए थे। वहां उन्होंने खजूर की खेती को देखा और वहीं से ही उन्होंने खजूर की खेती करने का मन बना लिया। कच्छ के किसानों से प्रेरणा लेकर उन्होंने अमरेली जिले में कच्चे खजूर की खेती करने की शुरुआत की। शुरुआत में उन्होंने खजूर के 120 पौधे लगाए। उन्होंने बताया कि उन्हें खजूर की खेती करने के लिए सरकार की ओर से 16,000 रुपए की सब्सिडी भी मिली थी। उनका कहना है कि यदि किसान बागवानी फसलों की खेती की ओर ध्यान दें तो इससे काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
पूरे देश में गुजरात के कच्छ जिले में सबसे अधिक खजूर की खेती की जाती है। यह जिला खजूर की खेती के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा अमरेली में अभी 50 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खजूर की खेती की जा रही है। राज्य सरकार और कृषि विभाग की ओर से किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें सब्सिडी भी दी जा रही है। सरकारी अनुदान मिलने से उन्हें प्रति हैक्टेयर दो लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है।
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