National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

 रबी से ही शुरू हो सकता है जीएम सरसों का उत्पादन

Share

01 नवम्बर 2022, नई दिल्ली: रबी से ही शुरू हो सकता है जीएम सरसों का उत्पादन – राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) और ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टास) के वैज्ञानिकों ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) अगले 10 से 15 दिनों में रबी मौसम में ही नए आनुवांशिक रूप से परिवर्तित संकर किस्म की सरसों डीएमएच-11 के अध्ययन और बड़े पैमाने पर बीज उत्पादन करने की स्थिति में हो सकती है। दोनों संगठनों ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि परीक्षण के लिए जीईएसी की मंजूरी और बाद में दीपक पेंटल जो सरसों की संकर किस्म के मुख्य आवेदकों में एक हैं उनको पत्र लिखना यह साबित करता है कि अब और किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है और चीजें आसानी से आगे बढ़ सकती हैं।

हालांकि एक आधिकारिक स्पष्टीकरण में बताया गया कि जीईएसी ने मंजूरी दी है, न कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने। नास और टास देश के शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय हैं जो नीति समर्थन और थिंक टैंक के रूप में भी काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सरसों उगाने वाले प्रमुख राज्यों जैसे : राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में आगे के अध्ययन किए जा सकते हैं।

कृषि मंत्रालय के तत्वावधान में आईसीएआर, भारत में कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के लिए एक शीर्ष निकाय है। इसके तहत लगभग 111 संस्थान और 71 विश्वविद्यालय कार्य करते हैं। वर्तमान में भारत में वाणिज्यिक खेती के लिए बीटी-कॉटन एकमात्र गैर-खाद्य फसल है।

नास के अध्यक्ष टी महापात्र ने कहा, ‘वर्तमान में, लगभग 10 किलो मदर डीएमएच -11 बीज उपलब्ध है, जिसमें से लगभग 2 किलो भरतपुर में आईसीएआर के रैपसीड और सरसों निदेशालय द्वारा पहले ही सोर्स किया जा चुका है,

जीएम सरसों की मंजूरी पर खाद्य तेल कंपनियों की मिली जुली राय

आनुवांशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) सरसों के बीज से सीधे प्रभावित होने वाली खाद्य तेल कंपनियों ने जेनेटिक इंजीनियरिंग आकलन समिति द्वारा दी गई  परीक्षण की मंजूरी पर मिली जुली राय व्यक्त की है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  से संबद्ध भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने मंजूरी का विरोध किया है। वामपंथी झुकाव वाली अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) इसके समर्थन में है। उसने कहा है कि उसका आनुवंशिक परिवर्तन के प्रति विरोध नहीं है, लेकिन वह चाहता है कि इसका परीक्षण भारतीय परिस्थितियों में किया जाए।  उद्योग के एक वर्ग ने इस मंजूरी का स्वागत किया है, लेकिन दूसरे वर्ग को जीएम सरसों की उपयोगिता पर संदेह है और उन्हें लगता है कि इससे तेल प्रसंस्करण इकाइयों और छोटे किसानों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। 

महत्वपूर्ण खबर: आज का सरसों मंडी रेट (31 अक्टूबर 2022 के अनुसार)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *