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फोर्टिफाइड चावल: सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने की केंद्र की महत्त्वाकांक्षी योजना

फोर्टिफाइड चावल के जरिए कुपोषण की चुनौती का सामना, 21,000 चावल मिलों में उपकरण स्थापित

18 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: फोर्टिफाइड चावल: सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने की केंद्र की महत्त्वाकांक्षी योजना – केंद्र सरकार ने देश में कुपोषण से निपटने के लिए एक अहम पहल के तहत फोर्टिफाइड चावल के वितरण को जारी रखने की मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल अब दिसंबर 2028 तक उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार का यह कदम सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, विशेष रूप से आयरन की कमी से निपटने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जो देश की बड़ी आबादी को प्रभावित करती है।

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वैज्ञानिक प्रमाणों का समर्थन

कई वैज्ञानिक अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि फोर्टिफाइड चावल का सेवन सभी लोगों के लिए सुरक्षित है, चाहे वे थैलेसीमिया या सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित हों। 2018 के खाद्य सुरक्षा और मानक (फोर्टिफिकेशन) विनियम के तहत, पहले इन रोगों से पीड़ित लोगों के लिए फोर्टिफाइड चावल की पैकेजिंग पर विशेष सलाह दी जाती थी। लेकिन हाल के अध्ययनों में यह स्पष्ट हुआ कि फोर्टिफाइड चावल से आयरन का सेवन इन बीमारियों वाले मरीजों के लिए कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं पैदा करता है। इसलिए, इस विशेष सलाह को हटाने की सिफारिश की गई, जिसे भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने जुलाई 2024 में आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया।

भारत में चावल फोर्टिफिकेशन का तेजी से विस्तार

भारत ने फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम को 2019 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया था, और अब यह देश भर में लागू हो चुका है। इस पहल का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति को सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त चावल मिले, जिससे कुपोषण और आयरन की कमी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जा सके। फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जिनके अनुसार उन देशों में चावल का फोर्टिफिकेशन आवश्यक है, जहाँ चावल मुख्य खाद्य पदार्थ है। भारत में, जहाँ 65 प्रतिशत लोग चावल का नियमित रूप से सेवन करते हैं, फोर्टिफाइड चावल बेहद उपयुक्त साबित हो रहा है।

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देश में चावल फोर्टिफिकेशन की गति को और तेज़ी से बढ़ाया गया है। 30,000 सक्रिय चावल मिलों में से 21,000 से अधिक मिलों ने फोर्टिफिकेशन के लिए ब्लेंडिंग उपकरण स्थापित कर लिए हैं, जिससे प्रति माह 223 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन संभव हो पाया है। इसके अलावा, 1,023 फोर्टिफाइड राइस कर्नेल निर्माता और 232 प्रीमिक्स आपूर्तिकर्ता इस प्रक्रिया का हिस्सा बन चुके हैं, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता भारत की जरूरतों से कहीं अधिक है।

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वैश्विक फोर्टिफिकेशन का समर्थन

विश्व स्तर पर चावल फोर्टिफिकेशन को व्यापक समर्थन प्राप्त है। ग्लोबल फोर्टिफिकेशन डेटा एक्सचेंज के अनुसार, 18 देशों में चावल फोर्टिफिकेशन की अनुमति है, जबकि 147 देश नमक फोर्टिफिकेशन, 105 गेहूं के आटे और 43 तेल के फोर्टिफिकेशन का समर्थन करते हैं। भारत ने भी इस वैश्विक अभ्यास को अपनाया है और देश भर में फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू कर दिया है, जिसमें झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है।

कुपोषण से लड़ने की राष्ट्रीय रणनीति

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत हर साल 520 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल खरीदा जा रहा है। यह फोर्टिफाइड चावल देश की कुपोषण की समस्या को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में भारत का यह प्रयास वैश्विक मानकों के अनुरूप है और इसके परिणामस्वरूप देश के गरीब और कुपोषित लोगों को पोषण युक्त भोजन प्राप्त हो रहा है।

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