शहरी भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण के लिए नई तकनीकों पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का संबोधन
22 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: शहरी भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण के लिए नई तकनीकों पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का संबोधन – शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को आधुनिक तकनीकों के जरिए बेहतर और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में मंत्री ने शहरी भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण और पुनःसर्वेक्षण में प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित किया।
श्री चौहान ने कहा, “अर्बन डेवलपमेंट के लिए व्यवस्थित और सटीक भूमि अभिलेखों की बहुत आवश्यकता है। डिजिटल लैंड रिकॉर्ड्स से न केवल भूमि विवादों में कमी आएगी, बल्कि सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान भी अधिक प्रभावी तरीके से हो सकेगी।” उन्होंने बताया कि 2016 में शुरू किए गए डिजिटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण प्रोग्राम के माध्यम से अब तक 6.26 लाख भूमि अभिलेखों और 223 लाख मानचित्रों का डिजिटलीकरण पूरा किया जा चुका है। 5000 से अधिक उप-पंजीयक कार्यालय भी कंप्यूटरीकृत किए गए हैं।
नेशनल जियो-स्पेशियल लैंड सर्वे प्रोजेक्ट पर जोर
शहरी भूमि प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से सरकार ने नेशनल जियो-स्पेशियल नॉलेज-बेस्ड लैंड सर्वे ऑफ अर्बन हेबिटेशन्स (NAKSHA) नामक पायलट परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना के तहत 130 शहरों में एक साल के भीतर ड्रोन और लिडार तकनीक के जरिए सर्वेक्षण किया जाएगा। श्री चौहान ने बताया, “प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से तैयार इमेजरी से न केवल मास्टर प्लानिंग में सुधार होगा, बल्कि जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन की योजनाओं को भी सटीक रूप दिया जा सकेगा।”
मंत्री ने बताया कि संपत्ति कर और शहरी प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए जीआईएस आधारित भूमि रिकॉर्ड सिस्टम को लागू करने पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने इस साल के बजट में राज्यों को 5000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन का प्रावधान भी किया है ताकि वे शहरी क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में सुधार कर सकें। “यह कदम शहरी नागरिकों के जीवन को आसान बनाने और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को बढ़ावा देने में मदद करेगा,” श्री चौहान ने कहा।
मध्यप्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता
मंत्री ने मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि 34 शहरों में ड्रोन से सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है और 12 शहरों में ऑर्थो रेक्टिफाइड इमेजरी (ORI) तैयार की जा चुकी है। यह डेटा शहरों के मास्टर प्लान और ड्रेनेज रिकॉर्ड तैयार करने में उपयोगी साबित होगा।
इस कार्यशाला में कई विदेशी और तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनसे भूमि प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की गई। मंत्री ने कहा, “दुनियाभर के विशेषज्ञों से मिली जानकारियां हमें आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल में मदद करेंगी और भारत में भूमि प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाएंगी।”
भविष्य के लिए योजनाएं
कार्यशाला के दौरान भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी ने बताया कि इस पायलट परियोजना में सर्वे ऑफ इंडिया तकनीकी साझेदार के रूप में काम कर रहा है। इस सर्वे के जरिए राज्यों के राजस्व और शहरी विभाग अपने भूमि रिकॉर्ड को अपडेट कर सकेंगे और मास्टर प्लानिंग में तेजी आएगी।
कार्यशाला के अंत में मंत्री ने राज्यों से अपील की कि वे भूमि प्रशासन में सुधार के लिए सहयोग दें और चर्चा में सक्रिय भागीदारी निभाएं। उन्होंने विश्वास जताया कि यह पहल शहरी विकास को गति देने और नागरिकों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने में मददगार साबित होगी।
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