यूरोपीय संघ ने तीन जीएम मक्का किस्मों को दी मंजूरी – वैश्विक कृषि नीतियों पर पड़ सकता है असर
21 अप्रैल 2025, ब्रुसेल्स: यूरोपीय संघ ने तीन जीएम मक्का किस्मों को दी मंजूरी – वैश्विक कृषि नीतियों पर पड़ सकता है असर – यूरोपीय आयोग (European Commission) ने तीन जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) मक्का किस्मों के आयात और उपयोग को मंजूरी दे दी है, जिससे अब इनका इस्तेमाल यूरोपीय संघ (EU) में पशु आहार और मानव खाद्य उत्पादों में किया जा सकेगा। हालांकि, इन किस्मों की खेती EU में अब भी प्रतिबंधित रहेगी।
यह निर्णय तब आया जब EU सदस्य देश इन किस्मों को मंजूरी देने या खारिज करने पर आवश्यक बहुमत से निर्णय नहीं ले सके। ऐसे में आयोग ने कानूनी जिम्मेदारी निभाते हुए अंतिम निर्णय लिया।
आयोग के अनुसार, इन तीनों जीएम मक्का किस्मों की यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA) द्वारा कठोर वैज्ञानिक जांच की गई, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि इनका मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है।
ये मंजूरी 10 वर्षों के लिए वैध होगी, और इसके अंतर्गत EU की कड़ी लेबलिंग और ट्रैसेबिलिटी नियमों का पालन खाद्य श्रृंखला में हर स्तर पर अनिवार्य होगा।
हालांकि आयोग ने जिन जीएम मक्का किस्मों को मंजूरी दी है, उनके नाम दस्तावेज़ों में सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन इस फैसले का असर यूरोप से बाहर भी महसूस किया जा सकता है।
क्या बदलेगा वैश्विक रुख?
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोपीय संघ का यह फैसला उन देशों पर दबाव बना सकता है जो अब तक GM फसलों को लेकर सतर्क या प्रतिबंधात्मक रवैया अपनाए हुए हैं। जो देश EU को एक रेगुलेटरी बेंचमार्क के रूप में देखते हैं, वे अब विज्ञान आधारित नीतियों की ओर झुकाव दिखा सकते हैं।
भारत, जो विश्व की सबसे बड़ी कृषि आधारित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, उन देशों में शामिल है जिन पर इस फैसले का असर पड़ सकता है। भारत में फिलहाल केवल GM कपास की अनुमति है, और अन्य GM फसलों को लेकर नीति-निर्माण की प्रक्रिया धीमी रही है। लेकिन जलवायु चुनौतियों और खाद्य सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता के बीच, EU की यह मंजूरी भारत सहित कई देशों में नई बहस और नीति परिवर्तन की संभावनाएं बढ़ा सकती है।
जीएम तकनीक क्या है?
मनुष्यों ने सदियों से वांछनीय गुणों वाले पौधों और जानवरों का चयन कर नई किस्में विकसित की हैं। आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी इस प्रक्रिया को और सटीक बनाती है, जिसमें किसी जीव के जीन में बदलाव कर उसे विशेष गुण प्रदान किए जाते हैं — जैसे कीट प्रतिरोधक क्षमता, सूखा सहनशीलता, अधिक उत्पादन या पोषण में सुधार।
ऐसे जीवों को जेनेटिकली मॉडिफाइड ऑर्गेनिज्म (GMO) कहा जाता है, और जब इनका उपयोग खाद्य या पशु आहार में होता है तो उन्हें GM खाद्य या आहार कहा जाता है।
यूरोपीय संघ का यह फैसला दर्शाता है कि यदि उचित निगरानी और सख्त मानकों के साथ किया जाए, तो GM तकनीक वैश्विक खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता में अहम भूमिका निभा सकती है।
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