राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

विकसित कृषि संकल्प अभियान की सफलता पर संशय

21 मई 2025, नई दिल्ली: विकसित कृषि संकल्प अभियान की सफलता पर संशय – देश भर में आगामी 29 मई से 12 जून 2025 तक देश भर के 700 से अधिक जिलों में किसानों से संवाद के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ चलाया जाएगा। इस अभियान के दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारी, स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ टीम बनाकर प्रतिदिन अलग-अलग गांवों में जाकर किसानों से सीधे संवाद कर कृषि का जायजा लेंगे। इस अभियान में राज्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन विभागों, आत्मा के अधिकारी, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली से जुड़े पौध संरक्षण अधिकारियों के साथ प्रगतिशील किसान, कृषि उद्यमी, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और स्वयं सहायता समूहों के सदस्य भी शामिल होंगे। अभियान के दौरान वे किसानों की खेती किसानी से सम्बंधित समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर उनका निराकरण करने के साथ उन्हें जरूरी सलाह भी देंगे। अभियान में चार-चार वैज्ञानिकों की टीमें, किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझाई गई विभिन्न फसलों में संतुलित खादों के प्रयोग के लिए जागरूक और शिक्षित करेगी। किसानों को उन्नत तकनीकों, नई किस्मों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी तथा उन्हें प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाएगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गनिर्देशन में आयोजित यह अभियान आधुनिक और आदर्श खेती के साथ ही ‘एक देश, एक कृषि, एक टीमÓ की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। अभियान के दौरान कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रदर्शन भी किया जाएगा। साथ ही धान की सीधी बुवाई, फसल विविधीकरण, सोयाबीन की फसल में मशीनीकरण जैसी उन्नत तकनीकों के बारे में भी बताया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान ने उम्मीद जतायी है कि अभियान के माध्यम से किसानों में जिज्ञासा और रूचि पैदा होगी जिससे वे खेती में नवाचार करने के लिए भी प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने बल दिया है कि कृषि के क्षेत्र में जो शोध हो रहे हैं, किसानों को उनका लाभ मिलना चाहिए।

Advertisement
Advertisement

प्रथम दृष्टया यह अभियान किसानों के समग्र हित में दिखाई दे रहा है लेकिन इस अभियान को शुरू करने के समय अर्थात् मानसून के आगमन के ठीक पहले आयोजित करने से आशंका है कि यह अभियान मात्र औपचारिकता बनकर न रह जाए। दरअसल 15 मई के बाद किसान आमतौर से खरीफ की फसल की बुवाई की तैयारी कर रहे होते हैं। 12 जून से पहले मानसून पूर्व गतिविधियां भी शुरू हो जाती हैं। कुछ स्थानों पर मानसून का आगमन भी हो जाता है। किसान खरीफ की फसलों की बोवनी भी शुरू कर देते हैं। किसानों के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण होता है और वे अभियान में अधिक समय देने की स्थिति में नहीं होंगे। यह अभियान मई के पहले सप्ताह में शुरू करते तो अधिक उपयोगी सिद्ध होता। फिर भी किसानों की अभियान में भागीदारी हो जाती है तो इसे अभियान की सफलता माना जा सकता है ।

अभियान में पशुपालन, मिट्टी परीक्षण, प्राकृतिक खेती को प्राथमिकता देनी होगी। मिट्टी परीक्षण के बारे में जागरूक करना इस अभियान की एक प्रमुख घटक है लेकिन इस बात पर ध्यान देना होगा कि मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट किसानों को समय पर प्राप्त हो जाए। यह देखा गया है कि मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट प्राप्त होने में कई महीने लग जाते हैं। खेती में रासायनिक उर्वरकों और जहरीली दवाईयों का अत्यधिक प्रयोग करने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, थायराईड जैसी अनेक बीमारियां से पीडि़तों की संख्या में साल – दर – साल वृद्धि हो रही है। अभियान के दौरान किसानों से इस बारे में भी चर्चा कर इसके समाधान के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है। पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। किसानों को समझाना होगा कि पराली जलाने से कृषि भूमि की उर्वराशक्ति कम होने के साथ ही पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। उत्पादन बढ़ाने के साथ खाद्यान्न में पोषक तत्वों की कमी न हो, इस बारे में भी अभियान के दौरान किसानों से चर्चा करना जरूरी है।

Advertisement8
Advertisement

अब अधिकांश किसान सिंचाई के लिए बोरिंग के पानी का उपयोग करने लगे हैं जिसके कारण भूजल स्तर में गम्भीर गिरावट देखी जा रही है जो आने वाले कुछ वर्षों में खतरनाक स्थिति का संकेत है। कम पानी में अधिक उत्पादन और भूजल स्तर में सुधार के लिए भी किसानों से चर्चा कर समाधान और तकनीकि सलाह भी देना होगा अन्यथा सरकारी दस्तावेजों में तो अभियान सफल दर्शाया जाएगा लेकिन इसका कोई लाभ किसानों को नहीं मिलेगा । किसान उत्पादक संगठनों के कार्यों का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिये ताकि उनकी कार्यप्रणाली में सुधार किया जा सके।

Advertisement8
Advertisement

देश में लघु और सीमांत किसानों की संख्या करीब 85 प्रतिशत है और उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर नहीं मानी जा सकती। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से उनकी बहुत थोड़ी मदद होती है। जरूरत इस बात की है कि उन्हें कृषि के साथ अन्य व्यवसाय जैसे पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, मधु मक्खी पालन, औषधीय पौधों की खेती आदि के लिए प्रोत्साहित करना होगा तभी किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही फल एवं सब्जी प्रसंस्करण पर भी किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि फल और सब्जियां सस्ती होने पर भी किसानों को उचित दाम मिल सके। किसानों को केवल शासकीय योजनाओं की जानकारी देने भर से काम नहीं चलेगा, योजनाओं का कार्यांवयन होना जरूरी है और इसके लिये कृषि तथा ग्रामीण विकास से सम्बंधित सभी विभागों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement