राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

कृषि मंत्रालय और ICAR की पहल: गाँव-गाँव तक पहुंचेगी शोध और तकनीक की जानकारी

21 मई 2025, नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय और ICAR की पहल: गाँव-गाँव तक पहुंचेगी शोध और तकनीक की जानकारी –  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में प्रेस कॉन्फ्रेंस में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” की शुरुआत की घोषणा की। यह अभियान 29 मई से शुरू होगा और इसका उद्देश्य देशभर के 1.30 करोड़ से अधिक किसानों तक नवीनतम कृषि शोध और तकनीकों को पहुंचाना है।

अभियान का स्वरूप और लक्ष्य

यह अभियान हर साल खरीफ और रबी फसलों की बुआई से पहले आयोजित किया जाएगा। इसके तहत 2,170 टीम 723 जिलों में 65,000 से अधिक गांवों में जाकर किसानों से सीधा संवाद करेंगी। प्रत्येक जिले के लिए तीन टीमें गठित की गई हैं, जिनमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 113 संस्थानों और 731 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक, कृषि, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन के विशेषज्ञ, प्रगतिशील किसान और किसान उत्पादक संगठन (FPO) शामिल होंगे। टीमें 29 मई से 12 जून तक सुबह, दोपहर और शाम को किसानों के साथ चर्चा करेंगी।

चौहान ने बताया कि यह पहल हाल ही में आयोजित खरीफ कॉन्फ्रेंस में लिए गए निर्णय का हिस्सा है, जिसमें कई राज्यों के कृषि मंत्रियों ने भाग लिया था। अभियान का लक्ष्य स्थानीय जलवायु, मिट्टी की स्थिति, पानी की उपलब्धता और सॉइल हेल्थ कार्ड के आधार पर किसानों को उपयुक्त बीज, खाद की मात्रा और बुआई की तकनीकों की जानकारी देना है। साथ ही, किसानों की समस्याओं, जैसे कीटों का प्रकोप या प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान, को सुनकर उनके समाधान के लिए शोध की दिशा तय की जाएगी।

कृषि मंत्रालय की छह सूत्रीय रणनीति

चौहान ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने छह सूत्रीय रणनीति अपनाई है: उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत घटाना, उचित दाम सुनिश्चित करना, प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की भरपाई, कृषि का विविधीकरण और मूल्य संवर्धन, और प्राकृतिक व जैविक खेती को बढ़ावा देना। इस रणनीति के तहत 145 करोड़ की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा, पोषणयुक्त भोजन, फल और सब्जियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना शामिल है, ताकि ये संसाधन भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी रहें।

उत्पादन में वृद्धि और वैश्विक दृष्टिकोण

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में खरीफ फसलों का उत्पादन 1663.91 लाख टन और रबी फसलों का उत्पादन 1645.27 लाख टन रहा, जो पिछले साल की तुलना में क्रमशः 1557.68 लाख टन और 1600.06 लाख टन से अधिक है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 3157.74 लाख टन से बढ़कर 3309.18 लाख टन हो गया है। दालों का उत्पादन 221.71 लाख टन से बढ़कर 230.22 लाख टन और तिलहनी फसलों का उत्पादन 384 लाख टन से बढ़कर 416 लाख टन हुआ है।

विशिष्ट फसलों में, खरीफ चावल का उत्पादन 1206.79 लाख टन, गेहूं 1154.30 लाख टन, खरीफ मक्का 248.11 लाख टन, मूंगफली 104.26 लाख टन और सोयाबीन 151.32 लाख टन रहा, जो सर्वकालिक उच्च स्तर है। चौहान ने कहा कि भारत न केवल अपनी खाद्य जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि कई देशों को सहायता भी प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दीर्घकालिक लक्ष्य भारत को विश्व का “खाद्य टोकरी” (फूड बास्केट ऑफ वर्ल्ड) बनाना है।

किसानों की समस्याओं का समाधान

अभियान के दौरान टीमें किसानों को खाद के उपयोग के बारे में भी जागरूक करेंगी। चौहान ने बताया कि कई बार किसान डीएपी और यूरिया जैसे उर्वरकों का आवश्यकता से अधिक उपयोग करते हैं, जिससे लागत बढ़ती है और मिट्टी का स्वास्थ्य खराब होता है। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर किसानों को सही मात्रा में खाद और उचित तकनीकों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही, किसानों से उनकी समस्याएं, जैसे कीटों का प्रकोप, सुनकर शोध की दिशा तय की जाएगी, ताकि डिमांड आधारित अनुसंधान को बढ़ावा मिले।

इस अभियान में केंद्र और राज्य सरकारों, कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य हितधारकों के बीच समन्वय पर जोर दिया गया है। चौहान ने कहा कि यह पहल किसानों और विज्ञान को जोड़ने का एक अभिनव प्रयास है, जो कृषि नवाचार और जागरूकता को नई दिशा देगा।

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