राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

Direct Benefit Transfer: डीबीटी क्या है और किसानों के लिए क्यों जरूरी है? जानिए इसके फायदे

08 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: Direct Benefit Transfer: डीबीटी क्या है और किसानों के लिए क्यों जरूरी है? जानिए इसके फायदे – डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) भारत सरकार की एक पहल है। इसे 1 जनवरी 2013 से शुरू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी या सरकारी मदद सीधे उनके बैंक अकाउंट में पहुंचाई जाए। इससे किसानों के हक के पैसे उन्हें तुरंत मिलते हैं और बिचौलियों या सरकारी दफ्तरों में देरी नहीं होती।

कैसे काम करता है DBT?

सरकार जो भी सब्सिडी या फाइनेंशियल हेल्प देती है, वो सीधा किसान के खाते में आती है। और हाँ, ये अकाउंट आधार से लिंक होना जरूरी है। इससे फायदा ये कि पैसा फटाफट मिल जाता है, किसान को इंतजार नहीं करना पड़ता, और खेत के लिए बीज-खाद या जो भी खरीदना है, तुरंत खरीद सकते हैं। कोई सिरदर्दी नहीं रहती है।

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किसानों को DBT के क्या फायदे मिलते हैं?

DBT के तहत सब्सिडी का पैसा सीधे किसानों के अकाउंट में आता है, जिससे बिचौलियों की जरूरत समाप्त हो जाती है , जिससे अन्नदाता को सीधे लाभ मिलता है। फंड समय पर मिलने से किसान को उर्वरक, बीज, या खेती के लिए मशीनरी खरीदने में कोई अड़चन नहीं आती और किसानों की खेती से जुड़े कार्य बिना किसी रुकावट के चलते रहते है।

सबसे अहम बात, जब पैसा सीधे खाते में आता है, तो घोटाले या भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी कम हो जाती है। ऊपर से, बैंकिंग सिस्टम से जुड़ने का एक फायदा यह है कि किसान बैंक से लोन, बीमा जैसी दूसरी सुविधाएं भी आसानी से ले सकते हैं।

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कैसे करें DBT के लिए आवेदन?

अगर आप किसान हैं और DBT का फायदा उठाना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपना बैंक अकाउंट खुलवाएं, जो आधार कार्ड से लिंक कराएं। फिर नजदीकी सरकारी ऑफिस या सरकारी पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा लें। इसके बाद किसानों को अपने कुछ जरूरी दस्तावेज जैसे- पहचान पत्र, जमीन के कागज, और बैंक डिटेल्स जमा करानी होती हैं। डॉक्यूमेंट वेरिफाई होते ही, सब्सिडी का पैसा आपके खाते में आना शुरू हो जाता है।

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DBT में क्या दिक्कतें आती हैं?

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर में सबसे बड़ी दिक्कत- इंटरनेट की कमी है। कई गांवों में आज भी नेटवर्क टॉवर दूर-दूर तक नहीं दिखते, तो ऑनलाइन आवेदन करना मुश्किल हो जाता है। दूसरा, जानकारी की कमी, बहुत से किसानों को पता ही नहीं होता कि DBT क्या है या कैसे मिलता है। ऊपर से, कई बार टेक्निकल गड़बड़ियों की वजह से पैसा ट्रांसफर में देरी हो जाती है। तो हां, सुधार की गुंजाइश अभी भी बाकी है।

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