राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भारतीय किसानों के लिये चुनौती और अवसर भी

08 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: भारतीय किसानों के लिये चुनौती और अवसर भी – जैसा कि आशंका थी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत सहित दुनिया के अनेकों देशों से आयात किये जाने वाले कृषि उत्पादों और अन्य वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर दी है। भारत से निर्यात किये जाने वाले कृषि उत्पादों पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया है जबकि अभी तक यह 5.3 प्रतिशत था। अमेरिका द्वारा लगाए गया आयात शुल्क विश्व के अन्य देशों की तुलना में थोड़ा कम जरूर है लेकिन 5.3 से 26 प्रतिशत की वृद्धि भारतीय कृषि उत्पादों को निर्यात को हतोत्साहित करने वाला कदम माना जाना चाहिए। आयात शुल्क बढ़ाने से अमेरिका में भारतीय उत्पादों की कीमतें निश्चित ही बढ़ेगी। अधिक मूल्य होने से उपभोक्ता अन्य विकल्प की ओर आकर्षित होंगे जिसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा। अब कृषि उत्पादों के निर्यातकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वे या तो कम मूल्य पर कृषि य अन्य सामान निर्यात करें या मांग के अनुसार सीमित मात्रा में ही निर्यात करें। यह केवल व्यापारिक मसला नहीं, बल्कि भारत के लाखों किसानों की आजीविका से जुड़ा भी है। निर्यात कम होने से घरेलू बाजार में जरूरत से ज्यादा उत्पाद होने से कीमतें कम हो जाएंगी जिसका सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ेगा।

भारत हर साल अमेरिका को लगभग 43,000 करोड़ रुपये के कृषि उत्पाद निर्यात करता है, जबकि अमेरिका भारत को सिर्फ 13,760 करोड़ रुपये के कृषि उत्पाद बेचता है। अमेरिका को भारत के प्रमुख निर्यातों में झींगा, मरीन प्रोडक्ट्स, चावल, कॉफी, चाय, मसाले, गोंद, रेजिन और अन्य सब्जियां व जड़ी-बूटियां शामिल हैं, जबकि भारत में अमेरिका से होने वाले प्रमुख कृषि आयातों में बादाम, इथाइल अल्कोहल, अखरोट, काजू, सेब और पिस्ता आदि शामिल हैं। भारत अमेरिकी बादाम, अखरोट, क्रैनबेरी जैसे उत्पादों पर 30 से 100 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाता है, जबकि दालों पर 10 प्रतिशत और डेयरी उत्पादों पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जा रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत इन उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे ताकि अमरीकी उत्पाद भारतीय बाजार में आसानी से बिक सकें। दरअसल अभी तक भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर काफी अधिक आयात शुल्क लगाया है जिसके कारण अमेरिका के उत्पाद भारत में काफी महंगे हैं। इस कारण कम ही उपभोक्ता महंगे सामान खरीद पाते हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत भी आयात शुल्क कम करे ताकि अमेरिका के उत्पादों की कम कीमतें हो जाएंगी और अधिकाधिक उपभोक्ता आकर्षण के कारण अमेरिका के उत्पादों को खरीदने के लिये आकर्षित होंगे। यदि ऐसा होता है तो भारत के किसानों को बहुत नुकसान हो सकता है। कारण स्पष्ट है, भारत के उपभोक्ताओं में विदेशी सामानों के प्रति आकर्षण एक कारण हो सकता है लेकिन गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण होती है। भारत से कृषि उत्पादों का निर्यात तो कम होगा ही, घरेलू बाजार में भी अमेरिका और भारतीय उत्पादों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान भारत के किसानों को ही होगा। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि अमेरिका में किसानों की संख्या करीब 35-40 लाख के आसपास है जबकि भारत में करीब 14 करोड़ किसान हैं जिनमें लगभग 85 प्रतिशत लघु और सीमांत हंै। अमेरिका में किसानों को बहुत अधिक सब्सिडी दी जाती है जिससे किसानों को किसी भी तरह कोई आर्थिक नुकसान नहीं होता है जबकि भारत में अमेरिका की तुलना में काफी कम सब्सिडी दी जाती है। यदि भारत सरकार भी अमेरिका के दबाव में आयात शुल्क कम कर देती है तो इसका भारत के किसानों के सामने बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।

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हालांकि अमेरिका ने भारत पर अन्य देशों की तुलना में आयात शुल्क थोड़ा कम लगाया है, इसका यही अर्थ लगाया जा सकता है कि भारत के कृषि उत्पाद अन्य देशों की तुलना में थोड़े सस्ते हो सकते हैं। लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन सरकार को चाहिए कि वह विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापारिक सम्बंधों की नए सिरे से समीक्षा करे और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन नीति भी लागू करे ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और निर्यातकों को भी फायदा हो। वैश्विक प्रतिस्पर्धा से निश्चित ही गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि होगी जिसका फायदा किसानों को भी होगा। इस दिशा में केंद्र और राज्य सरकारों को एक मंच पर आकर संवाद करना चाहिए और किसानों के समग्र हित को देखते हुए योजना बनानी चाहिए ताकि अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए आयात शुल्क का किसानों की आर्थिक स्थिति पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़े।

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