किसानों ने दायित्व निभाया, अब सरकार निभाये
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों तथा कृषि वैज्ञानिकों का देश में रिकॉर्ड फसल उत्पादन के लिये प्रशंसा तो की, परंतु उन्हें उनकी पैदावार का उचित मूल्य दिलाने के लिए कोई ठोस घोषणा नहीं की। जिसका खामियाजा किसान हर फसल आने पर भुगत रहा है। कभी-कभी तो उसे उसकी लागत तक नहीं मिल पाती है। फिर भी वह वर्ष-प्रतिवर्ष उत्पादन के नये आयाम स्थापित कर रहा है। भारत सरकार के वर्ष 2016-17 के अग्रिम आंकड़ों के अनुसार देश में धान का 1104.5 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जो एक कीर्तिमान है। यह धान के वर्ष 2013-14 में हुए अब तक के सबसे अधिक उत्पादन 1066.5 लाख टन से 35.0 लाख टन अर्थात् 3.28 प्रतिशत अधिक है। यह पिछले वर्ष 2015-16 के धान उत्पादन 1044.1 लाख टन से 5.5 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार गेहूं के उत्पादन में भी कीर्तिमान बनने का अनुमान है जिसके 983.8 लाख टन होने की आशा है। इसके पहले गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन वर्ष 2013-14 में 958.5 लाख टन हुआ था। जिससे वर्ष 2016-17 का उत्पादन 2.64 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2015-16 के उत्पादन (922.9 लाख टन ) की तुलना में यह 6.61 प्रतिशत अधिक है। मोटे अनाजों के 441.9 लाख टन होने की आशा है जो पिछले वर्ष हुए उत्पादन (38.52 लाख टन) से 14.72 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2016-17 में लगभग सभी दलहन फसलों के क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हुई थी जिसके फलस्वरूप इनका उत्पादन 229.5 लाख टन होने का अनुमान है जो देश में अभी तक वर्ष 2013-14 में हुए सबसे अधिक उत्पादन 192.2 लाख टन से 19.22 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2015-16 में दलहन का उत्पादन 163.5 लाख टन हुआ था इससे यह उत्पादन 66.0 लाख टन अर्थात् 40.41 प्रतिशत अधिक है। यह भी एक कीर्तिमान है। परंतु इसका खामियाजा किसानों को उचित मूल्य न मिलने के कारण उठाना पड़ रहा है। तिलहनी फसलों का उत्पादन वर्ष 2016-17 में 321.0 लाख टन होने की संभावना है जो इसके पिछले वर्ष के उत्पादन से 68.5 लाख टन अर्थात् 27.11 प्रतिशत अधिक होगा। यह भी एक उल्लेखनीय उपलब्धि का द्योतक है। गन्ने के उत्पादन में अवश्य कमी आने की संभावना है जो वर्ष 2015-16 के उत्पादन 3485.5 लाख टन से 417.3 लाख टन कम अर्थात् 3067.2 लाख टन ही होने की संभावना है।
वर्ष 2016-17 में कपास की बुआई के रकबे में कमी आई थी इसके बावजूद कपास का उत्पादन 330.9 लाख गांठें (प्रत्येक 179 किलोग्राम) होने का अनुमान है। जो वर्ष 2015-16 के उत्पादन 300.1 लाख गांठों से 10.29 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2016-17 में कृषि उत्पादों में वृद्धि कर किसानों ने अपना दायित्व तो निभा लिया है। अब केंद्र व राज्य सरकारों का दायित्व बनता है कि वह किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने की स्थायी समुचित व्यवस्था के लिये कदम उठाये ताकि किसानों को फसल में आई लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक मूल्य मिले। साथ ही साथ सरकारों का यह भी दायित्व बन जाता है कि वह उत्पादित कृषि उपज के भंडारण के लिये उचित व्यवस्था के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाये ताकि उत्पादित अनाज का एक दाना भी अव्यवस्था के कारण बरबाद न हो जाये। किसानों ने दायित्व निभाया, अब सरकार निभाये