राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बिचौलियों को हटाकर किसानों ने खुद किया प्याज का निर्यात, कमाई दोगुनी

21 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: बिचौलियों को हटाकर किसानों ने खुद किया प्याज का निर्यात, कमाई दोगुनी – महाराष्ट्र के प्याज किसानों के लिए एक नया अवसर सामने आया है। अब वे बिना बिचौलियों या व्यापारियों के सीधे मध्य-पूर्व के देशों में अपने प्याज निर्यात कर रहे हैं। महाराष्ट्र के किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के शीर्ष संगठन, महा-एफपीसी के अनुसार, इस सीजन में 2,000 टन प्याज बिना किसी बिचौलिये के खाड़ी क्षेत्र में निर्यात किया जाएगा। इससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिलेगा और उन्हें कम लाभ मार्जिन की परेशानी से नहीं जूझना पड़ेगा।

पहली खेप मध्य-पूर्व के लिए रवाना

नासिक के स्थानीय किसानों ने गुरुवार को पहली बार 30 टन प्याज की खेप बिना व्यापारियों की मदद के मध्य-पूर्व भेजी। यह कदम महाराष्ट्र के प्याज किसानों के लिए एक नई शुरुआत है। महा-एफपीसी के प्रबंध निदेशक योगेश थोराट ने बताया, “नासिक, धाराशिव, अहिल्यागर और पुणे के 10 एफपीसी इस निर्यात में हिस्सा ले रहे हैं। यह पहली बार है जब हम सीधे निर्यात कर रहे हैं।”

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“हमें निर्यात बाजारों में बेहतर कीमत मिलती है। यह हमारे लिए एक बड़ा मौका है,” नासिक के सिन्नर तालुका के नैगांव गांव के किसान और गोदा धरना एफपीसी के निदेशक एकनाथ सानप ने कहा। उनके लिए निर्यात बाजार तक पहुंच पहले एक सपना था, क्योंकि इसमें जटिल लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। अब यह अवसर न केवल बेहतर आय का जरिया बनेगा, बल्कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले प्याज उत्पादन के लिए बेहतर कृषि प्रथाओं को अपनाने के लिए भी प्रेरित करेगा।

गुणवत्ता और ग्रेडिंग पर जोर

निर्यात के लिए प्याज का आकार 55 मिमी से 60 मिमी होना चाहिए, जो बेहतर कीमत दिलाता है। सानप ने कहा, “निर्यात के लिए उच्च गुणवत्ता और उचित ग्रेडिंग सुविधा जरूरी है। यह लंबे समय में हमें फायदा पहुंचाएगा।” ग्रेडिंग का मतलब है प्याज को उनके आकार के आधार पर अलग करना। महा-एफपीसी ने किसानों को पैकिंग, छंटाई और ग्रेडिंग जैसे कौशल सिखाने की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि वे निर्यात बाजारों की मांगों को पूरा कर सकें।

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महा-एफपीसी का लक्ष्य है कि मूल्य संवर्धन (छंटाई, ग्रेडिंग और विशेष पैकिंग) का काम किसानों के स्तर पर ही हो, ताकि एफपीसी खुद निर्यातक बन सकें। थोराट ने कहा, “कम बिचौलियों का मतलब है किसानों के लिए ज्यादा फायदा। हमने अपनी श्रृंखला में 19,000 टन की भंडारण सुविधा बनाई है और अब हम एफपीसी को निर्यात केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

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सब्जियों और फलों तक विस्तार की योजना

महा-एफपीसी की योजना केवल प्याज तक सीमित नहीं है। इस सीजन में वे 2,500 दर्जन दवगढ़ आम भी मध्य-पूर्व के बाजारों में निर्यात करेंगे। थोराट ने बताया कि भविष्य में इस पहल को अन्य सब्जियों और फलों तक विस्तार देने की योजना है।

भारतीय प्याज का मध्य-पूर्व, श्रीलंका, मलेशिया और बांग्लादेश में स्थिर बाजार है। हालांकि, बांग्लादेश ने जून तक भारतीय प्याज के आयात पर रोक लगा रखी है। फिर भी, मध्य-पूर्व के बाजारों में सीधे निर्यात की यह पहल महाराष्ट्र के किसानों के लिए एक नई आर्थिक संभावना लेकर आई है।

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