राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बजट 2025: किसानों और कृषि क्षेत्र को नया जीवन देने वाला बजट

18 जनवरी 2025, नई दिल्ली: बजट 2025: किसानों और कृषि क्षेत्र को नया जीवन देने वाला बजट – भारत की आर्थिक प्रगति के लिए कृषि क्षेत्र में सुधार अनिवार्य है। उत्पादकता बढ़ाने, आधुनिक तकनीक अपनाने, और मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास करने के साथ-साथ कृषि से जुड़े क्षेत्रों, निर्यात में वृद्धि, सिंचाई विस्तार और ग्रामीण श्रमबल के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। ये कदम ग्रामीण आय में सुधार लाने और समग्र आर्थिक विकास को तेज करने के लिए बेहद आवश्यक हैं।

भारत की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है। “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, कृषि क्षेत्र में सुधार सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा। आगामी केंद्रीय बजट को उत्पादकता बढ़ाने और एक सुदृढ़ बुनियादी ढांचा विकसित करने पर जोर देना चाहिए ताकि ग्रामीण आय में वृद्धि हो और कृषि क्षेत्र में निरंतर विकास हो सके।

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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSSO) के घरेलू उपभोग व्यय (HCE) सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) शहरी MPCE का केवल 58% है। यह ग्रामीण-शहरी आय में बड़ा अंतर दर्शाता है, जिसे कम करने की आवश्यकता है। बीते वर्षों में ग्रामीण आय बढ़ाने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन यह प्रक्रिया अभी भी धीमी है। पिछले पांच वर्षों में, सरकार ने कृषि मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को औसतन कुल बजटीय व्यय का केवल 3% आवंटित किया है।

बजट 2025: ग्रामीण और शहरी आय में असमानता को दूर करने की पहल

कृषि क्षेत्र में 45% श्रमबल कार्यरत है, लेकिन यह भारत के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में केवल 18% योगदान देता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कृषि श्रम उत्पादकता (PPP समायोजित) उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की औसत का केवल 12.2% है। देश में फसलों की पैदावार भी वैश्विक औसत से काफी कम है। आगामी बजट को प्रौद्योगिकी आधारित समाधान और नवाचार के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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पशुपालन, मत्स्य और बागवानी जैसे कृषि-संबंधित क्षेत्रों में श्रम उत्पादकता बढ़ाने और ग्रामीण आय में सुधार की अपार संभावनाएं हैं। इन उप-क्षेत्रों का कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में योगदान बढ़ रहा है। 2011-12 में पशुपालन का हिस्सा 22% था, जो 2022-23 में बढ़कर 30% हो गया, जबकि मत्स्य क्षेत्र का हिस्सा 5% से बढ़कर 7% हो गया।

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खाद्य प्रसंस्करण और कृषि निर्यात को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत का कृषि निर्यात पिछले पांच वर्षों में 4.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है। चावल, कपास, समुद्री उत्पाद और चीनी प्रमुख निर्यात वस्तुएं हैं। सरकार को निर्यात के लिए आवश्यक नीतियों और भंडारण व परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर देना चाहिए।

बजट 2025: सिंचाई और भूमि सुधार पर ध्यान

कृषि में एक बड़ी समस्या छोटे जोतों वाले किसानों की संख्या है, जिससे तकनीक अपनाने और बाज़ार तक पहुंचने में दिक्कत होती है। भूमि समेकन और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनानी चाहिए। साथ ही, ई-नाम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का दायरा बढ़ाना आवश्यक है।

भारत में खेती का अधिकांश हिस्सा मानसून पर निर्भर है। करीब 50% कृषि भूमि सिंचाई के दायरे में आती है। “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करके, सिंचाई सुविधाओं को मजबूत करना और जलवायु-आधारित चुनौतियों का सामना करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना जरूरी है।

कृषि क्षेत्र में छुपी बेरोजगारी को दूर करने के लिए श्रमबल को विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा को प्राथमिकता देकर श्रमिकों को अन्य उद्योगों के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

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