फसल की खेती (Crop Cultivation)

खरीफ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश (बुंदेलखंड क्षेत्र) में अनुशंसित उच्च उपज देने वाली सोयाबीन किस्में

24 मई 2025, नई दिल्ली: खरीफ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश (बुंदेलखंड क्षेत्र) में अनुशंसित उच्च उपज देने वाली सोयाबीन किस्में – उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ 2025 के लिए सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय बुवाई की तैयारी का है। जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक का समय बुवाई के लिए सर्वोत्तम माना गया है। हालांकि, यह आवश्यक है कि बुवाई से पूर्व कम से कम 100 मिमी वर्षा हो चुकी हो ताकि मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे और बीजों का अच्छा अंकुरण हो सके।

मिट्टी की उपयुक्त तैयारी फसल की सफलता की कुंजी है। हर तीन वर्षों में एक बार गहरी ग्रीष्मकालीन जुताई करना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है, कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है तथा पैदावार में स्थायित्व आता है। यदि किसी किसान ने अब तक यह प्रक्रिया नहीं अपनाई है तो उसे दो बार आड़ा-तिरछा हैरो चला कर खेत की तैयारी करनी चाहिए। सामान्य वर्षों में केवल हैरो और पाटा चलाना ही पर्याप्त होता है।

बुंदेलखंड क्षेत्र सहित उत्तर प्रदेश के मध्य और दक्षिणी भागों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित अनेक उच्च उपज देने वाली सोयाबीन की किस्में उपलब्ध हैं। इनमें NRC 165, JS 22-12, JS 22-16, NRC 150, NRC 152, JS 21-72, RVSM 2011-35, NRC 138, EMS 100-39, RVS 76, NRC 142, NRC 130, MACS 1520, RSC 10-46, RSC 10-52, AMS-M-B-5-18, AMS 1001, JS 20-116, JS 20-94, JS 20-98 और NRC 127 प्रमुख रूप से शामिल हैं। ये किस्में उच्च उत्पादकता, रोगों के प्रति सहनशीलता और क्षेत्रीय जलवायु के अनुसार अनुकूलित हैं।

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी के प्रकार और वर्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त किस्म का चयन करें। बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करें, समय पर बुवाई करें और फसल सुरक्षा के लिए उचित उपाय अपनाएं।

अधिक जानकारी और तकनीकी मार्गदर्शन के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें। इससे उन्हें बेहतर तकनीकी सहायता मिलेगी और वे अधिक उपज प्राप्त कर सकेंगे।

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