कृषि लाभप्रद हो, उत्पादकता बढ़े ,किसानों के जीवन स्तर में बदलाव आए- श्री तोमर
ग्रीष्मकालीन अभियान के लिए चौथा राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन, जायद फसलों का रकबा 80 लाख हेक्टे. से अधिक करने में मिली सफलता
28 जनवरी 2022, नई दिल्ली । कृषि लाभप्रद हो, उत्पादकता बढ़े ,किसानों के जीवन स्तर में बदलाव आए- श्री तोमर – ग्रीष्मकालीन अभियान के लिए राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन आज केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुआ। इसमें श्री तोमर ने कहा कि ग्रीष्मकालीन फसलें न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं बल्कि रबी से खरीफ तक किसानों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करती हैं और फसल की तीव्रता में भी वृद्धि होती है। सरकार ने दलहन, तिलहन व पोषक-अनाज जैसी ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये नई पहल की है। हमारा उद्देश्य एक ही है कि कृषि उन्नत व लाभप्रद हो, उत्पादकता बढ़े व किसानों के जीवन स्तर में बदलाव आएं, जिसके लिए नई ईजाद किस्मों का उपयोग भी राज्यों को योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि हमारे देश की विविध भौगोलिक व जलवायु परिस्थितियां है, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ग्रीष्म ऋतु की फसलें ज्यादा से ज्यादा ली जाना चाहिए।ये किसानों को कम लागत व कम समय में अतिरिक्त आमदनी देने वाली होती है, राज्यों व किसानों के सहयोग से जायद फसलों का रकबा बढ़ रहा है।किसानों के सहयोग व सरकारी प्रयासों से चावल सहित जायद फसलों का रकबा 2017-18 में 29.71 लाख हेक्टेयर से 2.7 गुना बढ़कर 2020-21 में 80.46 लाख हेक्टे. हो गया है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कोविड की विषम परिस्थितियों के बावजूद किसानों ने अथक परिश्रम किया, जिससेवर्ष 2020-21में3086.47 लाख टन खाद्यान्न (चौथे अग्रिम अनुमान अऩुसार) का उत्पादन हुआ, जो एक सर्वकालिक रिकॉर्ड है। दलहन व तिलहन का उत्पादन क्रमश: 257.19 और 361.01लाख टन के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। कपास का उत्पादन 353.84 लाख गांठ होने का अनुमान है जिसके कारण भारत का विश्व में पहले स्थान पर पहुंचना तय है। उत्पादन और उत्पादकता के मोर्चे पर, बागवानी क्षेत्र ने पारंपरिक खाद्यान्न फसलों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
सम्मेलन में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने और इन 2 जिंसों में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। श्री चौधरी ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को पूरी तरह से निचले स्तर तक किसानों के बीच पहुंचाकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ दिया जाएं।कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल, डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने भी विचार रखे। केंद्रीय मंत्रालयों व सभी राज्यों के कृषि विभाग के अधिकारियों ने वीडियो कॉफ्रेंसिंगके माध्यम से सम्मेलन में भाग लिया। इस अवसर पर पुस्तक का विमोचन भी केंद्रीय मंत्री श्री तोमर द्वारा किया गया।
जायद सम्मेलन का उद्देश्य पूर्ववर्ती फसल मौसमों के दौरान फसल के प्रदर्शन की समीक्षा और मूल्यांकन करना तथा राज्य सरकारों के परामर्श से गर्मी के मौसम के लिए फसलवार लक्ष्य निर्धारित करना है। ग्रीष्म 2021-22 के लिए दलहन-तिलहन व पोषक-अनाज के लिए राष्ट्रीय, राज्यवार लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। सम्मेलन में बताया गया कि 2020-21 में इन फसलों के तहत 40.85 लाख हेक्टे. की तुलना में 2021-22 के दौरान 52.72 लाख हेक्टे. क्षेत्र को कवर किया जाएगा। 21.05 लाख हेक्टे. क्षेत्र दलहन और 13.78 तथा 17.89 लाख हेक्टेयर क्षेत्र क्रमश: तिलहन और पोषक-अनाज के तहत लाया जाएगा।
महत्वपूर्ण खबर: डॉ. संजय राजाराम को मरणोपरांत पद्मभूषण सम्मान