भारतीय कृषि का अमृतकाल
मोदी सरकार में किसानों को सशक्त बनाने के लिएबीज से लेकर बाजार तक हर वह फैसला लिया गया, जो किसानों के लिए खेती को और आसान बनाए
13 अगस्त 2024, नई दिल्ली: भारतीय कृषि का अमृतकाल – कृषि विकास और किसान कल्याण हमारी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अन्न के माध्यम से हमारे जीवन संचालन के सूत्रधार अन्नदाता के जीवन में सुख-समृद्धि लाना हमारा संकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। किसान की आय बढ़ाने के लिए हमने छह सूत्रीय रणनीति बनाई है। उत्पादन बढ़ना, खेती की लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दम दिलाना, प्राकृतिक आफ्त में राहत की उचित राशि दिलाना, कृषि का विविधीकरार तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देन्ड इसके अहम पहलू हैं। उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने के लिए सबसे जरूरी हैं अच्छे बीज, जो कम पानी और विपरीत मौसम में भी बेहतर उत्पादन में सक्षम हो सकें। ऐसे बीजों की 109 नवें किस्मों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्र और किसानों की समर्पित किया है। बोते 10 वर्षों में कृषि परिदृश्य तेजी से बदला है। ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण असंतुलन जैसे समस्थानों के बीच उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए अगले पांच वर्षों में हमारा लक्ष्य जलवायु अनुकूल फसलों की 1500 नई किस्में तैयार करने का है। वर्तमान में विज्ञान से ही किसानों का कल्याण संभव है। मुझे अपने कृषि विज्ञानियों पर गर्व है जो जलवायु अनुकूल किस्में तैयार कर रहे हैं। नवाचारों से कृषि एवं किसान कल्याण सुनिश्चित होगा।
किसान होने के नाते में भलीभांति समझता हूं कि बढ़िया उत्पादन के लिए अच्छे बोज कितने आययक हैं। अगर बीत उन्नत और मिट्टो एवं मौसम की प्रकृति के अनुकूल होंगे तो उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। मोई जी ने यह समझा और व्यापक विजन के साथ इस दिशा में कार्य करने के लिए मार्गदर्शित किया। विविधा भारतीय कृषि को विशेषता हैं। यहां कुछ दूरी के अंतराल पर ही खेती का मिजाज बदल जाता है। जैसे मैदानी खेती अलग है तो पहाड़ों को खेती अलग। इन सभी भिन्नताओं और विविधतानों की मान में रखते हुए फसलों की 109 नई किस्में जारी की गई हैं। इनमें खेती की 69 किस्में और बागवानी की 40 किस्में राष्ट्र की समर्पित कर दी गई हैं। भारत को ग्लोबल न्यूट्रिशन हब बनाने और श्रोअन्न को प्रोत्साहित करने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह संकल्पबद्ध है। हमारा संकल्प है कि किसान के परिश्रम का उचित मूल्यांकन हो और उन्हें फसलों का उचित दाम मिले, इसके लिए हम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाना हमारी प्राथमिकता में है और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि मानत्र शमीर और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन हो। आज भारत नई हरित क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारे अन्नदाता ऊनांदता तथा ईधनवता भी बन रहे हैं। पशुपालन, मधुमक्खी पालन, औषधीय खेती, फूलों-फलों की खेतों सहित अन्य संबंधित क्षेत्रों को सशक्त बनाया जा रहा है।
पूर्ववर्ती सरकारों को प्राथमिकता में कृषि और किसान से ही नहीं। जबकि मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय का बजट 27 हजार 663 करोड़ रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर लाख 32 हजार 470 करोड़ रुपये हो गया है। यह बजट सिर्फ कृषि विभाग का है। कृषि से संबद्ध क्षेोरों और फर्टिलाइजर सब्निाटी के लिए अलग बजट है। मोदी सरकार किसानों को यूरिया और डीएपी सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। मूरिया पर सरकार किसानों को करोच 2,100 रुपये सब्सिडी जबकि डीएपी के एक बैग पर 1083 रुपये की मोदी जी का बिजन है कि भारत कृषि में आमनिर्भर बने। इस दिशा में सब्सिडी दी जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और रमाक्त हुआ है। फसलों के नुकसान पर भी फसल बीमा येजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है।
मोदी सरकार में किसान की सशक्त बनाने के लिए बीज से लेकर बाजार तक हर यह फैसला लिय, जो किसनें के लिए खेती की और आसान बनाए। उनको मुश्किलें कम करे और मुनाफा बढ़ाए। इसे कड़ी में एक लाख करोड़ रुपये की प्यो इन्द्रा फंड के जरिये कृषि से जुड़ा बुनियादी यांचा विकसित किया जा रहा है। पूरे देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र किसान और विज्ञान की जोड़ रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिये टेक्नोलाजी से दूरदराज की हमारी माताओं-बहनें को भी जोड़ा जा रहा है। कृषि सखियों की प्रशिक्षण देने के पहले चरण में अब तक 35 हजार कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। रणनीति बनाकर कार्य किया जा रहा है।
अगले पांच वर्षों में हम 18,000 करोड़ रुपये की लागत से 100 निर्यात केंद्रित बागवानी कलस्टर बनाएंगे। किसानों के लिए मंडी तक पहुंन्द्र बेहतर बनाने के लिए 1500 से अधिक मंडियों का एकीकरण किया जाएगा। साथ हो 6,800 करोड़ रुपये की लागत से तिलहन मिशन की शुरुआत कर रहे हैं। सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने की भी तैयारी है। इससे छोटे किसानों को सक्तियों-फल भऔर अन्य उपज के लिए नए बाजार और बेहतर दाम मिलेंगे। सरकार ने यह संकल्प भी लिया है कि दलहन फसलों में तुजर, उड़द और मसूर की पूरी खरीद एमएसपी पर की जाएगी। यजुर्वेद में उल्लिखित है ‘अन्नानं पतये नमः क्षेत्राणां पतये नमः’ अर्थात अन्न के स्वामी और खेतों के स्वामी अन्नवाकओं की नमन। कृषि पराशर में भी उल्लेख है-अन्न हो प्राप है, अन्न ही बल हैं एवं अन्न ही समस्त प्रयोजनों का सधन है। किसानों के बिना इस देश का अस्तित्व ही अधूरा है। इसलिए हमारे प्राईन शहरों में भी किसानों को प्रणाम किया गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसका आत्मा। हमारे लिए किसन को सेवा भगवान की पूजा है। आज प्रधानमंत्री के दीर्घकालिक विजन तथा सर्वांगीण, समावेशी और समग्र विकास चाले सोच के साथ भारत एवं भारतीय कृषि निरंतर आगे बढ़ रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे किसान भाई-बहन आजारों के अमृतकाल में आत्मनिर्भर भी बनेंगे और समृद्ध संपन्न होने के साथ साथ देश के अन्न भंडार भरते रहेंगे।
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