एमएसपी पर 10 हजार करोड़ से अधिक की कपास खरीद
05 दिसम्बर 2020, नई दिल्ली। एमएसपी पर 10 हजार करोड़ से अधिक की कपास खरीद –एमएसपी पर 10 हजार करोड़ से अधिक की कपास खरीद – वर्तमान खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2020-21 के दौरान, सरकार ने अपनी मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजनाओं के अनुसार किसानों से एमएसपी पर खरीफ 2020-21 फसलों की खरीद जारी रखी है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक राज्यों में एमएसपी के तहत कपास की खरीद सुचारु रूप से चल रही है। 03 दिसंबर 2020 तक 34,54,429 कपास की गांठें खरीदी गईं जिनका मूल्य 10145.49 करोड़ रुपये हैं जिससे 6,89,510 किसान लाभान्वित हुए हैं। खरीफ 2020-21 के लिए धान की खरीद, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में सुचारु रूप से चल रही है। पिछले वर्ष के 275.98 लाख मीट्रिक टन की तुलना में इस वर्ष 03 दिसंबर 2020 तक 329.86 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है और इस प्रकार पिछले वर्ष के मुकाबले धान की खरीद में 19.52 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। कुल 329.86 लाख मीट्रिक टन की खरीद में से अकेले पंजाब ने 202.77 लाख मीट्रिक टन का योगदान दिया है जो कि कुल खरीद का 61.47 प्रतिशत है। कुल 62278.61 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य के साथ लगभग 31.78 लाख किसान अभी तक लाभान्वित हो चुके हैं।
03 दिसंबर 2020 तक सरकार ने अपनी नोडल एजेंसियों के माध्यम से 649.50 करोड़ रुपये की एमएसपी मूल्य वाली मूंग, उड़द, मूंगफली की फली और सोयाबीन की 120626.22 मीट्रिक टन की खरीद की जिससे तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के 68,978 किसान लाभान्वित हुए। इसी तरह, 03 दिसंबर 2020 तक 52.40 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर 5089 मीट्रिक टन खोपरे (बारहमासी फसल) की खरीद की गई है, जिससे कर्नाटक और तमिलनाडु के 3,961 किसान लाभान्वित हुए हैं जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 293.34 मीट्रिक टन खोपरे की खरीद की गई थी। खोपरे और उड़द के संदर्भ में, अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में दरें एमएसपी से अधिक हैं। संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारें खरीफ की फसल दलहन और तिलहन के संबंध में आवक के आधार पर संबंधित राज्यों द्वारा तय की गई तारीख से खरीद शुरू करने के लिए आवश्यक व्यवस्था कर रही है।