राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

जलवायु परिवर्तन के असर से बचाने के लिए विकसित हुईं 199 विशेष धान की किस्में

19 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के असर से बचाने के लिए विकसित हुईं 199 विशेष धान की किस्में –  जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत सरकार ने धान उत्पादन को टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल बनाने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने ‘जलवायु अनुकूल कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार’ (एनआईसीआरए) के तहत एकीकृत सिमुलेशन मॉडलिंग अध्ययन के माध्यम से यह आकलन किया कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में धान की पैदावार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। अध्ययन के अनुसार, यदि प्रभावी अनुकूलन उपाय नहीं अपनाए गए, तो वर्षा आधारित चावल की पैदावार 2050 तक 20% और 2080 तक 47% तक घट सकती है। सिंचित धान की पैदावार में 2050 तक 3.5% और 2080 तक 5% तक की गिरावट का अनुमान है।

10 वर्षों में विकसित हुईं 668 धान की किस्में, 199 जलवायु-अनुकूल

2014 से 2024 तक भारत ने धान की 668 नई किस्मों का विकास किया है, जिनमें से 199 को विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील बनाया गया है। इनमें 103 किस्में सूखे और जल संकट का सामना करने में सक्षम हैं, 50 बाढ़ और जलमग्नता सहनशील, 34 लवणता-क्षारीयता सहनशील, 6 गर्मी सहनशील और 6 ठंड सहनशील हैं। इसके अतिरिक्त, इनमें से 579 किस्में कीटों और बीमारियों के प्रति भी सहनशील हैं।

एनआईसीआरए के तहत देश के 151 जलवायु-संवेदनशील जिलों में 448 जलवायु अनुकूल गांवों में धान उत्पादन से जुड़ी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। इनमें जलवायु-अनुकूल धान की किस्मों का प्रदर्शन, एरोबिक चावल और सीधे बीज वाले चावल की खेती जैसे वैकल्पिक तरीके, हरी खाद के रूप में ढैंचा का उपयोग, और मानसून की देरी के लिए सामुदायिक नर्सरी जैसे उपाय शामिल हैं। ये तकनीकें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन का प्रभाव

भारत सरकार जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) को लागू कर रही है। यह मिशन राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (एनएपीसीसी) का हिस्सा है और इसके तहत राज्यों को वित्तीय सहायता दी जाती है। यह पहल किसानों को बदलते मौसम की चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान दी।

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