पेप्सिको ने पराली जलाने से निपटने में किसानों की मदद की
13 दिसम्बर 2022, नई दिल्ली: पेप्सिको ने पराली जलाने से निपटने में किसानों की मदद की – भारत के उत्तरी राज्यों में पराली जलाना एक खतरनाक मुद्दा है। यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 150 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड फसल अवशेषों को जलाने से प्रतिवर्ष उत्पन्न होती है, जिससे मानव और मृदा स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंताएँ पैदा होती हैं। भारत में सालाना लगभग 70 से 80 मिलियन टन चावल, गेहूं के भूसे और अन्य बचे हुए कृषि कचरे को जलाया जाता है। अकेले पंजाब में, लगभग 1.5 लाख टन प्रमुख पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जलने के दौरान नष्ट हो जाते हैं।
पेप्सिको इंडिया ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और अधिक टिकाऊ भविष्य के निर्माण के अपने प्रयासों में पुनर्योजी(regenerative) कृषि प्रथाओं ‘बायोचार प्रोग्राम’ की शुरुआत की है, जो कंपनी के सकारात्मक कृषि दर्शन (पीईपी+) के हिस्से के रूप में एक प्रोटोटाइप है।
इसके तहत, क्षेत्र के ‘ईंट भट्टों’ का उपयोग पायरोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से खेत के कचरे को बायोचार नामक उर्वरक में बदलने के लिए किया जाता है। ऑक्सीजन की सीमित या कम आपूर्ति के तहत उच्च तापमान पर फसल अवशेषों को जलाने से डीकम्पोज या अपघटन में मदद मिलती है। पंजाब के संगरूर जिले में पेप्सिको द्वारा बायोचार उत्पादन के लिए अपनी तरह का पहला प्रोटोटाइप शुरू किया गया है। एक बार पायरोलिसिस की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, अंतिम उत्पाद बायोचार का उपयोग मिट्टी में कार्बन सामग्री को बढ़ाने के लिए मिट्टी के योज्य के रूप में किया जाता है।
पेप्सिको इंडिया के साथ काम करने वाले संगरूर के एक किसान नादिंगर सिंह ने साझा किया, “कटाई के बाद अवशेषों का प्रबंधन करना मेरे लिए मुश्किल था। फ़सल के अकचरे को जलाना एक नियमित प्रक्रिया थी जिसका आस-पास के किसान कटाई के बाद अवशेषों के प्रबंधन के लिए पालन करते थे। हाल ही में मिट्टी की जांच में मैंने पाया कि मिट्टी में कार्बन की मात्रा बहुत कम निकली।
एक बेहतर पराली प्रबंधन समाधान की तलाश में, नादिंगर सिंह को पेप्सिको द्वारा बायोचार कार्यक्रम के लिए शामिल किया गया था। किसान ने कहा, ‘हमने फसल का सारा अवशेष इकट्ठा किया और उसके बंडल बनाए। इसके अलावा, बायोचार को जलाने और उत्पादन करने के लिए बंडलों को भट्टी में डाल दिया गया। बायोचार तैयार होने के बाद, हम इसे उन खेतों में फैलाते हैं जो खेती के लिए तैयार होते हैं, और फिर हम इसे अच्छी तरह से जोतते हैं।”
बायोचार में कार्बन होता है और यह पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है और मिट्टी में सूक्ष्मजीवों को सक्रिय करते हुए जल प्रतिधारण में सुधार करता है।
यह पराली के प्रबंधन के लिए एक प्रभावी उपाय है और बदले में, मिट्टी के स्वास्थ्य की बनावट और जल धारण क्षमता में सुधार करता है। बायोचार उत्पादन ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) में 40-70% की कमी में भी मदद करता है।
महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (12 दिसम्बर 2022 के अनुसार)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम )