कम्पनी समाचार (Industry News)

ड्रोन स्प्रेइंग सेवा का विस्तार: कोरोमंडल और महिंद्रा की नई साझेदारी

22 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: ड्रोन स्प्रेइंग सेवा का विस्तार: कोरोमंडल और महिंद्रा की नई साझेदारी – कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर (FES) की व्यवसायिक इकाई कृष-ई ने भारतीय किसानों के लिए ड्रोन स्प्रेइंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत कोरोमंडल की “ग्रोमोर ड्राइव” सेवा अब सात प्रमुख राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उपलब्ध होगी।

महिंद्रा कृष-ई के बिज़नेस हेड श्री सुनील जॉनसन (दाएं) और कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (सेल्स और मार्केटिंग) श्री माधव अधिकारी (बाएं) ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

कोरोमंडल की ड्रोन सेवाएं “ग्रोमोर ड्राइव” का संचालन आरपीटीओ-प्रशिक्षित पायलटों द्वारा किया जाता है। इन सेवाओं को कंपनी की सहायक इकाई धक्षा अनमैन्ड सिस्टम्स का सहयोग प्राप्त है, जो ड्रोन की आपूर्ति, पायलट प्रशिक्षण और तकनीकी समर्थन में अग्रणी है। इस बैकवर्ड इंटीग्रेशन के कारण कोरोमंडल इस उभरते बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर रही है।

महिंद्रा के “कृष-ई खेती के लिए” ऐप के माध्यम से ये सेवाएं किसानों तक आसानी से पहुंचेंगी। यह ऐप अन्य तकनीकी समाधान भी प्रदान करता है, जिससे किसानों की आय बढ़ाने और कृषि मूल्य श्रृंखला को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

इस गैर-बाध्यकारी समझौते (MoU) के दौरान, कोरोमंडल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (फर्टिलाइजर बिजनेस), श्री आमिर अल्वी ने कहा, “ग्रोमोर ड्राइव” ने किसानों के लिए कृषि प्रक्रियाओं में दक्षता और सुविधा को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। महिंद्रा कृष-ई के साथ यह साझेदारी भारतीय कृषि परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सहयोग का उद्देश्य किसानों की लागत घटाना, उत्पादकता बढ़ाना और कृषि लाभप्रदता में सुधार करना है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर के अध्यक्ष, श्री हेमंत सिक्का ने कहा, “कृष-ई की व्यापक पहुंच और कोरोमंडल के ग्रोमोर ड्राइव की दक्षता के साथ, हम ड्रोन तकनीक का लाभ अधिक से अधिक भारतीय किसानों तक पहुंचाने को लेकर उत्साहित हैं। ड्रोन तकनीक न केवल उत्पादकता बढ़ाएगी, बल्कि शक्तिशाली रसायनों के संपर्क में किसानों की जोखिम को भी कम करेगी।”

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