कम्पनी समाचार (Industry News)

कोर्टेवा के हाईब्रिड बाजरा बीज किसानों की उपज और आय बढ़ाने में सहायक

20 जून 2022, जयपुर । कोर्टेवा के हाईब्रिड बाजरा बीज किसानों की उपज और आय बढ़ाने में सहायक वैश्विक कृषि कंपनी कोर्टेवा एग्रीसाइंस, वर्तमान और भविष्य के लिए बीज उत्पादों और नवाचारों को पेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में अपने हाईब्रिड बाजरा के बीज के माध्यम से अगली पीढ़ी के किसानों को शामिल करने और आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कोर्टेवा के हाईब्रिड बाजरा बीज अधिकतम उत्पादकता और लाभप्रदता प्रदान करते हैं। बाजरा का लाभ लाखों उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा। जिससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कोर्टेवा एग्रीसाइंस साउथ एशिया के  मार्केटिंग डायरेक्टर गुरप्रीत भट्ठल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजरा महोत्सव 2022-23 उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए बाजरा के पारिस्थितिक लाभ और पोषण मूल्य पर प्रकाश डालेगा। हमें विश्वास है कि इस पहल से किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा।  हम, कोर्टेवा एग्रीसाइंस में, असाधारण पैदावार देने और उनकी पूरी क्षमता को पूरा करने के लिए वर्षों से हाइब्रिड सरसों के साथ किसानों का समर्थन कर रहे हैं। हमें इस पर गर्व है ,क्योंकि बाजरा का लाभ लाखों उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा। जैसे-जैसे अधिक उपभोक्ता बाजरा के पोषण मूल्य के बारे में जागरूक होंगे, वैसे-वैसे अधिक लोग इनका सेवन करेंगे, जिससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। कॉर्टेवा एग्रीसाइंस अग्रणी कृषि विज्ञान, डिजिटल खेती और वित्तीय विशेषज्ञता के माध्यम से हर साल किसानों को अपने खेतों के प्रदर्शन में सुधार करने में मदद कर किसानों को प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों के उपयोग के बारे में शिक्षित कर रही है, जो उत्पादकों को खाद्य सुरक्षा और पोषण के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

उल्लेखनीय है कि भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा को बढ़ाने और भूख को कम करने में बाजरा की विशाल क्षमता को देखते हुए, उच्च क्षमता वाले हाईब्रिड बीजों की आवश्यकता बढ़ रही है ,जो सिंचित और साथ ही बारानी क्षेत्रों में उगाए जा सकते हैं, जो किसानों को उनकी आय बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। बाजरा अनाज के साथ-साथ चारा उत्पादन के लिए भी उगाया जाता है। अनाज का उपयोग पोल्ट्री और मवेशियों आदि में किया जा सकता है। एशिया और अफ्रीका के विकासशील देश दुनिया में कुल बाजरा उत्पादन का लगभग 93 प्रतिशत योगदान करते हैं। 41 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत उनका सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक है। बाजरा अत्यधिक तापमान, बाढ़ और सूखे का सामना कर सकता है और इसके साथ ही कम कार्बन फुटप्रिंट जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है। यह फसल ज्यादातर बारिश के बाद बारिश वाले क्षेत्रों में बोई जाती है और उन क्षेत्रों में बढ़ सकती है जो वनस्पति या प्रजनन चरणों के दौरान अक्सर शुष्क मौसम का अनुभव करते हैं।

महत्वपूर्ण खबर: मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में मानसून का आगमन

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *