सब्जियों की पौध उन्नत तकनीक से आप भी तैयार करें
पौधशाला हेतु स्थान का चुनाव
- पौधशाला या नर्सरी हमेशा ऊंचे स्थान पर तैयार करें जिसमें पानी ना भर सके तथा उसका उचित जल निकास हो सके।
- नर्सरी के नजदीक छायादार वृक्ष नहीं होने चाहिए।
- नर्सरी की भूमि बलुई, दोमट व पी.एच.मान 6 से 7 के बीच में होना चाहिए।
- नर्सरी का स्थान पानी के स्त्रोत के नजदीक होना चाहिए।
क्यारियां तैयार करना
क्यारियां बनाने के लिये खेत की अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी भुरभुरी बना लें तथा इसमें से कंकड़ पत्थर व खरपतवार एकत्रित कर निकाल दें। इसमें 2 किलोग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से सड़ी हुई गोबर खाद मिला दें। अब खेत को समतल कर इसमें क्यारियां बना लें। क्यारियां मौसम व फसल के अनुसार बनाते हैं। खरीफ के लिए उठी हुई क्यारियां लेकिन गर्मियों व सर्दियों में समतल क्यारियां बनाते हैं। क्यारियों को एक मीटर चौड़ा बनाना चाहिए तथा उनकी लम्बाई आवश्यकतानुसार रखी जा सकती है। वर्षा के मौसम में क्यारियां जमीन की सतह से 15 से 20 से.मी. उठी हुई हो। दो क्यारियों के बीच 30 से 40 सेमी. स्थान रखें।
बीज की बुवाई
क्यारियां बनाने के बाद उसमें बीज की बुवाई करें। बीजों को बौने से पूर्व फफूंदनाशक दवा जैसे कैप्टान, थायरम आदि से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। अगर सूत्रकृमि की समस्या हो तो 8 से 10 ग्राम कार्बोफ्यूरान 3 जी प्रति वर्गमीटर के हिसाब से भूमि में मिलायें। क्यारियां बनाने के बाद उसमें बीज की बुवाई छिड़ककर या पंक्तियों में 5 से.मी. के अंतराल पर तथा 1 से 1.5 सेमी. की गहराई पर करें।
सिंचाई
बुवाई के बाद गोबर खाद या मिट्टी की बारीक एक सेमी मोटी परत से ढक दें तथा झारे से सिंचाई करें। बीज का अंकुरण होते ही कैप्टान के 0.2 प्रतिशत घोल से क्यारियों का उपचार करें। क्यारियों में पौध स्थानान्तरित होने तक निरन्तर हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। क्यारियों में से खरपतवार व अवांछनीय पौधों को हटाते रहें। पौधों को तेज धूप व गर्मी से बचाने के लिये शेडनेट का उपयोग करें। पौधों को कीटों व रोगों से बचाने के लिये समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते रहना चाहिए।
पौध स्थानान्तरण
पौध जब 4 से 5 सप्ताह के हो जायें तथा उनकी ऊंचाई 12 से 15 सेमी. हो जाये तब उन्हें खेत में उचित दूरी पर स्थानान्तरित कर दें। स्थानान्तरित करने से 3-4 दिन पूर्व क्यारियों में पानी देना बंद कर दें। तथा स्थानान्तरण वाले दिन सिंचाई कर शाम के समय पौधों को क्यारियों से निकाल कर डाइथेन एम-45 (0.25 प्रतिशत) तथा बाविस्टीन (0.05 प्रतिशत) के घोल में डुबोकर रोपाई करें। रोपाई के तुरन्त बाद खेत की सिंचाई कर दें।
वर्तमान में सब्जियों की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं इसमें किसान कम पूंजी लगाकर अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कुछ सब्जियां जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्च, गोभी, प्याज, सलाद आदि के बीज खेत में बोने से उगते नहीं व कीमती बीजों का नुकसान हो सकता हैं अथवा कम सफलता मिलती हैं। अत: ऐसी सब्जियों को पहले पौधशाला में उगाकर उनकी पौध तैयार की जाती है। फिर उचित समय आने पर उन्हें खेतों में स्थानान्तरित किया जाता है। सब्जियों की खेती के लिये पौधशाला या नर्सरी में पौध तैयार करना एक कला हैं। इसे अच्छी तरह से तैयार करने के लिए तकनीकी जानकारी का होना आवश्यक है। सब्जियों की नर्सरी को मौसम और बेमौसम की दशाओं में सफलतापूर्वक तैयार करने के लिये वैज्ञानिक तकनीकी अपनाकर किसान अच्छी खेती कर सकते हैं। अगर किसान भाई बैंगन, मिर्च, टमाटर, गोभी की नर्सरी डालना चाहते हैं तो ये उनके लिए अच्छा समय हैं। |
सब्जियों की नर्सरी तैयार करने का समय | |
टमाटर | जून-जुलाई, नवम्बर – दिसम्बर |
बैंगन | बसन्त-ग्रीष्मकालीन अक्टूबर,वर्षाकालीन – मार्च, शिविर बसंत – अक्टूबर के शुरू में, पतझड़ शिविर कालीन – जून |
मिर्च | ग्रीष्मकालीन – नवम्बर, वर्षाकालीन – अप्रैल -मई |
फूलगोभी | अगेती – मई-जून, मध्यकालीन – जुलाई – अगस्त, पिछेती फसल- अक्टूबर – नवम्बर |
बंदगोभी | अगेती – अगस्त – सितम्बर, पिछेती – सितम्बर – अक्टूबर |
गांठगोभी | अगेती – मध्य अगस्त, पिछेती – अक्टूबर – नवम्बर |
प्याज | अक्टूबर – नवम्बर, खरीफ – मई के आखिर -जून |
- भवानी सिंह
- अरूण कुमार महावर
- email: arunmahawar.36@gmail.com