उद्यानिकी (Horticulture)

उद्यानिकी फसलों ने बनाया लखपति

19 जुलाई 2025, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): उद्यानिकी फसलों ने बनाया लखपति – खेती में अधिक लाभ कमाने के लिए बड़ा रकबा होना ज़रूरी नहीं है। छोटे रकबे से भी बड़ी आय अर्जित की जा सकती है। इसे सिद्ध किया है ग्राम छोटी खरगोन तहसील महेश्वर जिला खरगोन के श्री गोविन्द सेप्टा और उनके पुत्र श्री आयुष सेप्टा ने। दोनों पिता -पुत्र  उद्यानिकी फसलों करेला ,बैंगन, खीरा के अलावा  खास तौर से टमाटर का बढ़िया उत्पादन लेकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।

श्री गोविन्द सेप्टा ने कृषक जगत को बताया कि वे अपनी 5 एकड़ ज़मीन में टमाटर और करेला के अलावा  सीजन के अनुसार मांग वाली सब्जियां लगाते हैं। इस साल 4 एकड़ में करेला और 2 एकड़ में चवला भी लगाया है। करेले के 7 तोड़े निकाले जा चुके हैं। 20 क्विंटल  करेला बेच दिया है। आरम्भ में करेले का 55  रु /किलो का दाम मिला जो घटते हुए 45 और फिर 36 रु किलो तक आ गया। करेले की फसल के बाद इसी 4  एकड़ में टमाटर की फसल लेंगे। 2011 में पहली बार टमाटर की फसल लगाई थी, तब से निरंतर यह फसल ले रहे हैं। टमाटर की फसल अच्छी कमाई देती है। सभी अनुकूलता होने पर एक एकड़ में दो हज़ार क्रेट टमाटर का उत्पादन होता है, जिससे औसत 1 लाख रुपए /एकड़ तक कमाई की जा सकती है। 2019 में 4 एकड़ में  लगाए टमाटर की 30 लाख की उपज प्राप्त हुई थी , जिसमें 7 लाख का खर्च काटने पर 23 लाख का शुद्ध लाभ हुआ था। वर्ष 2024 टमाटर की फसल के लिए अच्छा नहीं रहा। एक एकड़ की टमाटर फसल में हानि -लाभ बराबर रहा। जबकि गत वर्ष 2 एकड़ में चवले की फसल से 11 लाख मिले थे।

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श्री सेप्टा ने बताया कि सिंचाई के लिए निजी कुआं है। 2007 में ड्रिप इरिगेशन की शुरुआत  की। 2010 में पूरे खेत को तार और जाली लगाकर पूरी तरह सुरक्षित कर लिया है। बेटे आयुष ने एमबीए करने के बाद 2020 में खेती का रुख किया। नई पीढ़ी के विचारों के साथ अब  हम दोनों पिता -पुत्र मिलकर उद्यानिकी फसलें लेते हैं। उद्यानिकी विभाग से ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग के लिए अनुदान भी मिला था। उद्यानिकी विभाग का यथा समय मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहता  है। उद्यानिकी खेती से ही बेटे – बेटियों की शादी और अन्य सामाजिक दायित्व पूरे किए हैं । उद्यानिकी फसलों के कारण पूरा परिवार उन्नति की ओर अग्रसर है।

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