Farming Solution (समस्या – समाधान)

मध्य प्रदेश में फलों की खेती

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नारंगी/संतरा

देश के कुल 16 में से 11 कृषि जलवायु क्षेत्र मध्य प्रदेश में हैं, जिनकी मिट्टी संरचना और जलवायु स्थिति में विविधता है। लगभग 20, 18,620 हेक्टेयर क्षेत्र 288.41 लाख मीट्रिक टन के उत्पादन के साथ बागवानी फसलों के अंतर्गत आता है। सभी प्रमुख फल, सब्जियां, मसाले, फूल और औषधीय और सुगंधित फसलें राज्य में समान रूप से उपजाऊ भूमि और जलवायु पाती हैं। प्रमुख फलों में अमरूद, आम, केला, और नारंगी शामिल हैं जबकि सब्जियों में हरी मटर, आलू, प्याज, टमाटर और मसालों के साथ धनिया, मिर्च और लहसुन शामिल हैं। नारंगी, अमरुद, केला, आम तथा अनार मध्य प्रदेश उद्यान विभाग की टारगेट क्रॉप्स में शामिल किये गए हैं।
मध्यप्रदेश में बागवानी फसलें 
क्षेत्र (हेक्टे. में)
फल  3,54,060
सब्जियां 8,89,740
मसाले  6,98,060
फूल  31,480
औषधीय-सुगंधित  45,290

मध्यप्रदेश में नारंगी की बागवानी मुख्यत: छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, शाजापुर, उज्जैन, भोपाल, नीमच, रतलाम तथा मंदसौर जिले में की जाती है। प्रदेश में नारंगी की बागवानी 121112 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है। जिसमें से 37000 हेक्टेयर क्षेत्र आगर मालवा जिले में है। वर्तमान में इसकी उत्पादकता दस से बारह टन प्रति हेक्टेयर है जो कि विकसित देशों की तुलना मे अत्यंत कम है। कम उत्पादकता के कारकों में बागवानी हेतु गुणवत्तापूर्ण पौधे (कलम) का अभाव तथा रख-रखाव की गलत पद्धतियां प्रमुख हैं।

मध्य प्रदेश में नारंगी की स्थिति 
जिला क्षेत्रफल (हे.) उत्पादन (मे. टन)
आगर मालवा 37000 666000
छिन्दवाड़ा 23683 472760
शाजापुर 12656 284760
राजगढ़ 17226 244609
मन्दसौर 11998 119980
अन्य जिले 18594 315529
कुल 121112 2103638

नारंगी के पौधे लगाने के लिये 2 रेखांकन पद्धति का उपयोग होता है। वर्गाकार तथा षट्भुजाकार पद्धति। षट्भुजाकार पद्धति में 15 प्रतिशत पौधे वर्गाकार पद्धति की तुलना में अधिक लगाये जा सकते हैं। गड्ढे का आकार 75&75&75 से.मी. तथा पौधे को 6&6 मी. दूरी पर लगाना चाहिए। इस प्रकार एक हेक्टेयर में 277 पौधे लगाये जा सकते हैं। हल्की भूमि में 5.5&5&5 मी. अथवा 5&5 मी. अंतर पर 300 से 400 पौधे लगाये जा सकते हैं। गड्ढे भरने के लिये मिट्टी के साथ प्रति गड्ढा 20 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500, ग्राम नीम खली तथा 10 ग्राम कार्बेन्डाजिम का उपयोग करें।

प्रमुख किस्में: नागपुरी, किन्नो, कुर्ग तथा मौसंबी।

  • मनोज कुमार कुरील
    सहायक प्राध्यापक, उद्यानिकी
  • डॉ. राजेश लेखी
    प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष,
    कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर
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