सुपर गोल्डन सीताफल से कमाई भी होती सुपर
13 नवम्बर 2020, मंडलेश्वर। सुपर गोल्डन सीताफल से कमाई भी होती सुपर – आमतौर पर नवरात्रि में बाजार में देसी सीताफल की आवक बढ़ जाती है, लेकिन सुपर गोल्डन सीताफल इसके बाद आता है। स्वादिष्ट एवं आकार में बड़ा यह सीताफल कमाई भी सुपर देता है। क्षेत्र के किसान श्री मोहन पाटीदार लंबे समय से यह सीताफल अपने बगीचे में उपजा रहे हैं।
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ग्राम इटावदी तहसील महेश्वर जिला खरगोन निवासी उन्नत किसान श्री मोहन पाटीदार ने कृषक जगत से हुई चर्चा में बताया कि सुपर गोल्डन सीताफल, देसी सीताफल की बहार जाने के बाद बाजार में आता है इसलिए प्रतियोगिता भी कम रहती है और मुनाफा भी अच्छा मिल जाता है। वर्षों पूर्व सीताफल का पहला बगीचा 4 बीघा में लगाया था अब यह रकबा बढ़ कर 10 बीघा हो गया है। तीसरे बगीचे में जामुन लगाने का विचार है।
सुपर गोल्डन की विशेषताएं – श्री पाटीदार ने बताया कि सुपर गोल्डन सीताफल में कई खूबियां हैं इसके एक फल का वजन 300 से 600 ग्राम तक होता है। इसमें बीज 8 से 10 ही निकलते हैं। इसका स्वाद मीठा और पाइनेपल जैसा रहता है। इसका ऊपरी आवरण मोटा होने से लंबी दूरी जैसे मुंबई-दिल्ली के परिवहन में जल्दी खराब नहीं होता और लंबी सेवाएं देता है। यह फल कटाई के 4 दिन बाद पकता है। देसी सीताफल जहां 5 साल में उपज देते हैं, वहीं यह सुपर गोल्डन सीताफल 4 साल में उपज देना शुरू कर देता है। 8 बीघा से कम रकबा वाले सीताफल उत्पादक किसानों को सरकार मनरेगा के तहत 3 साल तक तीन लाख रुपए अनुदान भी देती है। अब तक 30 हजार पौधों की बुकिंग हो चुकी है। माँ रेवा नर्सरी में प्रति पौधा 50 में उपलब्ध है।
पौधारोपण- सीताफल का पौधरोपण अलग-अलग दूरी के हिसाब से होता है 9 बाय 15 फीट पर लगाने पर 300 पौधे प्रति एकड़ और 12 बाय 8 फीट लगाने पर 425 पौधे प्रति एकड़ लगते हैं। पौधों की अधिकतम ऊंचाई 8 फीट रहती है एक पेड़ पर 60 से 70 फल से ज्यादा नहीं लगने देते, क्योंकि संख्या बढऩे पर आकार छोटा रह जाता है, जबकि बड़ा आकार मुनाफा भी बढ़ा देता है। इस किस्म की तुड़ाई एक माह तक चलती है। इससे भावों के उतार-चढ़ाव का भी समायोजन हो जाता है।
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