संपादकीय (Editorial)

किसानों की समस्याओं का समाधान कृषक जगत फेस बुक लाइव

कृषक जगत ने फेस बुक लाइव से किया किसानों की समस्याओं का समाधान

इंदौर। कोरोना लॉक डाउन -4 के दौरान कृषक जगत ने 22 मई से 2 जून की अवधि में फेस बुक लाइव के माध्यम से सब्जियों (टमाटर /मिर्च / शिमला मिर्च) में पौध संरक्षण ,फैमिली फार्मर की अवधारणा, पशुओं में किलनी/चिचड़ी /गिचौड़ी की समस्या और मिर्च की उन्नत खेती के विषय में क्रमश: डॉ. मुकेश शुक्ला, डिवीजन मार्केटिंग लीड, सिंजेंटा, डॉ. जी.एस. कौशल, पूर्व कृषि संचालक, म.प्र. , डॉ. विवेक अग्रवाल, वैज्ञानिक, पशु परजीवी विभाग, (पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, महू और श्री एस. के. त्यागी, वैज्ञानिक (उद्यान विभाग) कृषि विज्ञान केंद्र, खरगोन ने मार्गदर्शन दिया, जिसे दर्शकों, श्रोताओं, पाठकों ने सराहा।

  • डॉ. शुक्ला द्वारा समग्र खेती की जानकारी

फेसबुक सेमीनार का आरम्भ करते हुए डॉ. मुकेश शुक्ला ने कहा कि कोविड -19 की परेशानियों से गुजर रहे किसानों के लिए आने वाला नया जीवन बहुत महत्वपूर्ण रहेगा. किसानों को अपनी उपज की पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान देना होगा.ब्रांड से लोगों में विश्वास जमेगा , मुनाफा बढ़ेगा.खेती में दवाई की भूमिका आधी रहती है . शेष आधे में समय पर स्प्रे,मशीनों की स्थिति , नोज़ल आदि पर निर्भर रहती है .आपने एसटीपी इटालियन गन या हॉलोकान स्प्रे नोज़ल के उपयोग की सलाह देते हुए कहा कि स्प्रे से ड्रॉप का साइज 80 माइक्रोन का होना चाहिए. फसलों की मुख्य समस्या रोग और कीट है.

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नर्सरी से लेकर फूलों तक कई समस्याएं आती हैं , जिनके समाधान सिंजेंटा के पास है .नर्सरी में जब पौधा 21 दिन का हॉ जाए तो उसे खेत में लगाएं ज्यादा देर से लगाने पर जड़ गलन की समस्या आती है.वर्षाकाल में कैल्शियम की कमी से पौधों में दाग लगते हैं. इसलिए सिंचाई जरुरी है . टमाटर, मिर्च और शिमला मिर्च फसल के लिए सफ़ेद मक्खी ,चुसिया कीट, फलछेदक दुश्मन हैं इसके लिए दो और तीन माह की फसल पर एकटारा 40 ग्राम /एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें .टिपका , जड़ गलन रोग और और पाउडरी मिल्ड्यू को रोकने के लिए 160 मिली लीटर /एकड़ की दर से छिड़कें .टोमेटी लीफ कर्ल के नियंत्रण हेतु पेगासिस 2 ग्राम /लीटर के दो स्प्रे 8 दिन में करें . रसचूसक व् अन्य कीटों की रोकथाम के लिए अन्य उपचारों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए फॉलआर्मीवर्म के प्रति भी सचेत किया.

  • डॉ. कौशल की फेमिली फार्मर अवधारणा

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए डॉ. जी.एस. कौशल ने फैमिली डॉक्टर की तजऱ् पर फैमिली फार्मर की अवधारणा पेश करते हुए कहा कि गन्दी नालियों के पानी से रासायनिक सब्जियां उगाई जा रही है, जिससे मानव का इम्यून सिस्टम प्रभावित हो रहा है.कोरोना काल में लोग सब्जी खरीदने से डरने लगे हैं .ऐसे में फैमिली फार्मर होंगे तो निश्चिंतता रहेगी .जैविक पद्धति से पर्यावरण अनुकूल फसल उत्पादक किसान सब्जी, अनाज , दलहन, तिलं, दूध , मसाले की पूर्ति अकेला या 5 -10 का समूह बनाकर कर सकता है. इसके लिए किसान का सरल, व्यवहारकुशल और ईमानदार होना जरुरी है.ऐसा ही एक प्रयोग भोपाल में गत 3 -4 साल से 14 किसान कर रहे हैं. हफ्ते के 4 -5 दिन अलग -अलग जगह दुकान लगाकर 500 उपभोक्ताओं को सामग्री दे रहे हैं. किसानों का भी दायित्व है कि वह वर्ष भर की सभी खाद्य सामग्री का भंडारण अपने खेत पर करे और जरूरत पडऩे पर ग्राहक से वाट्सएप पर आर्डर मिलने पर 50 प्रतिशत राशि अग्रिम लेकर पूर्ति करे.इस नई सोच से सभी को लाभ मिलेगा . जहां ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिलेगा , वहीँ उपभोक्ताओं को स्वास्थ्यवर्धक सभी उत्पाद सही तौल में नियमित मिलेगा. घर पहुँच सेवा से समय तो बचेगा ही ठगी की भी गुंजाईश नहीं रहेगी.

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  • डॉ. विवेक अग्रवाल ने बताई पशुओं में किलनी की रोकथाम

डॉ. विवेक अग्रवाल ने पशुओं को लगने वाली किलनी /चिचड़ी / गिचौड़ी की समस्या, उसके कारण और समाधान के उपाय बताते हुए कहा कि ये परजीवी अन्त: और बाह्य होते हैं. किलनी या चिचड़ी पशुओं का खून चूसती है.यह राई के दाने से बढ़कर चने के आकार की हो जाती है और 0.5 से 2 मिली लीटर प्रति दिन खून चूसती है , जिससे पशु कमजोर होता जाता है. इनकी संख्या 200 से 500 तक हो सकती है .किलनी 3 हजार से 8 हजार तक अंडे देती है इससे पशुओं को लहुमूतना रोग भी लग जाता है.डॉ. अग्रवाल ने कहा कि किलनी नाशक दवा पशुओं के बालों की दिशा में नहीं , बल्कि विपरीत दिशा में लगाएं इससे दवाई त्वचा में समाएगी. जहां पशु बांधे जाते हैं वहां की दीवारों और फर्श की भी सफाई करें.पशुओं को रोजाना सुबह -शाम 2 -3 मिनट तक खरारा अवश्य करें. इससे किलनी लगने की समस्या कम होगी.कोई भी दवाई पशु चिकित्सक की सलाह से लें .आपने किलनी के लिए साईपरमेथ्रिन, अमित्राज और रिट्ज दवाई की सिफारिश की है.

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  • डॉ. त्यागी ने मिर्च की जानकारी दी

डॉ . एस. के .त्यागी ने बताया कि खरगोन जिले में 50 हजार हे.में मिर्च की खेती की जाने वाली है .इस मसाला फसल से औसतन डेढ़ लाख रुपए /एकड़ की आय हो सकती है. खेत की गहरी जुताई के साथ अन्य तैयारियों और मिट्टी का नमूना लेने की विधि को विस्तार से बताते हुए कहा कि मिर्च के लिए दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 .5 से 7 .5 के बीच हो अच्छी रहती है .खेत में जल निकास की व्यवस्था होने से उकठा /जड़ सडऩ रोग नहीं लगेगा. फसल चक्र अपनाएं .अंतिम जुताई से पहले पकी हुई गोबर खाद100 क्विंटल /एकड़ डालें. पिछली बार जहाँ मिर्च लगाई थी, वहां न लगाएं . 15 जून से 10 जुलाई तक रोपाई करें.

संकर मिर्च के लिए एनपीके क्रमश: 60 ,32 ,32 किलो प्रति एकड़ डालें.जि़ंक की कमी होने पर जि़ंक सल्फेट 10 किग्रा प्रति एकड़ डालें.बेड्स बनाकर 30 माइक्रॉन वाली मल्चिंग लगाएं .बीजों को क्यारी या 98 छेदों वाली ट्रे में 0 .5 सेमी की गहराई में लगाएं .फिर कोकोपिट से भर दें.मिर्च का अंकुरण 5 दिन में होने लगता है. बीज ,कम्पनी से उपचारित ही तो दुबारा उपचारित न करें.बीज पैकेट में इसका उल्लेख रहता है .यह पैकेट संभालकर रखे. कोई समस्या आने पर शिकायत करें. 35 दिन में पौधे खेत में लगाने को तैयार हो जाते हैं.विशेषज्ञ की सलाह से उर्वरक और दवाई दें.संतुलित उर्वरक के प्रयोग से फसल अच्छी मिलती है.

कीट और रोग का नियंत्रण करें, सफ़ेद मक्खी की रोकथाम के लिए नीले-पीले कार्ड का प्रयोग करें .दवाइयों का छिड़काव बदल -बदल कर करें.फलछेदक की रोक के लिए फिप्रोनिल 5 त्न एससी 320 मिली लीटर /एकड़ 200 -300 लीटर पानी में तथा घोलकर 15 दिन में एक बार करे.जड़ सडऩ रोग में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2 .5 ग्राम /ली 50 मिली लीटर पानी में घोलकर प्रत्येक पौधे की जड़ में डालें.सफ़ेद चूर्ण (भभूतिया )को दूर करने के लिए एजोक्विस्ट्रोविन 200 मिली लीटर/एकड़ छिड़काव करे .

घातक लीफ कर्ल के लिए स्वस्थ पौधे तैयार करे, सफेद मक्खी से बचाव के लिए अवरोधक के रूप में 2 -3 कतार मक्का की लगाएं. मिर्च के लिए भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान वाराणसी की किस्में काशी अर्ली,काशी सुर्ख,अर्का श्वेता ,अर्का मेघना और अर्का हरिता अच्छी है .इनके बीज संस्थान से मिलेंगे. निमाड़ में निजी कंपनियों की मिर्च किस्मों में महिको की नवतेज,माही 453 ,माही 456, सिंजेंटा की एचपी -12 और हाइवेज सोनल ज्यादा लोकप्रिय हैं .एक एकड़ में औसतन 20 -25 क्विंटल मिर्च उत्पादित होती है .औसत कीमत 10 हजार रु. क्विंटल मानें तो ढाई लाख में से एक लाख खर्च काटने पर डेढ़ लाख रु. का शुद्ध मुनाफा हो जाता है .वैसे मिर्च के दाम बाजार पर निर्भर रहते हैं .

प्रतिक्रिया : कृषक जगत के इस फेस बुक लाइव कार्यक्रम को कई किसानों ने सराहा और कहा कि ऐसे कार्यक्रम आगे भी आयोजित होने चाहिए . मंडवाड़ा जिला बड़वानी के श्री ओमप्रकाश मुकाती ने कहा कि श्री त्यागी जी का उन्नत मिर्च का कार्यक्रम बहुत शानदार रहा. इनका सुझाव था कि ऐसे आयोजन का समय पूर्व खूब प्रचार करें ताकि बड़ी संख्या में किसान लाभ उठा सकें. वहीँ रूनिजा के श्री तेजराम नागर ने भी मिर्च फसल की जानकारी देने की तारीफ़ करते हुए कहा कि कई किसान फेस बुक लाइव से इसलिए नहीं जुड़ पाए क्योंकि उन्हें इसकी प्रक्रिया नहीं पता है .

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अत: सुझाव है कि कृषक जगत इसे इतना सरल बना दे कि किसान कृषक जगत की लिंक को क्लिक कर सीधे फेसबुक लाइव से जुड़ सके. पशुओं की किलनी से जुडी समस्या के कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए श्री दीपक पटेल इंदौर ने कहा कि किसानों को कई मीटिंगों की जानकारी नहीं रहती . लेकिन कृषक जगत के इस फेस बुक लाइव से सोशल मीडिया पर सक्रिय कई किसान लाभान्वित हुए .भविष्य में भी किसी विशेष विषय पर कार्यक्रम आयोजित करें ताकि किसानों को घर बैठे जानकारी मिल सके. डॉ. कौशल के फैमिली फार्मर की अवधारणा को भी लोगों ने पसंद किया और ऐसी शुद्ध खाद्य सामग्री और सब्जियों के प्रति जिज्ञासा प्रकट की. कई किसानों ने ऐसे जैविक किसान ग्रुप बनाने की भी इच्छा जाहिर की.

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