किसानों की कृषि समस्याओं का मोबाइल पर ही होगा समाधान
10 फरवरी 2022, जबलपुर। किसानों की कृषि समस्याओं का मोबाइल पर ही होगा समाधान – जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में कृषकों को मोबाईल पर कृषि सलाह संबंधी जानकारी देने एवं उनकी समस्याओं के समाधान करने हेतु कुलपति डॉं. प्रदीप कुमार बिसेन के निर्देशन एवं संचालक विस्तार सेवायें डॉं. दिनकर प्रसाद शर्मा के मार्गदर्शन में एक दिवसीय ऑनलाईन प्रशिक्षण आयोजित किया गया। परियोजना प्रभारी वैज्ञानिक डॉं. अनय रावत ने बताया कि जनेकृविवि में जर्मन सरकार की संस्था जी.आई.जेड. द्वारा दो जिलों (मण्डला एवं बालाघाट) में मृदा स्वास्थ्य आधारित परियोजना प्रोस्वाईल का क्रियान्वयन किया जा रहा है। परियोजना के अन्तर्गत नाइस मोबाईल एप के द्वारा कृषकों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
इसी संदर्भ में मोबाइल एप को चलाने हेतु मैनेज हैदराबाद एवं जी.आई.जेड. नई दिल्ली के सहयोग से प्रशिक्षण एवं कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। नाईस एप स्थानीकृत और समय पर सलाह प्रदान करने के साथ-साथ साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान एवं स्थानीय फसल की स्थिति और किसानों की जरूरतों को पूरा करता है। इस प्रशिक्षण के दौरान मण्डला जिले के लगभग 50 से अधिक कृषक सम्मिलित हुये। वर्तमान में 3000 से अधिक किसान लगातार नाइस एप का उपयोग कर रहे हैं। दो जिलों में प्रारंभिक रूप से एप के क्रियान्वयन के बाद अन्य कृषि विज्ञान केन्द्रों में भी इसे प्रारंभ किया जाना है।
प्रशिक्षण के प्रथम चरण में परियोजना सलाहकार डॉं. नकुल राव रंगारे द्वारा नाइस एप के संक्षिप्त प्रस्तावना प्रस्तुत की गई, तत्पश्चात् आई.टी. विशेषज्ञ हिमांशु वर्मा ने नाइस एप के महत्व को साक्षा करते हुए कृषकों को नाइस एप में अपने सवालों को अपग्रेड करना, पूर्व मौसम जानकारी देखना, कृषि संबंधी वीडियो आदि आदि का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में पादप एवं प्रजनन विभाग के प्रमुख गेहॅूं वैज्ञानिक डॉं. आर.एस. शुक्ला एवं चना वैज्ञानिक डॉं. अनीता बब्बर द्वारा खेती की समस्या तथा निदान पर संवाद प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही कृषकों ने वैज्ञानिकों द्वारा अन्य जानकारी प्राप्त की साथ ही प्रशिक्षण में मैनेज हैदराबाद से डॉं. भास्कर गुज्जी, प्रवीण रापका, उदय किरण, निशांत गुप्ता तथा निहारिका गुप्ता सम्मिलित हुये। आभार प्रदर्शन कृषि विज्ञान केन्द्र मण्डला के प्रमुख वैज्ञानिक डॉं. विशाल मेश्राम ने किया।
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