संपादकीय (Editorial)

गमले में गुलाब लगाना

उचित गमलों का चुनाव – गमलों का चुनाव इस प्रकार निर्भर करता है कि गमलों में किस प्रकार के गुलाब उगाने हैं। कलम लगाने के लिए चौड़े मुंह के नाद के आकार के गमले उचित हैं। बहुवर्षीय गुलाब, उगाने के लिए सीमेंट के गमले या लोहे के ड्रम उपयोग में आते हैं। गमले इतने बड़े न लिए जाएं कि उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में कठिनाई हो। गुलाब के मिनियेचर पौधे उगाने के लिए लकड़ी के खोखे उपयोग में लाए जा सकते हैं। फूलों के पौधे तैयार करने के लिए पॉलीथिन के थैले उपयोग में लाये जाते हैं। बाजार में विभिन्न प्रकार के गमले उपलब्ध हैं।

गमलों के लिए मिट्टी तथा खाद का मिश्रण – गमलों में पौधों के बढऩे के लिए उचित माध्यम देना अनिवार्य है, क्योंकि उनके जड़ों के बढऩे के लिए स्थान सीमित होता है। गमलों में भरने के लिए मिश्रण या पॉट मिक्सर कहते हैं। पौधे उगाने की दृष्टि से मिश्रण निम्न प्रकार का होता है।

क)  गुलाब के पौधे लिए दोमट मिट्टी (पीएच 6 से 8)    2 भाग     पत्ती की खाद    1 भाग     गोबर की खाद    1 भाग
ख) कलम लगाने के लिए दोमट मिट्टी 1 भाग रेत 1 भाग
ग)बाजार में बनी बनाई खाद रोजमिक्स मिलती है इसको भी मिट्टी के साथ मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।

गमलों में मिश्रण भरने की विधि – गमले की तली में एक छेद होता है, जिससे सिंचाई का अतिरिक्त जल उससे बहकर निकल जाता है। इस छेद को बंद नहीं होने देना चाहिए। अत: छिद्र के ऊपर नारियल के रेशे या सूखी पत्तियां या छोटे-छोटे पत्थरों के टुकड़े भर दें जिससे कि मिट्टी न बहने पाए। इसके बाद मिट्टी का मिश्रण भर दें। गमले का ऊपरी भाग लगभग 2 से.मी. खाली रखें जिससे पानी देने पर पानी ऊपर से ही न बह जाए और पौधे लगाने में कठिनाई न हो।

गमले में पौधे लगाना – पौधा गमले के बीचों-बीच सीधा लगाना चाहिए। यदि कहीं अन्य स्थान से उखाड़कर लगाया जाना हो तो उसे गमले में उतनी ही गहराई से लगाना चाहिए। जितनी गहराई में पहले स्थान पर था। पौधे लगाने के बाद हाथ से उसके चारों ओर की मिट्टी दबा देना चाहिए और खाली स्थान में मिश्रण भर देना चाहिए।

सिंचाई एवं जल निकास – गमले का क्षेत्र सीमित होने के कारण उसमें नमी की उचित मात्रा बनाए रखना एक समस्या है। कम नमी होना तथा अधिक नमी होना दोनों ही हानिकारक है, क्योंकि जड़े सीमित क्षेत्र में ही फैली रहती है। सिंचाई करने का समय पौधों तथा ऋतु के ऊपर निर्भर करता है। ग्रीष्म ऋतु में प्रत्येक दूसरे दिन तथा शीत ऋतु में चौथे या पांचवें दिन पानी देने की आवश्यकता होती है। पानी धीरे-धीरे उतनी ही मात्रा में दें जितना कि गमले में सोख सकें। वर्षा के दिनों में अधिक पानी से गमलों को बचाना चाहिए। गुलाब के गमलों को अधिक धूप वाली जगह पर रखें।

गमला परिवर्तन – गमले में लगाये गये बहुवर्षीय पौधों को प्रति वर्ष दूसरे गमले में स्थानांतरित कर देने की क्रिया को गमला परिवर्तन कहते हैं। गुलाब का गमला परिवर्तन आवश्यक है। यह क्रिया इन कारणों से की जाती है।

  • गमलों में स्थान कम होने के कारण पौधों की जड़ों की वृद्धि रुक जाती है और वे सिमटकर रह जाती है, ऐसी स्थिति को स्थलबद्धता कहते हैं इससे जड़ों की क्रियाशीलता व अवशोषण शक्ति कम हो जाती है, इसलिए पौधों की वृद्धि रुक जाती है अत: प्रति वर्ष पौधों को एक गमले से दूसरे गमले में बदल दिया जाता है। छोटे गमलों में यह समस्या अधिक रहती है।
  • पौधों की जड़ों से क्षार या अम्ल निकालकर मिट्टी मिश्रण में इकट्ठा होते रहने से मिश्रण में उदासीनता आ जाती है इस स्थिति में अनेक पोषक तत्व अप्राप्त अवस्था में आ जाते हैं, जिससे पौधे उनका अवशोषण नहीं कर पाते हैं।
  • जड़ों की हल्की कटाई-छंटाई आवश्यक है, ताकि गमले में लगे पौधों की अनावश्यक वृद्धि न हो तथा निष्क्रिय जड़ें अलग हो जाएं।
  • जड़ों के एक सीमित स्थान में रहने से रोग या सामान्य बढ़वार में रुकावट हो सकती है। अत: स्थान बदल देने से यह समस्या नहीं आती।

गमला परिवर्तन की विधि – गमला परिवर्तन का उचित समय वर्षा ऋतु होता है तथा बसंत ऋतु में भी इसे किया जा सकता है। गमला परिवर्तन से पहले उनमें सिंचाई कर देना चाहिए, जिससे गमले की मिट्टी नम हो जाए किन्तु गीली न हो पाए। पौधे को दो अंगुलियों से फंसाकर गमले को उलटकर हल्का झटका दें, जिससे मिट्टी पिण्ड सहित पौधा गमले से निकल जाए। मिट्टी के पिंड की बाहरी मिट्टी किसी लकड़ी से झड़ाकर अलग कर दें ऐसा करते समय यह ध्यान रखें कि पौधों की जड़ों को हानि न पहुंचे। जड़ों की हल्की छंटाई भी कर देना चाहिए। दूसरे गमले में पौधा उतनी ही गहराई पर लगाएं जितना कि वह पहले गमले में था। गमले में पौधा लगाकर तथा खाली स्थान में खाद भरकर हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। गमले को छाया में रखना चाहिए। दूसरा गमला जिसमें पौधा लगाना हो उसका आकार पहले गमले जैसा होना चाहिए और इसकी तली के छेद में खपड़ा, कंकड़, पत्ती तथा खाद भरना नहीं भूलना चाहिए। गमला परिवर्तन के समय यह ध्यान रखें कि पौधों की जड़ों के साथ लगा हुआ मिट्टी का पिंड फूटने न पाए यदि वह फूट गया तो पौधों के मरने की आशंका रहती है। पौधे की आवश्यकतानुसार गमला परिवर्तन से पहले हल्की छंटाई कर देनी चाहिए। पौधों की छंटाई से तात्पर्य, मात्र पौधों की शाखाओं को काटना ही नहीं होता बल्कि पौधे को संतुलित बनाना होता है इसलिए इसी परिमाप में छंटाई करें।

पौधों की कटाई-छंटाई – गमले में लगे हुए पौधे सुंदर दिखाई दें और अनावश्यक रूप से न बढ़ सकें, इसलिए कटाई-छंटाई हल्के रूप में होनी चाहिए। गमले में लगे हुए पौधों का आकार संतुलित और सीमित हो तथा उनमें एक ही मुख्य तना रहना चाहिए जड़ों के समीप से ही बढ़े हुए अनेक तनों को काट देना चाहिए।

उर्वरक देना – यद्यपि गमले में लगे हुए पौधों को भूमि में लगे हुए पौधों की अपेक्षा कम उर्वरक देना होता है क्योंकि रिसाव तथा अन्य कारणों से तत्वों की कम हानि होती है तथा जड़ें भी सीमित क्षेत्र में फैली हुई रहती है।

  • 1 किलो हड्डी का चूरा, 1 किलो मूंगफली की खली, अमोनियम फास्फेट 1/2 किलो, सिंगल सुपर फास्फेट 1/2 किलो, अमोनियम सल्फेट 2.5 किलो और पोटेशियम सल्फेट 2.25 किलो अच्छी तरह मिलाकर प्रत्येक गमले में 50-60 ग्राम डालकर गुड़ाई कर दें और पानी दे दें। पौधे के बढऩे के साथ खाद की मात्रा बढ़ा दें।
  • ताजा गोबर लेकर लगभग चार गुना पानी में घोल बनाकर मटके या ड्रम में 10-15 दिन तक सड़ायें फिर उसमें बीस गुना पानी मिला लें ऐसा घोल 1-2 लीटर प्रति पौधे में डालें यह तरल खाद अत्यंत सस्ती, उपयोगी एवं त्वरित प्रभाव डालती है।

ध्यान रखने योग्य बातें-

  • एक बार में किसी एक मिश्रण का प्रयोग करें।
  • खाद/ उर्वरक देने के समय एवं बाद में पानी की कमी न होने दें अन्यथा पौधों पर विपरीत असर पड़ेगा।
  • कटाई-छंटाई के तुरंत बाद खाद दें, फिर 1 माह बाद, 2 माह बाद फिर 3 सप्ताह के अंतर से दें।
गुलाब उगाने के लिए निम्नलिखित प्रकार के गमले उपयोग में लाये जाते हैं-
मिट्टी में गमले – मिट्टी के गमलों का उपयोग ज्यादा किया जाता है। मिट्टी के गमले विभिन्न आकार और क्षमता के बनाए जाते हैं जो गुलाब की प्रकृति के अनुसार उपयोग किए जाते हैं।  
सीमेंट के गमले – सीमेंट के गमले स्थाई होते हैं और मिट्टी के गमले की तरह टूटते नहीं हैं। इन्हें विभिन्न प्रकार के सुंदर आकार में बनाया जाता है। आंतरिक गृह सज्जा के लिए सीमेंट के गमलों का उपयोग किया जाता है।
पॉलीथिन के बैग – मोटी किस्म की पॉलीथिन से तैयार किए जाते हैं, ये अस्थाई होते हैं और इनका उपयोग कलम से पौधे तैयार करने के लिए किया जाता है।
लकड़ी के खोखे – अस्थाई होते हैं और यह भी कलम से पौधे उगाने के काम में आते हैं।
टिन या अन्य डिब्बे – मोटी किस्म के टिन के डिब्बों या ड्रम का उपयोग भी गुलाब को उगाने के लिए किया जाता है।
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