बढ़िया उत्पादन के लिए सरसों की फसल में कब और कितनी डालें उर्वरक की मात्रा
17 नवम्बर 2023, भोपाल: बढ़िया उत्पादन के लिए सरसों की फसल में कब और कितनी डालें उर्वरक की मात्रा – रबी फसलों में सरसों एक महत्वपूर्ण फसल हैं। देश के कई राज्यों में सरसो की खेती जाती हैं लेकिन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एंव उत्तरप्रदेश में सरसों को मुख्य रूप उगाया जाता हैं। सरसों के बीज में 30-48 प्रतिशत तक तेल के मात्रा पाई जाती हैं। अगर किसान शुरू से ही खेती पर ध्यान देते हैं तो अच्छा उत्पादन पा सकते हैं। इसके लिए किसानों को फसल में सही उर्वरक प्रबंधन का चयन करना जरूरी हैं।
उर्वरक की मात्रा
सरसों की फसल में उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर किया जाये। सिंचित क्षेत्रों में नाइट्रोजन 120 किग्रा फास्फेट 60 किग्रा एवं पोटाश 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से अच्छी उपज प्राप्त होती है। फास्फोरस का प्रयोग सिंगिल सुपर फास्फेट के रूप में अधिक लाभदायक होता है। क्योंकि इससे सल्फर की उपलब्धता भी हो जाती है। यदि सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग न किया जाए तो गंधक की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए 40 किग्रा/हे. की दर से गंधक का प्रयोग करना चाहिए तथा असिंचित क्षेत्रों में उपयुक्त उर्वरकों की आधी मात्रा बेसल ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग की जाये। यदि डी.ए.पी. का प्रयोग किया जाता है तो इसके साथ बुआई के समय 200 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना फसल के लिए लाभदायक होता है तथा अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 60 कुन्तल प्रति हे की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए।
सिंचित क्षेत्रों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फास्फेट एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय कूंड़ों में बीज के 2-3 सेमी नीचे नाई या चोगें से दिया जाय। नाइट्रोजन की शेष मात्रा पहली सिंचाई (बुआई के 25-30 दिन बाद) के बाद टापड्रेसिंग में डाली जायें।
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