60 से 75 दिन की सोयाबीन फसल को कीट एवं रोग से बचने के तरीके
15 सितम्बर 2022, भोपाल: 60 से 75 दिन की सोयाबीन फसल को कीट एवं रोग से बचने के तरीके – लगभग 60 से 75 दिन की सोयाबीन फसल में दूसरी पीढ़ी का प्रकोप ऊपरी पत्तियों में देखा जा रहा है। इस सम्बन्ध में सलाह है कि फसल के इस पड़ाव में चक्र भृंग से बहुत अधिक नुकसान होने की सम्भावना कम ही होती है। इसके नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का छिड़काव आर्थिक रूप से लाभकारी नहीं होता, अतः इससे घबराये नहीं और पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट करें।
जहाँ पर सोयाबीन की फसल में भरना प्रारंभ हुआ है, चने की इल्ली द्वारा फलियों से छोटे दाने खाने की सम्भावना को देखते हुए सलाह है कि फसल पर इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि .ली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मि ली/हे) या इमामेक्टीन बेन्जोएट ( 425 मि ली /है) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी. एस. (300 मि ली/हे) का छिड़काव करें।
बीजोत्पादन कार्यक्रम वाले खेत में सलाह है कि अनुशंसि फफूंदनाशकों टेबूकोनाझोल 25.9% ई.सी (625 मि .ली/हे) या टेबूकोनाझोल़ + सल्फर (1.25 कि.ग्रा/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% डब्लल्यू.जी. (375-500 ग्रा/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50g/l एस.ई. ( 750 मि .ली/हे) या फ्लुक्सापय्रोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रोबीन (300ग्रा/हे) का छिडकाव करें। इससे फफूंद जनित रोगों (रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट तथा एन्थ्राक्नोज) का नियंत्रण भी हो जायेगा।
सोयाबीन फसल में पीला मोज़ेक रोग का नियंत्रण
पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्लडा सायहेलो थ्रिन (125 मि ली/हे) या बीटासायफ्लुसिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मि ली/हे) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
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