फसल की खेती (Crop Cultivation)

सब्जियों में ज़ेबा – मिले उम्मीद से ज्यादा

  • हर्षल प्रताप सोनवने
    लीड-क्रॉप इस्टैब्लिशमेंट,
    यूपीएल

 

12 जुलाई 2021,  सब्जियों में ज़ेबा – मिले उम्मीद से ज्यादा – मानसून के आगमन के साथ-साथ किसान खरिफ की मुख्य फसले जैसे धान, सोयाबीन, मकई के बुआई में व्यस्त हो जाता है। पिछले कई वर्षों से इन मुख्य फसलों के साथ विभिन्न सब्जियों की खेती भी जोर पकड़ रही है और इन सब्जियों का क्षेत्र भी हर साल बढ़ता ही जा रहा है। इसका प्रमुख कारण है बडे शहरों से इन सब्जियों की बढ़ती मांग और इन फसलों से किसान को मिलने वाला लाभ। किसी एक ही फसल पर अपना अवलंबित्व रखने के बजाय किसान अपना कुछ क्षेत्र सब्जियों के लिए समर्पित कर रहा है। जिसका उद्देश है एक ही फसल में प्राकृतिक प्रकोप एवम मूल्य ना मिलने के कारण होने वाले संभावित नुकसान के खतरे को अन्य फसलों की सफलता में बाटना। और सब्जियाँ इन परिस्थितियों में हमेशा फायदेमंद रही है। सब्जियों की बात करे तो टमाटर, भिंडी, फूलगोभी, पत्तागोभी, खीरा, प्याज, लहसुन, मटर और अन्य कई विकल्प किसान के पास उपलब्ध है।

वातावरण में ढलने की क्षमता बीमारियों से लढऩे की ताकद उपज की क्षमता ऐसे विभिन्न गुणों से परिपूर्ण सब्जियों की प्रजातियां बाजार में उपलब्ध होती है। किसान इन्हीं में से अपने लिए सही फसल एवं जरुरत के अनुसार उसकी प्रजाति चुनता है। आज कल किसान बहुत सारी प्रजातियों के नर्सरी में तैयार मिलने वाले पौधों का ही पुर्नरोपण करना पसंद करता है अन्यथा खुद के खेत में नर्सरी तैयार करके उच्च क्षमता वाले पौधे पुर्नरोपण के लिए तैयार करता है। जिससे प्रति एकड़ बीज की मात्रा भी कम लगती है और अंकुरण में होने वाला नुकसान भी कम किया जाता है। सब्जियों की मुख्य अवस्था पुर्नरोपण के साथ शुरु होती है। और इसी अवस्था के लिए किसान खेत में जुताई करना, सही प्रकार से बेड तैयार करना और उनमें खाद बेसल डोस में देना यह काम करके सब्जियों का पुर्नरोपण करता है। अगर इसी समय बेड तैयार करते वक्त दिए जाने वाले खाद के बेसल डोस में ज़ेबा 5 किग्रा प्रति एकड़ डाला जाए, तो यह एक उपज बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।

ज़ेबा क्या है ?

ज़ेबा स्टार्च से निर्मित महा अवशोषक है। महा अवशोषक याने अपने वजन से कई गुना ज्यादा पानी सोखने की क्षमता रखना। ज़ेबा अपने वजन से 450 गुना ज्यादा पानी को सोखता है, उसको पकड़ के रखता है और फसल के जरुरत के अनुसार जड़ों को पानी देता है।

ज़ेबा की प्रति एकड़ मात्रा क्या है ?

सब्जियों के लिए प्रति एकड़ 5 किलोग्राम ज़ेबा खाद में मिला कर देना चाहिए ।

सब्जियों में ज़ेबा का उपयोग कैसे करें ?
  • पुर्नरोपण या बुआई से पहले तैयार किए जाने वाले बेड में खाद के बेसल डोस के साथ ज़ेबा का उपयोग किया जा सकता है। अन्यथा पुर्नरोपण के 15 दिन के बाद पौधे के चारों बाजू के जड़ क्षेत्र के समीप रिंग बनाकर ज़ेबा खाद के साथ दिया जा सकता है।
ध्यान रखें
  •  ज़ेबा हमेशा खाद के साथ (यूरिया छोडक़र), मिट्टी के नीचे पौधे के जड़ क्षेत्र में देना जरुरी है। इसको सतह पर ना फेकें।
    ज़ेबा सब्जियों में उपज बढ़ाने में कैसे मदद करता है ?
  • बरसात और सिंचाई द्वारा दिया गया अतिरिक्त पानी और उसके साथ रिसाव होने वाला उर्वरक इन दोनों को ज़ेबा सोखता है, पकड़ता है और फसल की जरुरत के अनुसार उपलब्ध कर देता है। इससे फसल को सही अवस्था में सही पोषण उपलब्ध होता है।
  • इससे रिसाव के कारण जड़ क्षेत्र से बाहर जाने वाला पानी एवं उर्वरक का नुकसान कम हो जाता है और जमीन स्वस्थ रहती है।
  • ज़ेबा मिट्टी को अपने 5 से 6 माह के कार्यकाल में हमेशा भुरभुरा बनाए रखता है, जो फसल की जड़ों को बेहतर सक्रिय बनाता है।
  • पानी की कमी होने पर ज़ेबा में संचित पानी फसल को ज्यादा दिनों तक पानी का तनाव सहने में मदद करता है।

 

इन विशेषताओं के कारण सब्जियाँ अपना संपूर्ण जीवनचक्र तनाव रहित पूरा करती है। जीवनचक्र में दिया गया पानी एवं पोषण फसल को पूरी तरह उपलब्ध होता है। जो सब्जियों में अधिक फूल फलधारणा में मदद करती है। इसी प्रकार ज़ेबा सब्जियों को पूरे जीवनचक्र के दौरान स्वस्थ रखकर गुणवत्तापूर्ण उपज बढ़ाता है। ज़ेबा 6 महिनों तक सोखना, पकडऩा एवं पानी छोडऩा यह कार्य जारी रखकर मिट्टी में जैव विघटित होकर जमीन को प्राकृतिक कर्ब प्रदान करता है।

ज़ेबा सब्जियों में किसान को हमेशा उम्मीद से ज्यादा ही देता है।

Advertisements