कीट नियंत्रण में फेरोमेन ट्रेप का उपयोग
लेखक: सतीश परसाई द्य एस. के. अर्सिया, मंगेश सोनी द्य शुभम पटेल, रा.वि.सिं.कृ.वि.वि, बी.एम.कृषि महाविद्यालय,, खण्डवा
13 जनवरी 2025, भोपाल: कीट नियंत्रण में फेरोमेन ट्रेप का उपयोग – फेरोमेन एक प्रकार का कार्बनिक पदार्थ है जो वैज्ञानिकों द्वारा संश्लेेषित करके इसे बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जा सकता है। जो उस जाति के नर कीट को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। खेतों में ट्रेप को सहारा देने के लिये एक डंडे से बांध दिया जाता है तथा ऊपर के ढक्कन में बने स्थान पर ल्यूर को फंसा दिया जाता है। इसकी गंध हवा के साथ लगभग 5 किलोमीटर तक जाती है प्रत्येक कीट के नर पतंगों को बड़े पैमाने पर एकत्र करने के लिए सामान्यत: 2 ट्रेप प्रति एकड़ पर्याप्त है। फेरोमोन ट्रेप जो कीटों को लुभाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह कीप के आकार के तथा मुख्य भाग पर लगे ढक्कन पर मादा कीट की गंध का ल्योर लगाया जाता है, जिससे नर कीट आकर्षित होते हैं। इस प्रकार हर प्रकार के कीटों का ल्योर अलग-अलग एवं विशिष्ठ होता है। जिस मादा का ल्योर लगाया जाता है उस कीट का नर विशिष्ठ गंध के कारण आकर्षित होकर फेरोमोन ट्रेप की कीप में गिर जाता है जो नीचे लगे हुये थैले में इका हो जाते हंै। इके हुए कीटों को मिट्टी में दबाकर मार दिया जाता है। साथ ही साथ इसके संख्या की स्थिति का आकलन करने एवं नर पतंगों को पकड़ कर नष्ट करके नियंत्रण कर सकते हंै।
क्या है फेरोमेन
यह मादा कीट के शरीर के वाह्म ग्रंथियों के द्वारा वातावरण में छोड़ा गया एक प्रकार का गंध है। जो उस जाति के नर कीट को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए छोड़ा जाता है, फेरोमेन के नाम से जाना जाता है। चूँकि फेरोमेन एक प्रकार का कार्बनिक पदार्थ है जो वैज्ञानिकों द्वारा संश्लेेषित करके इसे बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया जा सकता है। खेतों में विभिन्न कीटों की सघनता का आकलन करने एवं उनकों बड़े पैमाने पर पकड़कर नष्ट करने के लिए फेरोमेन तकनीक का विकास किया गया है। इसमें से कुछ प्रमुख कीड़े जिनके फेरोमेन उपलब्ध हैं, निम्नवत है:
स्पेडोप्टेरा लिटूरा (प्रोडेनिया):
यह कीट तंबाकू की सुंडी के नाम से जाना जाता है। यह एक बहुउपभक्षी कीट है। इसक प्रकोप भिंडी, पत्ता गोभी, तम्बाकू, सरसों, फूल गोभी आदि फसलों में होता है। इस कीट का फेरोमेन ल्यूर बाजार में स्पेडो ल्यूर के नाम से मिलता है।
हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा:
यह कीट अमेरिकन वालवर्म एवं चना फली छेदक आदि नामों से जाना जाता है। इसका प्रकोप कपास, चना, अरहर, टमाटर, मटर आदि फसलों में बहुतायत होता है। इस कीट का ल्यूर नाम से मिलता है।
पेक्टिनोफोरा गोस्सिपिएला:
यह कीट कपास की गुलाबी कीट नाम से जाना जाता है। यह कीट कपास एवं भिण्डी में लगता है। इसका ल्यूर पेक्टिनाफोरा गाँसी नाम से मिलता है।
इरिआस स्पी:
यह कीट कपास का गूलर बेधक के नाम से जाना जाता है जो कपास एवं भिण्डी में लगता है। इसका कीट का ल्यूर इरिआस विटिला इरिआस, इन्सुलिन नाम से मिलता है।
ट्रेप लगाने का उचित तरीका:
खेतों में ट्रेप को सहारा देने के लिये एक डंडे से बांध दिया जाता है तथा ऊपर के ढक्कन में बने स्थान पर ल्यूर को फंसा दिया जाता है। फनेल में लगे पॉलीथिन को लंबवत कर नीचे की तरफ रस्सी की सहायता से गांठ बांध देनी चाहिए। इस ट्रेप की ऊंचाई इस तरह रखना चाहिए कि कीट नीचे की तरफ ना गिरे। ट्रेप का ऊपरी भाग फसल की ऊंचाई से 2 फीट ऊपर हो ताकि गंध चारों दिशाओं में बराबर मात्रा में फैल सके। ट्रेप सदैव त्रिभुजाकार लगाना चाहिए तथा हवा के रुख का भी ध्यान देना चाहिए। गंध हवा के साथ लगभग 5 किलोमीटर तक जाता है इसलिए यह गंध बिना कोई क्षति पहुंचाए पूरे क्षेत्र के कीटों को नियंत्रित कर सकता है।
ट्रेप का निर्धारण एवं सघनता:
प्रत्येक कीट के नर पतंगों को बड़े पैमाने पर एकत्र करने के लिए सामान्यत: 2 ट्रेप प्रति एकड़ पर्याप्त है। ट्रेप से ट्रेप की दूरी 50 मीटर रखें। इस ट्रेप को खेत में लगा देने के उपरान्त इसमें फंसे पतंगों की नियमित जाँच की जानी चाहिए और पाये गये पतंगों का आँकड़ा रखना चाहिये जिससे उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखा जा सके। इस तकनीक का उपयोग कृषक अपने खेतों पर कीड़ों की सघनता का आकलन कर उनके अनुसार कीटनाशकों के उपयोग की रणनीति निर्धारित कर अनावश्यक रासायनिक उपचार से बचा जा सके।
फेरोमेन की सीमाएं:
फेरोमेन के द्वारा कीटों की प्रजनन क्षमता पर रोक लगाया जा सकता है। इसके उपयोग से कृषि रक्षा उपचार हेतु रसायनों के अनावश्यक छिड़काव एवं उस पर होने वाले खर्चे से कृषक बच सकते हैं। फेरोमेन चूँकि जैविक नियंत्रण के लिये उपयोगी पर पक्षी एवं परजीवी कीटों के लिये सुरक्षित है। अत: यह एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की पद्धति के अंतर्गत बहुत ही कारगर है। चूंकि फेरोमेन ट्रेप लंबे समय के बाद लाभ पहुंचाता है इसलिए इसके लाभ को समझते हुए किसानों को इसका उपयोग करना चाहिए जिससें कि वातावरण शुद्व बना रहे तथा रासायनिक उपचार से भी बचा जा सके।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: